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टाटा कमिंस में 30 दौर की वार्ता, नतीजा सिफर, वेतन समझौते पर लगी है टकटकी Jamshedpur News

Tata Cummins. टाटा कमिंस में तीस दौर की वार्ता के बाद भी वेतन समझौता नहीं हो पाया है। इससे कर्मचारियों में असंतोष गहरा रहा है। वेतन समझौता अप्रैल 2019 से लंबित है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 12:10 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 12:10 PM (IST)
टाटा  कमिंस में 30 दौर की वार्ता, नतीजा सिफर, वेतन समझौते पर लगी है टकटकी Jamshedpur News
टाटा कमिंस में 30 दौर की वार्ता, नतीजा सिफर, वेतन समझौते पर लगी है टकटकी Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं। टाटा कमिंस में 850 कर्मचारियों का वेतन समझौता अप्रैल, 2019 से लंबित है। टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन के दो  नेता आपसी विवाद के कारण निलंबित हैं। इसके कारण कंपनी प्रबंधन और यूनियन के बीच 30 दौर की वार्ता हो चुकी है और नतीजा सिफर है। 

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 यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह हैं। वे दो-तीन बार ही वार्ता में शामिल हुए। कर्मचारियों का सबसे महत्वपूर्ण वेतन समझौता पिछले 11 माह से लंबित है। अध्यक्ष की झारखंड विधानसभा में बेरमो से चुनाव जीतने के बाद व्यस्तता और बढ़ गई है। यूनियन में अरुण सिंह व मनोज सिंह के बीच विवाद उभरा। इसकी वजह से यूनियन की जगह राजेंद्र सिंह ने स्टीयरिंग कमेटी बना दी। ऐसे में कर्मचारी से लेकर कमेटी मेंबर तक अब नेतृत्व विहीन है। ऐसे में जैसे-तैसे प्रबंधन के साथ ग्रेड रिवीजन की वार्ता की गाड़ी चल रही है। कंपनी में होने वाला नए समझौते से कर्मचारियों को भविष्य में आर्थिक नुकसान होगा या फायदा, यह तो बाद  में पता चलेगा। लेकिन वार्ता में बैठने वाले सदस्यों के पास अनुभव का अभाव है, यह रेफरल केस की राशि में पूर्व की तरह बढ़ोतरी नहीं होने से साबित हो गया। जबकि हर वेतन समझौते के बाद इसकी राशि में बढ़ोतरी होती रही है।

इन मुद्दों पर नहीं बन पा रही सहमति

अब तक कंपनी प्रबंधन और यूनियन के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कर्मचारियों के बेसिक में कितनी बढ़ोतरी होगी? कर्मचारी पुत्रों का नियोजन होगा या नहीं? मित्र सहयोग योजना की राशि में बढ़ोतरी होगी या नहीं? प्रति तिमाही गेन शेयरिंगग के तहत कर्मचारियों को मिलने वाले बेसिक का 20 से 40 प्रतिशत की राशि पूर्ववत रहेगी या इसमें कोई बदलाव होगा? इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। वहीं, ऐसे कई अन्य विषय भी हैं जिस पर यूनियन नेता अभी तक किसी निर्णय में नहीं पहुंच पाए हैं? पुणे से एचआर की अधिकारी पल्लवी देसाई के आने के बाद दोनों पक्षों के बीच मैराथन बैठक हो रही हैं।  

खाना खाने भी कैंटीन नहीं आते स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य 

 कंपनी प्रबंधन के साथ ग्रेड वार्ता में स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन पिछले दो बार से कर्मचारी पुत्रों के नियोजन व रेफरल केस की राशि में बढ़ोतरी नहीं होने से कर्मचारी नाराज हो गए थे जिसके बाद कर्मचारियों ने स्टीयरिंग कमेटी के सदस्यों का घेराव कर दिया था। ऐसे में अब कंपनी प्रबंधन के साथ होने वाली वार्ता के बाद ये दोपहर में भोजन करने के लिए भी कैंटीन नहीं आ रहे हैं। क्योंकि इन्हें पता है कि वे कैंटीन जाएंगे तो कर्मचारी से लेकर समर्थक तक उनसे वार्ता की प्रगति के बारे में पूछेंगे। कुछ भी गलत होने का अंदेशा लगा तो उन्हें घेराव झेलना होगा। ऐसे में वार्ता के बाद बंद कमरे में ही ये सदस्य भोजन कर खुद को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।


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