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बाजार से अधिक दाम पर छात्राओं को मिल रहे पैड

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : हालिया प्रदर्शित अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन से लेकर सोशल मीडिया पर नैपकी

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 12:01 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 12:01 PM (IST)
बाजार से अधिक दाम पर छात्राओं को मिल रहे पैड
बाजार से अधिक दाम पर छात्राओं को मिल रहे पैड

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : हालिया प्रदर्शित अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन से लेकर सोशल मीडिया पर नैपकीन पैड को लेकर जागरुकता अभियान चलाया गया था। यूजीसी इस बाबत पहले ही चिंता जता चुकी है। जुलाई 2017 में यूजीसी ने सभी महिला कॉलेज को निर्देश दिया था कि इस संबंध में समुचित इंतजाम किया जाये। सरकार द्वारा इस बाबत हाईकोर्ट को जानकारी दी गयी है कि छात्राओं को कॉलेजों में निश्शुल्क नैपकीन पैड उपलब्ध कराया जा रहा है। बावजूद कॉलेजों ने इस आदेश का पालन नहीं किया। शहर के तीन कॉलेज में नैपकीन वेंडिंग मशीन निजी संस्थाओं द्वारा लगाएं गये हैं।

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सोमवार को दैनिक जागरण ने शहर के महिला कॉलेजों की छात्राओं से उनका हाल जाना तो कमोबेश सभी ने बदइंतजामी की बात कही। इनका कहना था कि उन्हें यूजीसी की गाइडलाइन नहीं नहीं मालूम है। निजी संस्थानों द्वारा लगाये गये नैपकिन वेंडिंग मशीन से एक पैड लेने पर पांच रुपये खर्च करने पड़ते हैं। जबकि बाजार में इसकी कीमत 3.75 पैसे है। इस तरह यहां 1.25 रुपये अधिक मूल्य चुकाना पड़ता है।

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क्या थी यूजीसी की गाइडलाइन

छात्राओं की सुविधा के लिए कॉलेज और हॉस्टल्स में पैड वेंडिंग मशीन लगे। साथ ही इस्तेमाल की गई पैड को डिस्पोज करने के लिए इंसीनिरेटर और अलग डस्टबिन भी लगे। यूजीसी ने जुलाई 2017 में ही सभी विश्वविद्यालय को उनसे मान्यता प्राप्त संस्थानों के लिए यह निर्देश जारी किया था।

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कहीं मशीन खराब तो कहीं पर ठीक

केयू के किसी भी कॉलेज में अपनी ओर से कोई पहल नहीं की गई। एलबीएसएस कॉलेज करनडीह, साकची ग्रेजुएट कॉलेज में मरवाड़ी महिला मंच व जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में इनर व्हील क्लब ऑफ जमशेदपुर व श्रीलेदर ने संयुक्त रूप से मशीन लगाया था। यहां से छात्राओं को एक सप्ताह ही सुविधा मिली। उसके बाद साकची ग्रेजुएट कॉलेज से पैैड चोरी हो गयी और जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में लगी एक मशीन खराब व दूसरे में पैड नहीं है।

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कॉलेजों में नहीं है सैनिटरी नैपकिन डिस्पोजल के इंतजाम

शहर के कई कॉलेजों में सैनिटरी नैपकिन डिस्पोज करने के लिए इनसिनरेटर तो दूर, डस्टबिन तक नहीं हैं। इस बाबत कई कॉलेजों का कहना है कि मेंटेनेंस में होने वाली मुश्किलों और खचरें की वजह से उन्होंने इनसिनरेटर और डस्टबीन का इंतेजाम नहीं किया है। अधिकारियों के मुताबिक एक इनसिनरेटर लगवाने में करीब 40 से 60 हजार का खर्च आता है। मात्र एक कॉलेज जमशेदपुर वीमेंस में कॉलेज डिस्पोजल मशीन है और वह भी खराब।

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क्या कहती है छात्राएं

-हमारे कॉलेज में लगा वेंडिंग मशीन खराब है। जब ठीक रहता है तो पांच रुपया देकर पैड खरीदना पड़ता है और उपयोग के बाद फेंकने में काफी परेशानी होती है।

- कृतिका सिंह, अध्यक्ष, ग्रेजुएट कॉलेज छात्र संघ।

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-पैड पांच रुपया देकर खरीदते हैं। यह जानते हुए कि हम अधिक पैसा दे रहे हैं लेकिन हमारे पास कोई चारा भी नहीं है।

-सीमा कुमारी, छात्रा, वीमेंस कॉलेज।

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नैपकीन वेंडिंग अभी चालू अवस्था में है लेकिन इसका यूज नहीं हो पा रहा है। गर्मी की छुट्टी के बाद ग‌र्ल्स कॉमन रूप में इसे लगाया जायेगा। डिस्पोजल के लिए डस्टबिन की भी व्यवस्था की जायेगी। चूंकि निजी संस्थाओं की मदद से यह कार्य हो रहा है तो संस्थाएं ही पैड की राशि तय करती है।

- डॉ. अमर सिंह, प्राचार्य, एलबीएसएम कॉलेज।


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