मोबाइल स्विचऑफ रखने वाले नेताजी हो गए ऑन, पढिए जमशेदपुर के सियासी महकमे की अंदरूनी खबर
वे भी इतने माहिर हो गए थे कि किससे मंत्री जी को बात कराना है किससे नहीं बहुत अच्छी तरह जानते थे। मोबाइल बंद रखने वालों के साथ जमशेदपुर में अब तक जो होता आया है वह उनके साथ भी हुआ।
जमशेदपुर, वीरेंद्र आेझा। एक विधायक जी, जो बाद में कुछ दिनों के लिए मंत्री भी बन गए थे, मोबाइल स्विचऑफ रखने की वजह से खासे लोकप्रिय हो गए थे। विधायक रहते तो संयोग-दुर्योग से उनसे बात हो भी जाती थी, मंत्री बनने के बाद तो कतई नहीं। उनसे संपर्क करने के लिए कभी रिश्तेदार, तो कभी पीए से संपर्क करना पड़ता था।
वे भी इतने माहिर हो गए थे कि किससे मंत्री जी को बात कराना है, किससे नहीं, बहुत अच्छी तरह जानते थे। मोबाइल बंद रखने वालों के साथ जमशेदपुर में अब तक जो होता आया है, वह उनके साथ भी हुआ। पूर्व होने के करीब दो साल बाद उन्हें समझ में आया तो अब सभी से फोन करके हालचाल पूछ रहे हैं। कैसे हैं, आपसे मिले तो काफी दिन हो गए, आदि डायलॉग से मधुर आवाज में बात कर रहे हैं। मोबाइल स्विचऑफ वाली छवि को धोना चाह रहे हैं।
सिल ढोते-ढोते थक कर चूर हो गए बिजय खां
बन्ना गुप्ता अब सिर्फ जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक ही नहीं रहे, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। पूरे राज्य का स्वास्थ्य देख रहे हैं। इसी व्यस्तता में वह भूल गए कि विधानसभा क्षेत्र में भी उनका काम है। एक दिन जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय पुराने दिनों की याद ताजा करने जमशेदपुर पश्चिमी में गए, तो कह दिया कि यहां तो डेढ़ साल से विकास पर ब्रेक लगा हुआ है। दो दिन बाद बन्ना गुप्ता ने अपने क्षेत्र में विकास योजनाओं की झड़ी लगा दी। समस्या थी कि इतना शिलान्यास कौन करेगा, टाइम कहां है। उनकी नजर फुर्सत में बैठे जिलाध्यक्ष बिजय खां पर पड़ी। खां ने भी दर्जनों सिल का एक दिन में शिलान्यास कर दिया है। कहीं नाली, तो कहीं सड़क। एक से दूसरी जगह दौड़ते-दौड़ते थककर चूर हो गए। रात को इतनी गहरी नींद में सोए कि चाहकर भी किसी का फोन नहीं उठा सके।
एमजीएम के नाम पर खूब चमकाई नेतागिरी
कोल्हान का सबसे बड़ा अस्पताल एमजीएम हमेशा से ही नेतागिरी चमकाने का माध्यम रहा है। हालांकि जब से बन्ना गुप्ता ने इसकी जिम्मेदारी संभाली है, इस पर विराम लग गया था। हाल के दिनों में भाजपा नेता विकास सिंह को पता चला कि यहां की सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड मशीन मरम्मत के अभाव में पड़ी है, तो उन्होंने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी को साथ लिया। एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक से कहा कि यह लीजिए 10 हजार रुपये और मशीन चालू कराइए। यह बात जिला प्रशासन तक पहुंच गई, वहां से तत्काल आश्वासन मिला कि इसकी कोई जरूरत नहीं है, 15 दिन में मशीन चालू हो जाएगी। होना भी यही था, लेकिन नेतागिरी टाइट हो गई। उधर, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने कहा कि भाजपा वाले 15 साल तक क्या कर रहे थे। अब जब स्वास्थ्य मंत्री इस अस्पताल को चमकाने में लगे हैं, तो ये नेतागिरी चमकाने पहुंच गए।
दिमाग दौड़ाया तो महामहिम से लगाई गुहार
जब से जमशेदपुर पूर्वी की सुरंग में सेंध लगी है, भाजपा में खलबली मची हुई है। शुरू में तो मैदानी लड़ाई भी हुई, लेकिन अब वाकयुद्ध ही चल रहा है। बीच-बीच में ऐसा माहौल दिखता है कि अब सबकुछ शांत हो गया है, जबकि होता नहीं है। दोनों तरफ चिनगारी अंदर ही अंदर सुलगती रहती है। यह कब किस रूप में सामने आ जाएगा, कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही कुछ दिन पहले हुआ, जब भाजपा के जमशेदपुरिया नेताओं ने दिमाग दौड़ाया और महामहिम के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच गए। वहां उन्हीं बातों को रखा गया, जिस पर पहले भी दो-तीन राउंड प्रकाश डाल चुके थे। मामला यह नहीं है कि महामहिम से न्याय की मांग की जाए। असल बात है कि सामने वाले को भी टेंशन दिया जाए। वह जानते हैं कि सामने वाले को ज्यादा दिन खाली छोड़ दिया, तो कोई बड़ा टेंशन दे देंगे।