एमजीएम के एनआइसीयू में नहीं मिला बेड, दो बच्चों की मौत से हड़कंप
एमजीएम अस्पताल में ही चल रहा है। दरअसल सोनारी स्थित सहयोग विलेज संस्था की ओर से अनाथ व अक्षम बच्चों को रखा जाता है।
जासं, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एनआइसीयू (न्यू बोर्न इंटेसिव केयर यूनिट) में बेड नहीं मिलने की वजह से मंगलवार की देर रात दो बच्चों की मौत हो गई। वहीं, तीन बच्चों की स्थिति सामान्य है। उनका इलाज भी एमजीएम अस्पताल में ही चल रहा है। दरअसल, सोनारी स्थित सहयोग विलेज संस्था की ओर से अनाथ व अक्षम बच्चों को रखा जाता है। वहां पर कुल छह बच्चे को रखा गया था। इसी दौरान 16 नवंबर को एक साल की एक बच्ची की तबीयत बिगड़ी। वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर थी, जो कुपोषण के श्रेणी में आता है। तबीयत ज्यादा खराब हुई तो उसे एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान डाक्टर ने देखा और एनआइसीयू में भर्ती करने की सलाह दिया। लेकिन, एनआइसीयू में बेड खाली नहीं मिला। जिसके कारण उसे वार्ड में ही रखा गया और मंगलवार की रात मौत हो गई। इसके दो घंटे के अंदर ही एक दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई। इसे मंगलवार की दोपहर में ही भर्ती कराया गया था। उस बच्चे को बार-बार दस्त होने के साथ वह बेहोश हो गया था। उसे भी एमजीएम अस्पताल में लाया गया। चिकित्सकों ने देखा और एनआइसीयू में भर्ती करने को कहा लेकिन, उसे भी बेड नहीं मिल सका। नतीजा हुआ कि मंगलवार की रात करीब तीन बजे उसकी भी मौत हो गई। इससे सहयोग विलेज संस्था के साथ-साथ पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया। सहयोग विलेज संस्था के सदस्य अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे है। वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हमारे पास जितने संसाधन है उसके अनुसार बेहतर सुविधा देने की कोशिश किया जाता है। एनआईसीयू में कुल छह वार्मर हैं। लेकिन, उसपर 15 से अधिक बच्चे भर्ती हैं। जबकि नियमित छह बच्चे ही भर्ती हो सकते हैं। लेकिन, किसी तरह बच्चों की जान बचाने के लिए यह प्रयास किया जाता है। जिन दो बच्चों की मौत हुई है उनका इलाज करने वाले शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएल मुर्मू कहते है कि मरीजों को एनआइसीयू में रखा जाना था लेकिन जगह खाली नहीं होने की वजह से उन्हें नहीं रखा जा सका। मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। लेकिन, एक बच्ची कुपोषण की श्रेणी में थी तो वहीं दूसरा बच्चा दस्त के बाद अचानक से बेहोश हो गया, जो जापानी इंसेफ्लाइटिस का लक्षण हो सकता है। हालांकि, जबतक रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती तबतक कुछ कहा नहीं जा सकता है। डायरिया में भी दस्त होता है लेकिन इसमें बच्चा अचानक से बेहोश नहीं होता है।
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सहयोग संस्था ने की कार्रवाई की मांग
बच्चों की मौत के बाद सहयोग संस्था के सदस्यों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी मेडिकल रिपोर्ट मांगी गई है। उसके बाद सरकार से इसकी शिकायत की जाएगी। इस मौके पर बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की, आलोक भास्कर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।