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सामुदायिक भवन बनाकर भूल गया अक्षेस, नब्बे फीसद कब्‍जे में Jamshedpur News

सामुदायिक भवन को तत्कालीन विधायकों ने अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने का माध्यम भी बना लिया। चारदीवारी बनाकर और ताला मारकर इसका व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू कर दिया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 09:29 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 03:55 PM (IST)
सामुदायिक भवन बनाकर भूल गया अक्षेस, नब्बे फीसद कब्‍जे में Jamshedpur News
सामुदायिक भवन बनाकर भूल गया अक्षेस, नब्बे फीसद कब्‍जे में Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं। समाज के निम्न वर्ग के सामुदायिक विकास व उत्थान के लिए उनके प्रशिक्षण, महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई व शादी-विवाह आदि सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से बनाए गए सामुदायिक भवनों से अब ऐसे वर्ग के लोगों की मदद का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा। जमशेदपुर में पिछले 21 वर्ष के दौरान लगभग एक सौ सामुदायिक भवन बन गए, लेकिन इनके पीछे का उद्देश्य गायब हो गया।

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जमशेदपुर शहर में सामुदायिक भवन की परिकल्पना झारखंड के तत्‍कालीन वित्त मंत्री व जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक रहे मृगेंद्र प्रताप सिंह की थी। उनका उद्देश्य था कि गरीब बच्चों के लिए निश्शुल्क पाठशाला चले। प्रतियोगी परीक्षा के लिए छात्रों के लिए पुस्तकालय व कंप्यूटर आदि की सुविधा मिले। इसी परिकल्पना के साथ उन्होंने 1991 में सोनारी में गुरुजात संघ की नींव रखी, जो 2001 में बनकर तैयार हो गया। वहां यह सभी गतिविधियां चलती थीं, लेकिन इसके बाद बने अधिकांश सामुदायिक भवन इस उद्देश्य से भटक गए। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) भी इन भवनों को बनाकर भूल गया। एमपी सिंह ने कहा था कि सामुदायिक भवन जाति या समुदाय विशेष के लिए नहीं होना चाहिए। वहीं आज नब्बे फीसद सामुदायिक भवन किसी न किसी समाज-समुदाय के कब्जे में है।

साल में होती करीब पांच लाख की कमाई 

सामुदायिक भवन को तत्कालीन विधायकों ने अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने का माध्यम भी बना लिया। चारदीवारी बनाकर और ताला मारकर इसका व्यवसायिक इस्तेमाल शुरू कर दिया, जबकि इसका मूल उद्देश्य यह नहीं था। सोनारी का गुरुजात संघ व चित्रगुप्त भवन, उलियान का निर्मल महतो सामुदायिक भवन, कदमा का तरुण संघ, गोलमुरी में दुसाध भवन व गणिनाथ भवन समेत कई भवनों की कमाई सालाना करीब पांच लाख है। इनका प्रतिदिन का किराया तीन से दस हजार रुपये तक लगता है।

अक्षेस को नहीं मिलता पैसा 

 अक्षेस को इस कमाई से एक पैसा भी नहीं मिलता है, जबकि भवन का निर्माण सरकारी पैसे से होता है। यहां टेंट हाउस भी निर्धारित रहते हैं। शादी-ब्याह में बड़े-बड़े हैलोजन हुकिंग की बिजली से चलती है। कई में तो पानी का कनेक्शन भी अवैध तरीके से लिया गया है।

शास्त्रीनगर कल्याण समिति ने प्रशासन को सुपुर्द किया भवन 

 जमशेदपुर अक्षेस की ओर से सामुदायिक भवनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसीक्रम में शास्त्रीनगर कल्याण समिति के अध्यक्ष अमरेंद्र मल्लिक ने शुक्रवार को उपायुक्त को पत्र देकर शास्त्रीनगर के ब्लॉक-4 स्थित सामुदायिक भवन प्रशासन के सुपुर्द कर दिया। पत्र में लिखा है कि हमारी समिति नहीं चाहती कि प्रशासन के साथ कोई विवाद हो। उनके आवेदन पर यथाशीघ्र कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में प्रशासन द्वारा कोई नीति-निर्धारण किया जाए तो उनकी संस्था उसी के अनुरुप समाज कल्याण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके। मल्लिक ने इसकी प्रति अनुमंडल अधिकारी धालभूम व जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी को भी दी है।

क्वारंटाइन सेंटर का हो सकता इस्तेमाल

शहर में जितने सामुदायिक भवन हैं, प्रशासन उनका क्वारंटाइन सेंटर के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। इससे ना केवल क्षेत्र विशेष के लोगों को सुविधा होती, बल्कि प्रशासन को भोजन-नाश्ते पर भी खर्च नहीं करना पड़ता। जिस इलाके के लोग क्वारंटाइन में रहते, उनके घर से नाश्ता-भोजन पहुंच जाता। स्थानीय लोग भी उन पर नजर रख सकते थे कि कहीं कोई क्वारंटाइन से बाहर तो नहीं निकल रहा। बताया जाता है कि प्रशासन इस दिशा में विचार भी कर रहा है।


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