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एक बूंद पानी नहीं दे सकी 50 लाख की जलमीनार, ये रही वजह

सरकारी संचिका में यहां जलमीनार बनकर तैयार है इसलिए गांव में कहीं नए चापाकल भी नहीं लगाए जा रहे हैं। आलम यह है कि 1323 आबादी वाला गांव पानी के लिए परेशान हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 01:23 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 01:23 PM (IST)
एक बूंद पानी नहीं दे सकी 50 लाख की जलमीनार, ये रही वजह
एक बूंद पानी नहीं दे सकी 50 लाख की जलमीनार, ये रही वजह

पटमदा [मिथिलेश तिवारी]। पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड के मुकरूडीह गांव में 50 लाख रुपये से निर्मित जलमीनार एक बूंद पानी नहीं दे सकी। चूंकि सरकारी संचिका में यहां जलमीनार बनकर तैयार है इसलिए गांव में कहीं नए चापाकल भी नहीं लगाए जा रहे हैं। आलम यह है कि 1323 आबादी वाला गांव पानी के लिए परेशान हैं।

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सरकारी योजनाओं में लूट और भ्रष्टाचार की कहानी सुनाती यह जलमीनार गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय परिसर में स्थित है। इसका निर्माण नीर निर्मल परियोजना के तहत 50 लाख 45 हजार 270 रुपये की लागत से कराया गया है। निर्माण 20 मई 2016 को शुरू हुआ और बीस मई 2017 को यह बनकर तैयार हो गई। जब पेयजल आपूर्ति की बारी आई तो पता चला कि यह खराब है।

छह माह पहले हुआ था निर्माण पूरा

स्कूल के प्राचार्य भीमचंद्र महतो कहते हैं कि यह छह माह पहले बनकर तैयार हो गई, लेकिन आज तक स्कूल और गांव को पानी नसीब नहीं हुआ। ठेकेदार ने जहां डीप बोरिंग कर रखी है वहां ढक्कन भी नहीं लगाया है। डर बना रहता है कि स्कूल का कोई बच्चा कहीं छह सौ फीट नीचे न गिर जाए।

गांव में खराब पड़े हैं सभी चापाकल

गांव के सृष्टि दास ने बताया की योजना पूरी होने के बाद भी लोगों को कोई लाभ नहीं मिला। सनका महतो कहते हैं कि गांव में सभी चापाकल खराब पड़े हैं। विभागीय दस्तावेज में जलमीनार बन जाने के कारण अब नए चापाकल नहीं लगाए जा रहे हैं। कल्याणी दास कहते हैं कि काफी दूर एक चापाकल और तालाब है। उसी के सहारे गांव की प्यास बुझ रही है। मुकरूडीह गांव के पड़ोस स्थित आखड़ा पाड़ा टोला के ग्रामीणों की मानें तो गर्मी में उन्हें पानी के लिए रतजगा करना पड़ता है। मात्र एक कुआं के भरोसे ग्रामीणों की प्यास बुझती है।

मजदूरों का पैसा लेकर भागा ठेकेदार का आदमी

जलमीनार निर्माण में मजदूरी करने वाले यमुना महतो कहते हैं कि ठेकेदार के एक आदमी ने उनसे तीस किलो चावल लिया था। उसका पैसा नहीं दिया। यही नहीं 22 दिन की मजदूरी बकाया है। उसका नाम जितेंद्र सिंह है। मजदूर डाली दास भी 19 दिन की मजदूरी बकाया होने की बात कहती हैं। उनका आरोप है कि ठेकेदार ने उल्टे उनसे राशन खरीदने के नाम पर एक हजार रुपये ले रखा है। ग्रामीण सुभाष महतो, काजल महतो और अम्बुज महतो के अनुसार, उसने कई लोगों से उधारी ले रखा है।

ठेकेदार पर कार्रवाई की उठी मांग

ग्राम प्रधान संघ के बोड़ाम प्रखंड अध्यक्ष हिमांशु महतो ने कहा कि जिला प्रशासन ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। इस बात की जांच हो कि 50 लाख रुपये की लागत से निर्मित जलमीनार पानी देने में अक्षम क्यों है। दोषी दंडित किए जाएं, वरना जनता आंदोलन करेगी। यह सीधे भ्रष्टाचार का मामला है। बिना अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा हो ही नहीं सकता।


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