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Good News Amid Covid-19 : अब देश में नहीं होगी ऑक्सीजन की किल्लत, जिला अस्पताल में टाटा समूह स्थापित करेगी यह सिस्टम

Oxygen Shortate In India कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण के कारण इन दिनों गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन (Oxygen shortage) की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है हालांकि टाटा समूह (Tata Group) देश के उन शहराें को हर दिन 800 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहा है।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 06:16 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 06:16 PM (IST)
Good News Amid Covid-19 : अब देश में नहीं होगी ऑक्सीजन की किल्लत, जिला अस्पताल में टाटा समूह स्थापित करेगी यह सिस्टम
टाटा समूह ने देश के विभिन्न जिला अस्पतालों में स्थापित करेगी यह सिस्टम

जमशेदपुर : कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण के कारण इन दिनों गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन (Oxygen shortage) की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है हालांकि टाटा समूह (Tata Group) देश के उन शहराें को हर दिन 800 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (Liquid Medical Oxygen) की आपूर्ति कर रहा है जहां इसकी सबसे ज्यादा किल्लत है।

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pressure swing adsorption (PSA) विकसित कर रहा टाटा समूह

इसके बावजूद केंद्र सरकार अब इसके लिए स्थायी समाधान की तैयारी कर रहा है। केंद्र सरकार की ओर से टाटा समूह की टाटा एडवांस सिस्टम और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स कंपनी (Tata Advance System and Trident Numetics Company) को कम ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए देश के सभी जिला अस्पतालों में प्रेशर स्विंग एडजोर्पसन (pressure swing adsorption) सिस्टम को विकसित कर रहा है। इसकी एक यूनिट को विकसित करने में 75 लाख रुपये की लागत आएगी। इसे पूरा होने में भी तीन माह का समय लगेगा।

देश भर में 450 यूनिट PSA स्थापित करेगी टाटा समूह

ऐसे में केंद्र सरकार ने ऐसे 450 यूनिट को स्थापित करने का टेंडर जारी किया है जिसे टाटा समूह देश द्वारा विभिन्न शहरों में 450 पीएसए विकसित करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है जबकि शेष 50 यूनिट बाद में तैयार किए जाएंगे। हालांकि इसे तैयार होने में तीन माह का समय लगेगा। केंद्र सरकार ने कुछ 500 पीएसए या ऑन साइट ऑक्सीजन जेनरेट इकाइयों का आदेश दिया है और शेष 51 को अगले कुछ दिनों में सस्थापित किए जाएंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 150 जिला अस्पतालों के लिए अक्टूबर 2020 में ही पीएसए के लिए निविदा निकाली थी लेकिन इनमें से अधिकांश यूनिट स्थापित नहीं हो पाए हैं। 18 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय के एक ट्वीट के अनुसार, केंद्र द्वारा 162 पीएसए संयंत्र स्वीकृत किए गए थे। हालांकि एक अधिकारी ने स्वीकार किया, मंत्रालय ने टेंडर को अंतिम रूप देने में देरी की।

कैसे काम करता है PSA

पीएसए पौधे वायुमंडलीय हवा से ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं, जिसे शुद्ध किया जाता है और रोगियों को पाइप के माध्यम से आपूर्ति की जाती है। ऐसी ऑक्सीजन के लिए 99.5 प्रतिशत शुद्धता होना आवश्यक है। वायु में 21 प्रति ऑक्सीजन, 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.9 प्रतिशत आर्गन और 0.1 प्रतिशत अन्य ट्रेस गैसें होती हैं।

एक ऑक्सीजन जनरेटर इस ऑक्सीजन को अलग कर पीएसए नामक एक अनोखी प्रक्रिया के माध्यम से अलग करता है। हालांकि ये इकाइयां अस्पताल परिसर के भीतर ही स्थापित की जाएंगी और परिवहन को लेकर उत्पन्न होने वाले झंझट से भी मुक्ति मिलेगी। हालांकि, सभी रोगियों के इलाज भी अलग-अलग होता है। स्थिति की गंभीरता के आधार पर ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता होती है।

Linde India भी कर रही ऑक्सीजन की आपूर्ति

इसके अलावा लिंडे इंडिया और प्रैक्सेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपने ऑपरेशन क्षेत्र में ऑक्सीजन आपूर्ति(Oxygen Supply) की चुनौतियों को कम करने के लिए साझेदार अस्पतालों में भी पीएसए स्थापना के काम को शुरू किया है। साथ ही जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज, जूनागढ़, गुजरात में 20 किलो लीटर का टैंक स्थापित किया है, और संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, लखनऊ में एक और 20 किलो लीटर का टैंक स्थापित किया गया है। 


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