नक्सली मोहन चलाएगा ट्रैक्टर, सुंदर करेगा नौकरी
संवाद सूत्र, मुसाबनी : बीते 15 मार्च को गुड़ाबांदा थाना क्षेत्र के मिलिन बीथि हाई स्कूल में आयोजित व
संवाद सूत्र, मुसाबनी : बीते 15 मार्च को गुड़ाबांदा थाना क्षेत्र के मिलिन बीथि हाई स्कूल में आयोजित विकास मेला मे प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली मोहन मुर्मू एवं सुंदर उर्फ जाडा सोरेन 18 दिसंबर को जेल से बेल पर निकल कर बाहर आने के बाद से ही समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की कवायद में जुटा हैं। मंगलवार को दोनों आरोपी नक्सली मोहन मुर्मू और सुंदर सोरेन मुसाबनी डीएसपी अजित कुमार विमल से मिलने अहले सुबह उनके आवास पहुंचे थे। डीएसपी ने दोनों को अपने आवास पर चाय-नाश्ता कराया और उनका कुशल क्षेम पूछा। सुंदर सोरेन एवं मोहन मुर्मू ने बताया कि वे लोग 9 माह 2 दिन जेल में रहने के बाद बाहर निकले हैं। अब समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने डीएसपी अजीत कुमार विमल से रोजी रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की। डीएसपी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए जो भी जरूरी उन्हें हो उन्हें हर संभव सहयोग किया जाएगा। मोहन मुर्मू को अपना ट्रैक्टर है वह ट्रैक्टर चलाकर अपना रोजी रोटी चलाएगा, तो सुंदर सोरेन कहीं भी नौकरी लगा देने की गुहार डीएसपी से लगाई। डीएसपी ने बताया कि जल्द ही सुंदर के लिए कहीं रोजगार या नौकरी की व्यवस्था की जाएगी।
डीएसपी अजित कुमार विमल ने बताया कि दोनों सरेंडर किए नक्सली को तत्काल सरकार के पुनर्वास नीति के तहत मुसाबनी के विक्रमपुर में 4-4 डिसिमिल जमीन दिये जाने संबंधी जमीन बंदोबस्ती का परवाना जारी किया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जिला मुख्यालय पूर्वी ¨सहभूम जमशेदपुर के द्वारा जमीन बंदोबस्ती संबंधी परवाना सरेंडर किए नक्सली जारा मुर्मू उर्फ मोहन मुर्मू व उनकी पत्नी झानो मुर्मू के नाम से मौजा विक्रमपुर में खाता संख्या 344 प्लॉट संख्या 1035 मैं 4 डिसमिल भूमि की बंदोबस्ती किया गया। दूसरे सरेंडर किये नक्सली सुंदर मुर्मू उर्फ सुंदर सोरेन एवं उनकी मां मानकी सोरेन के नाम से मौजा विक्रमपुर में खाता संख्या 344, प्लॉट संख्या 1513 में 4 डिसमिल जमीन का बंदोबस्ती किया गया है । बताते चलें कि दोनों नक्सली मुसाबनी के बागजांता के विक्रमपुर गाव का रहने वाला है। दोनों के पास से किसी तरह का कोई हथियार बरामद नहीं हुआ था। ये दोनों नक्सली नक्सलियों के लिए रसद पानी पहुंचाने का काम किया करते थे।