Manoharpur Jharkhand Election Result 2019 नक्सली-पीएलएफआइ चुपचाप, मिशनरी एकतरफा
सोनुवा इलाके में भाजपा को एकतरफा वोट मिलता था यहां वोट आश्चर्यजनक रूप से बंट गया। जोबा के पक्ष में ईसाई मतदाताओं के साथ ही एंटी रघुवर वोट भी जमकर पड़े।
जमशेदपुर (विश्वजीत भट्ट)। Manoharpur Jharkhand Election Result 2019 गोइलकेरा से यदि आप सड़क मार्ग से मनोहरपुर की ओर जा रहे हैं तो सड़क के दाहिनी ओर पीएलएफआइ और बाईं ओर नक्सलियों का राज है। मतदान के पहले चुनावी पंडितों की भविष्यवाणी थी कि ये दोनों संगठन मनोहरपुर के चुनाव में बड़ा फैक्टर होंगे। हुए भी। इसे समर्थन कहें, मौन समर्थन कहें या मुंह मोड़ लेना। इन दोनों संगठनों ने जंगल महल में माहौल बनाया। ग्रामीण इलाकों में लोग झुंड के झुंड मतदान को निकले और जोबा जीत गईं।
दूसरी ओर, भाजपा के गुरुचरण नायक और उनकी पूरी टीम पश्चिमी सिंहभूम के इसी मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से सबसे अधिक चुनाव मैदान में डटे वोटकटवा उम्मीदवारों से उम्मीद लगाए रही। भाजपा की चुनावी टीम ने अपने पार्टी के प्लान पर न तो ध्यान दिया और न ही उस पर काम किया। सबसे आश्चर्यजनक ये रहा कि जिस सोनुवा इलाके में भाजपा को एकतरफा वोट मिलता था, यहां वोट आश्चर्यजनक रूप से बंट गया। जोबा के पक्ष में ईसाई मतदाताओं के साथ ही एंटी रघुवर वोट भी जमकर पड़े। आजसू के जो वोट भाजपा को मिलते थे, वे सभी वोट आजसू प्रत्याशी बिरसा मुंडा ने अपने पक्ष में कर लिया।
जानकारों का कहना है कि चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री के बयान 'बाप-बेटा चोट्टा हैÓ को झामुमो ने अपने पक्ष में भुनाया और ग्रामीणों के मन में इसे पूरी तरह से बैठा दिया। इसका बहुत बड़ा लाभ जोबा को मिला। दूसरी ओर, कस्बाई इलाके मनोहरपुर, गोइलकेरा और सोनुवा जो भाजपा के परंपरागत वोटों के गढ़ माने जाते हैं, में मतदाता निकले ही नहीं। जो थोड़े-बहुत मतदाता निकले, उनमें से अधिकतर ने नोटा का बटन दबा दिया। यहीं कारण है कि इस विधानसभा क्षेत्र में नोटा को 3083 वोट पड़ गए।
जोबा का व्यक्तित्व भी इस जीत में बहुत बड़ा फैक्टर रहा। जोबा को करीब से जानने वाले लोग यह भली भांति जानते हैं कि वर्ष भर चुनावी मोड रहती हैं। भौगोलिक रूप से मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र बहुत दुरुह है। अभी तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां गाड़ी जा ही नहीं सकती। जोबा ऐसे इलाकों को भी लगातार मथती रहती हैं। पहाड़ी पर बसे या पहाड़ी के पार बसे गांव भरी अक्सर जोबा की चहलकदमी के गवाह बनते रहते हैं। बिना किसी लाव-लश्कर के जोबा लगातार गांवों में सक्रिय रहती हैं।
जोबा कई बार मंत्री भी रह चुकी हैं, लेकिन उनके व्यक्तित्व में कभी कोई खास बदलाव महसूस नहीं किया गया। सबसे बड़े उल्लास और अपनेपन से मिलती हैं। जो जहां बुलाता है, पहुंचती हैं। यही चुनाव नहीं, हर चुनाव में उनको इसका लाभ मिलता है। जोबा 2014 से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। अपने इसी व्यक्तित्व के बल पर 1995 से हैट्रिक लगाने के बाद 2009 के चुनाव को छोड़कर अपनी पार्टी झामुमो डमोक्रेटिक के जोड़ा पत्ता निशान पर बिहार के समय से ही चुनाव जीतती आ रही हैं और बिहार-झारखंड में दो बार मंत्री भी रहीं।