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National Nutrition Week: किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है कुपोषण, इन बातों का रखें ध्यान

कुपोषण उम्र देखकर नहीं होता। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके देखते हुए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए जानिए किस तरह हम कुपोषण को दूर भगा सकते हैं। जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की डायटीशियन अन्नू सिन्हा बता रहीं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 11:58 AM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 11:58 AM (IST)
National Nutrition Week: किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है कुपोषण, इन बातों का रखें ध्यान
एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डायटीशियन अन्नू सिन्हा।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लंबे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण कहलाता है। अक्सर हम यह सोचते हैं कि कुपोषण बच्चों एवं महिलाओं को ही होता है लेकिन ऐसा नहीं है। कुपोषण उम्र पर निर्भर नहीं करता है। कुपोषण के कारण महिलाओं में रक्त की कमी या एनीमिया तथा घेघा रोग, बच्चों में सूखा रोग एवं रतौंधी जैसी बीमारी होती है। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डायटीशियन अन्नू सिन्हा ने बताया कि कुपोषण का लक्षण हाथ पैर पतला एवं पेट का आकार बड़ा हो जाता है। यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है।

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शहरी क्षेत्रों में भी कुपोषण के मामले

कुपोषण सिर्फ ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। डायटीशियन अन्नू सिन्हा ने बताया कि कुपोषण का सबसे बड़ा कारण संतुलित आहार ना लेना होना है। संतुलित आहार में दाल, चावल, रोटी, दूध, फल, सब्जी एवं घी का पर्याप्त मात्रा होती है। इससे शरीर को विमाटीन,मिनरल, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर आदि प्राप्त होता है, जो शारीरिक विकास में मदद करता है। साथ ही, खेलकूद व कार्य करने की क्षमता मिलती है।

बच्चों को संतुलित आहार देना चाहिए

बच्चों के लिए संतुलित आहार जरूरी है। इसके लिए सुबह में नाश्ते में रोटी, सब्जी के साथ-साथ एक गिलास दूध लेना चाहिए। बच्चों को अंडा, पनीर आदि भी लेना चाहिए, क्योंकि बच्चों को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है। हरी सब्जी एवं मौसमी फल बच्चों को जरूर देना चाहिए। फास्ट-फूड से बच्चों को दूर रखें। क्योंकि इसमें कैलोरी एवं रसायनिक तत्व ज्यादा होते हैं लेकिन पोषण ना के बराबर मिलता है।

0 से दो साल तक के बच्चों को डाइट

- 0 से 6 माह के बीच : इस दौरान बच्चों को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। इसके अलावा कुछ नहीं देना चाहिए।

- 6 से 24 माह के बीच : बच्चों को मां के दूध के अलावा सेमी लिक्विड चावल, दाल, अंडा की सफेदी एवं फल देना चाहिए।

- 2 से छह साल के बीच : इस उम्र में बच्चों को चावल, साबुरदाना की खीर, पनीर, दलिया, खजुर, रोटी, सब्जी, अंडा, मीट आदि देना चाहिए।

- छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे को रोटी, हरी एवं मौसमी सब्जी, दूध, दूध से बनी बस्तुएं, पनीर, अंडा, मांस, मछली, दाल, चावल, मौसमी फल एवं ड्राई फ्रूट्स देना चाहिए।

बड़े लोगों में भी होता कुपोषण

कुपोषण सिर्फ बच्चों में ही नहीं बल्कि बड़े लोगों को भी होता है परंतु जबतक यह एक्यूट नहीं होता तब तक यह पता नहीं चलता है। बड़े लोग यह सोचते हैं कि हमने नाश्ता, खाना खा लिया है तो कुपोषण नहीं होता। ऐसा नहीं है। अगर पोषण नहीं मिला तो वे भी कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।


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