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Weekly News Roundup Jamshedpur: तफरीह कर रहे विधायक जी, जानें सियासी हलचल

Weekly News Roundup Jamshedpur राज्य में सत्‍ता परिवर्तन होते ही ि‍सियासी मूड-मिजाज भी बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जानें जमशेपुर के सियासी अड़डे का हाल।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 01:13 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 10:05 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur: तफरीह कर रहे विधायक जी, जानें सियासी हलचल
Weekly News Roundup Jamshedpur: तफरीह कर रहे विधायक जी, जानें सियासी हलचल

जमशेदपुर [वीरेंद्र ओझा]। झारखंड में सत्‍ता परिवर्तन होते ही जमशेदपुर की सियासी गतिविधियां बदलाव के दौर में हैं। सियासी फिजां बदली-बदली नजर आ रही हैं। सत्‍ता में बदलाव का सीधा असर शहर की सियासत पर साफ नजर आ रहा है।  कहीं आज भी चुनावी परिणाम की समीक्षा हो रही है तो नफा-नुकसान का आकलन किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा काे सत्‍ता से बेदखल कर झामुमो, कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन की सरकार बनाई है तो सियासी गलियारा भी उसकी ओर टकटकी लगाए है। आइए जानें पिछले सप्‍ताह भर क्‍या रही ि‍सियासी हलचल...  

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तफरीह कर रहे विधायक जी

चुनाव खत्म हुए एक माह होने जा रहा है, लेकिन अपने विधायक जी तफरीह के मूड में दिख रहे हैं। वहीं जनता भी समस्या छोड़, अभी भी जीत-हार की समीक्षा ही कर रही है। नेताजी को भी स्वागत-अभिनंदन और लिट्टी पार्टी के सिवा कुछ नहीं भा रहा है। सरयू राय स्वागत-अभिनंदन कराकर करीब एक सप्ताह से शहर से बाहर हैं, तो बन्ना गुप्ता मंत्री बनने के लिए कील-खूंटा दुरुस्त करने में लगे हैं। इसी चक्कर में वे लड्डू-तराजू छोड़कर एकाएक दिल्ली कूच कर गए। समीर महंती और संजीव सरदार भी लगता है कि युवा कोटे से ही सही उनकी किस्मत चमक सकती है, सो कैबिनेट विस्तार का ही इंतजार कर रहे हैं। मंगल कालिंदी ग्रामीणों के लिए टीएमएच में दौड़-भाग करते हुए देखे जा रहे हैं। दूसरी ओर सविता महतो सबकुछ से निश्ंिचत होकर क्षेत्र की जनता के साथ टुसू पर्व मना रही हैं। समस्याओं पर चर्चा कर रहीं हैं। 

कभी हर दिन रहते थे सुर्खियों में

जब कुणाल षाड़ंगी बहरागोड़ा से विधायक थे, तब कोल्हान ही नहीं, पूरे झारखंड में उनकी गिनती तेजतर्रार जनप्रतिनिधि के रूप में होती थी। युवा, उच्च शिक्षित, हाजिरजवाब और विरासत में मिली राजनीतिक समझ, कौन सी खूबियां नहीं हैं उनमें। इसके बावजूद चुनाव हारते ही हर दिन सुर्खियों में रहने वाला यह नेता अखबार और चैनलों से गायब हो गया। इस बात का आज अधिकांश लोग अफसोस कर रहे हैं कि वे अंतिम समय में पाला नहीं बदलते, तो आज भी विधायक रहते। पता नहीं इतने पढ़े-लिखे और राजनीतिक समझ वाले नेता को यह समझने में कैसे चूक हो गई कि चुनावी धारा किस दिशा में बह रही है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या अगले पांच साल तक कुणाल ऐसे ही नेपथ्य में बने रहेंगे या सक्रिय होंगे। भाजपा में उनकी क्या भूमिका रहेगी। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या वे दोबारा झामुमो में वापस लौटेंगे। 

लंबी पारी खेलने के मूड में दिख रहे देवेंद्र

जमशेदपुर पश्चिमी से नाटकीय घटनाक्रम के बाद देवेंद्र सिंह ने जिस तरह से चुनाव लड़ा और 17 राउंड की गिनती तक बन्ना गुप्ता को पछाड़ते रहे, उसने कई संभावनाओं को जन्म दे दिया है। इससे उनमें भी उत्साह जगा है कि अगर अगली बार पूरे तन मन धन से चुनाव लड़े, तो बाजी उनके हाथ भी आ सकती है। इसी उत्साह का परिणाम रहा कि चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने स्थानीय पत्रकारों के लिए लिट्टी पार्टी का आयोजन किया। शहर में आमतौर पर विजयी उम्मीदवार ही ऐसा आयोजन करते रहे हैं। इससे राजनीतिक हलकों में यह संदेश गया है कि वे लंबी पारी खेलने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। अब तक सत्ता की राजनीति से दूर रहे पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष देवेंद्र सिंह के लिए भी पत्रकारों के नजदीक आने का यह मौका भी रहा। वे सैद्धांतिक और व्यवहारिक राजनीति का अंतर भी अच्छी समझना चाहते हैं। 

रघुवर की खामोशी कर रही बेचैन

जमशेदपुर पूर्वी से विधायकी की लंबी पारी खेलने वाले रघुवर दास चुनाव में हार के बाद जिस तरह से खामोशी बरत रहे हैं, वह हर किसी को बेचैन कर रही है। रघुवर दास की पहचान आक्रामक शैली में राजनीति करने की रही है। गलती पर बिना लाग-लपेट के किसी भी व्यक्ति को आड़े हाथ लेना उनका स्वभाव रहा है, लेकिन चुनाव के बाद यह अबतक कहीं नहीं दिखा। यहां तक कि उनकी हार का जिम्मेदार बताए जा रहे नवरत्नों को भी उन्होंने पहले की तरह समेट रखा है। अपने करीबियों पर उनका भरोसा कायम दिख रहा है। उनके खेमे से भी कहीं टकराव की राजनीति होती नहीं दिख रही है। यहां तक कि जिला कार्यालय छिनने के बावजूद महानगर भाजपा अध्यक्ष दिनेश कुमार ने जिस संयम का परिचय दिया, वह तारीफ के काबिल है। बिना कोई विरोध किए नए क्वार्टर में कार्यालय खोलकर विरोधियों को जवाब भी दे दिया है। 


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