HH 33: टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में बाधक वन विभाग की जमीन मिलने का रास्ता साफ
टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 पर पारडीह के पास सिटी इन होटल से लेकर आसनबनी तक सड़क इतनी अधिक खराब है कि वहां से छोटे गाड़ी व बाइक चालक को चलना मतलब जान हथेली पर लेकर चलने के बराबर है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 के निर्माण में बाधा बन रही वन विभाग की जमीन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अब रड़गांव से जमशेदपुर सेक्शन के 217.300 किमी से 233.350 किमी के बीच वन विभाग की जमीन पर एक फ्लाईओवर, एक रेलवे ओवर ब्रिज, एक बड़ा पुल, पांच छोटा पुल तथा 39 कल्वर्ट बनना है।
वन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिलने के कारण उपरोक्त सभी काम वर्षों से लंबित है। जिसके कारण कई जगहों पर सड़क का चौड़ीकरण नहीं हो पा रहा था। अब चूंकि दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के डीएफओ डा. अभिषेक कुमार ने अपना अनुमोदन यानि स्वीकृति दे दी है। अब अनुमोदित पत्र को डीएफओ सीसीएफ वन्य प्राणी, रांची को भेज दिया है। रांची से स्वीकृति मिलते ही बंद पड़े सभी स्थानों पर जोर-शोर से काम शुरू हो जाएगा। डीएफओ ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में चांडिल के पास एक रेलवे ओवर ब्रिज बनना है जिसकी स्वीकृति रेलवे ने दे दी है।
दर्जनों स्थान पर सड़क पर हैं जानलेवा गड्ढे
टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 पर पारडीह के पास सिटी इन होटल से लेकर आसनबनी तक सड़क इतनी अधिक खराब है कि वहां से छोटे गाड़ी व बाइक चालक को चलना मतलब जान हथेली पर लेकर चलने के बराबर है। जानकारी हो कि एनएच 33 को चौड़ीकरण का काम 2011 से यानि 11 साल हो गए, लेकिन आज तक पूरा बन नहीं पाया। सड़क का हाल इतना खस्ता है कि उड़ती धूल के कारण राहगीरों का चलना मुश्किल हो गया है। अर्धनिर्मित सड़क पर अब हर कदम पर मौत नाच रही है। जरा सी असावधानी किसी बड़े हादसे को अंजाम दे देती है। हालात यह है कि चौका से जमशेदपुर की 40 किमी लंबी सड़क का अधिकांश हिस्सा जर्जर है, हालांकि सड़क निर्माण का काम चल रहा है।