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Ram Mandir : सोनारी राम मंदिर में होगी नवग्रह मूर्तियों की स्थापना, की जा रही है विशेष तैयारी

Ram Mandir.सोनारी के राम मंदिर में सोमवार को नवग्रह मूर्तियों की स्थापना होनेवाली है। इसके लिए मंदिर कमेटी के उपाध्यक्ष नवीन दास और उनकी टीम ओडिशा के किचिंग से नवग्रह मूर्तियां लेकर शहर आ चुके हैं। मूर्तियों की खासियत है कि ब्लैक स्टोन से तैयार की गइ है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 03:43 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 03:43 PM (IST)
Ram Mandir  : सोनारी राम मंदिर में होगी नवग्रह मूर्तियों की स्थापना, की जा रही है विशेष तैयारी
मंदिर प्रांगण में सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक सभी मूर्तियों की स्थाना होगी।

जमशेदपुर, जासं। सोनारी के राम मंदिर में सोमवार को नवग्रह मूर्तियों की स्थापना होनेवाली है। इसके लिए मंदिर कमेटी के उपाध्यक्ष नवीन दास और उनकी टीम ओडिशा के किचिंग से नवग्रह मूर्तियां लेकर शहर आ चुके हैं। इन मूर्तियों की खासियत है कि ब्लैक स्टोन से तैयार की गइ है।

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मंदिर प्रांगण में सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक सभी मूर्तियों की स्थाना होगी। नवग्रह मूर्तियों में बुध, शुक्र, राहू, केतु, शनि, मंगल, रवि, सोम, गुरु जैसे देवताओं की मूर्तियां लाए गए हैं। जिनकी प्राण प्रतिष्ठा कोलकाता से आए आचार्य अंशुमान शास्त्री निगमयानंद शीर्षनाथ सहित उनके साथ दो और आचार्य आए हैं जो पूरी तरह से विधि-विधान से मूर्तियों की स्थापना करेंगे। आचार्य अंशुमान शास्त्री बताते हैं कि नवग्रह हर व्यक्ति के जीवन की कुंडली में बैठे हुए हैं। जिससे ही जीवन का आधार है। सुख-दुख, लाभ-हानि, मंगल-अमंगल, पाप-पुण्य, ये सभी नवग्रह के कारण हमारे जीवन में घटित होते हैं। इसलिए नवग्रह की पूजा करने से जो पीड़ित ग्रह है, जिससे जीवन में भारी नुकसान आने वाला है, पूजा करने से वह शांत होता है। फिर चाहे कालसर्प हो, मांगलिक हो, गुरु चंडाली हो या फिर केमधुत व विष योग।

शांति नवग्रह का पूजा से संभव

उन्होंने कहा कि इन सभी की शांति नवग्रह का पूजा से संभव है। क्योंकि कालसर्प में राहू से, मांगलिक मंगल से बनता है। यदि कुंडली में मंगल अष्टम भाग में बैठा है तो मारक और सप्तम बैठा है तो दाम्पत्य को नुकसान होता है। इसलिए दोषों के निवारण के लिए नवग्रह पूजा आवश्यक है। आचार्य ने बताया कि हर ग्रह के अपने ईष्ट देवता होते हैं जिनकी पूजा करनी चाहिए। इसमें वृहस्पति के लिए तारा, बुध के लिए सरस बाला त्रिपुरा सुंदरी, शनि के लिए दक्षिण कालिका, केतू के लिए धूमावती, मंगल के लिए बंगला मुखी, राहू के लिए छिन्नमस्ता, शुक्र के लिए जय दुर्गा और सोम के लिए शैल पुत्री या महागौरी है। नवीन दास ने सभी शहरवासियों को कोविड-19 के नियमों का अनुपालन करते हुए इस आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।


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