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रोज घी में मिश्री मिलाकर खाने और फिर गाय का दूध पीने से ठीक हो जाती है हकलाने की बीमारी, ये रही पूरी जानकारी

Naturopathy एक रोज 3 से 6 ग्राम घी में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम चाटकर खाना और ऊपर से गाय का दूध पीना भी एक निदान है। लगातार कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से तुतलाना (हकलाना) बंद हो जाता है। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 11:36 AM (IST)Updated: Fri, 02 Jul 2021 11:36 AM (IST)
रोज घी में मिश्री मिलाकर खाने और फिर गाय का दूध पीने से ठीक हो जाती है हकलाने की बीमारी, ये रही पूरी जानकारी
प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय दे रहीं प्राकृतिक इलाज की जानकारी।

जमशेदपुर, जासं। कुछ लोग जल्दी-जल्दी शब्दों को ठीक से नहीं बोल पाते हैं। बोलते समय बात को दोहराते हैं या रुक जाते हैं। इसे हकलाना कहते हैं। हकलाने वाले व्यक्ति कुछ अक्षरों प, ब, ट, ड, ग, क आदि ठीक तरह से नहीं बोल पाते, जिसके कारण शब्दों को बोलने में हकलाने, तुतलाने या रुक-रुककर बोलने में परेशानी होने लगती है।

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कुछ बच्चे या व्यक्ति जीभ मोटी होने के कारण भी तुतलाते रहते हैं। बोलने में काम आने वाली मांसपेशियों के स्नायुओं का नियंत्रण दोषपूर्ण होने से कोई भी शब्द बोलने में रुकावट आती रहती है, जिससे तुतलापन या हकलापन उत्पन्न होता है।  शहर की प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय कई तरह के प्राकृतिक इलाज की जानकारी दे रही हैं, जिसमें एक रोज 3 से 6 ग्राम घी में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम चाटकर खाना और ऊपर से गाय का दूध पीना भी एक निदान है। लगातार कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से तुतलाना (हकलाना) बंद हो जाता है।

इसके अलावा अन्य उपायों में

  बादाम : रोजाना 10 से 12 बादाम पानी में भिगोकर रखें। इनके फूल जाने पर छिलका छीलकर इसकी गिरि को पीस लें और इसमें 25 से 30 ग्राम मक्खन मिलाकर खाएं। कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से तुतलापन ठीक हो जाता है।

  दूध : हकलापन खत्म करने के लिये 10 ग्राम दूध और 250 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार मक्खन के साथ खाने से हकलापन दूर हो जाता है।

दालचीनी : दालचीनी को रोजाना सुबह-शाम चबाने से हकलापन दूर होता है।

  ब्राह्मी घी : 6 ग्राम से 10 ग्राम ब्राह्मी घी में इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर रोजाना सुबह-शाम खाने से तुतलाना, हकलाना और आवाज साफ न निकलना दूर हो जाता है।

सौंफ : 5 ग्राम सौंफ को थोड़ा कूटकर 300 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। उबलने पर 100 मिलीलीटर पानी बच जाने पर इसे उतारकर इसमें 50 ग्राम मिश्री तथा 250 मिलीलीटर दूध मिलाकर रोजाना सोने से पहले पीयें। लगातार कुछ दिनों तक इसके सेवन से हकलापन ठीक हो जाता है।

  छुहारा : रोजाना रात को सोते समय एक छुहारे को दूध में डालकर उबालकर पी लें। इसको पीने के 2 घंटे बाद तक पानी न पीयें। इसके रोजाना प्रयोग से तीखी, भोंडी आवाज साफ हो जाती है।

  इलायची : हकलाहट या तुतलाहट में छोटी इलायची, कुलंजन, अकरकरा, वच तथा लौंग सभी का 25-25 ग्राम चूर्ण बनाकर रख लें। फिर इसमें 5 ग्राम कस्तूरी मिला लें। इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम, ब्राह्मणी रस के साथ 2-3 महीने तक लगातार भोजन करने के आधे घंटे बाद 3-3 ढक्कन सारस्वतारिष्ट और इतना ही पानी मिलाकर सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।

  तेजपत्ता : तेजपत्ता के पत्ते को नियमित रूप से कुछ दिन तक चूसते रहने से हकलापन दूर हो जाता है। रुक-रुक कर बोलने वाले या हकलाने वाले व्यक्ति को तेजपत्ता जीभ के नीचे रखने से हकलापन तथा रुक-रुककर बोलना दूर हो जाता है।

  कालीमिर्च : थोड़े से दाने कालीमिर्च के और बादाम की 7 से 8 गिरि को पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी में मिश्री मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट रोगी को खिलाने से हकलापन ठीक हो जाता है। जीभ के तुतलापन में 5-5 ग्राम कालीमिर्च और नौसादर को पीसकर तथा छानकर 50 ग्राम शहद में मिला लें। 3 ग्राम की मात्रा में इस मिश्रण को सुबह-शाम जीभ पर मलें तथा मुंह से निकले गंदे लार को बाहर गिरने दें। इससे जबान साफ होती है और जीभ का तुतलापन खत्म होता है।

  आंवला : बच्चे को एक ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिए देने से उनकी जीभ पतली और आवाज साफ होती है तथा उनका हकलापन और तुतलापन दूर हो जाता है। कच्चे, पके हरे आंवले को चूसकर अनेक बार सेवन करें, इससे हकलाना बंद हो जाता है।

  मक्खन : दिन में 3 से 4 बार मक्खन में चीनी मिलाकर चाटने से जीभ के मोटी होने के कारण होने वाला तुतलापन ठीक हो जाता है। कालीमिर्च का चूर्ण बनाकर मक्खन में मिलाकर सुबह खाने से रोजाना प्रयोग से हकलाना बंद हो जाता है।

  फिटकरी : रोजाना सोते समय मूंग की दाल के बराबर फिटकरी का टुकड़ा मुंह में रखकर सोने से तुतलाने का रोग ठीक हो जाता है। फिटकरी को भूनकर रोजाना रात को सोते समय 2 ग्राम चूर्ण को जीभ पर रखें और 4-5 मिनट बाद कुल्ला कर लें। कुछ महीनों तक इसका प्रयोग करने से रोग में लाभकारी होता है।


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