अब Income Tax के लिए आपको जबरन 80-सी में निवेश करने की आवश्यकता नहीं, दूसरे विकल्प में कम कटेगा टैक्स
नौकरी पेशा व व्यवसायी वर्ग के लिए इनकम टैक्स दाखिल करना किसी मुसीबत से कम नहीं है। 80-सी के तहत इनकम टैक्स दाखिल करें या ना करें यह सबसे बड़ा सवाल होता है। यहां हम आपको ऐसे ही कई सवाल का जवाब देंगे। पढ़िए....
जमशेदपुर, जासं। इतना तो आपको पता ही होगा कि इस बार आप जो आयकर रिटर्न (Income Tax) दाखिल करेंगे, वह वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए होगा। इसमें रिटर्न दाखिल करते समय आपको दो विकल्प मिलेंगे। एक 80-सी (80-C) के तहत और दूसरा 80-सी के बिना। ऐसे में आपको जबरन 80-सी में ना निवेश करने की जरूरत है, ना इसका विकल्प चुनने की।
जमशेदपुर के जाने-माने चार्टर्ड एकाउंटेंट विवेक चौधरी बताते हैं कि नौकरीपेशा वालों के लिए 80-सी का विकल्प चुनने की आवश्यकता कम पड़ती थी, क्योंकि उनके वेतन का अधिकांश पैसा पीएफ, एलआइसी, शेयर, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई आदि में खर्च हो जाते हैं तो वह आयकर भुगतान से बच जाते थे। वहीं व्यवसायी वर्ग को जबरन 80-सी में निवेश करना पड़ता था, वरना उनकी कमाई या आमदनी का अधिकांश पैसा इनकम टैक्स में कट जाता था। अब आप जैसे ही रिटर्न दाखिल करेंगे, आपको विकल्प चुनने काे कहा जाएगा।
80-सी के बिना वाला विकल्प पर 10 फीसद ही लगेगा टैक्स
यदि आप 80-सी सहित वाला विकल्प चुनते हैं, तो आपको 5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत टैक्स लगेगा। यदि आप 80-सी के बिना वाला विकल्प चुनते हैं तो आपको 10 प्रतिशत ही टैक्स कटेगा। इसी तरह आप 80-सी के साथ वाला विकल्प चुनते हैं, तो 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक आपको 20 प्रतिशत और 80-सी के बिना वाले विकल्प में 15 प्रतिशत टैक्स लगेगा। ऐसे में आप देख लीजिए कि आपको कौन सा विकल्प पसंद है, उसे चुन लीजिए। आप 80-सी के साथ या 80-सी के बिना वाला विकल्प चुनते हैं, तो दोनों में तीन लाख रुपये तक आयकर से छूट है। इसके अलावा पांच लाख रुपये तक आपको कोई टैक्स नहीं लगने जा रहा है। आयकर पोर्टल में आपको न्यू टैक्स रीजिम और ओल्ड टैक्स रीजिम का विकल्प दिखाएगा। इसलिए ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत नहीं है।
80-सी में करोड़ों-अरबों रुपये ब्लॉक
आयकर विभाग 80-सी के तहत लोगों को टैक्स छूट देता है, ताकि अर्थव्यवस्था के जरूरी आयाम चलते रहें। सामाजिक संस्थाओं की गतिविधि चलती रहे। इसके लिए लोग एलआइसी, पोस्टआफिस, म्युचुअल फंड आदि में बेवजह भी निवेश करते थे, लेकिन आपकाे पता नहीं है कि इसमें करोड़ों-अरबों रुपये ब्लॉक हो गए हैं। इनका कोई उपयोग नहीं हो रहा था, इसलिए केंद्र सरकार ने इसकी बाध्यता समाप्त कर दी है। अब 80-सी को हतोत्साहित करने के लिए दूसरा विकल्प दे दिया है, ताकि बाजार में रुपये की तरलता या लिक्विडिटी बनी रहे। हालांकि इससे सामाजिक संस्थाओं को दान मिलने में कमी आ सकती है, लेकिन उन करदाताओं को राहत मिलेगी, जो बेवजह 80-सी में आयकर छूट पाने के लिए निवेश करते रहते थे। सरकार ने कहा कि आप 80-सी का विकल्प नहीं चुनेंगे तो हम आपसे कम टैक्स लेंगे, अब मर्जी आपकी, जो विकल्प चाहें चुनें।