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Jamshedpur News : सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन व तुलसी भवन के महासचिव नर्मदेश्वर पांडेय नहीं रहे

Narmadeshwar Pandey Pass away सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन व बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के मानद महासचिव डा. नर्मदेश्वर पांडेय का रविवार को निधन हो गया। करीब एक वर्ष से बीमार चल रहे डा. पांडेय किडनी रोग से ग्रस्त थे। उनका टीएमएच में इलाज चल रहा था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 06:04 PM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 09:12 AM (IST)
Jamshedpur News : सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन व तुलसी भवन के महासचिव नर्मदेश्वर पांडेय नहीं रहे
डा. नर्मदेश्वर पांडेय टाटा स्टील (सीमेंट डिवीजन) के पूर्व कर्मचारी थे।

जमशेदपुर, जासं। सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन व बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के मानद महासचिव डा. नर्मदेश्वर पांडेय का रविवार को निधन हो गया। करीब एक वर्ष से बीमार चल रहे डा. पांडेय किडनी रोग से ग्रस्त थे। उनका टीएमएच में इलाज चल रहा था।

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18 जनवरी 1952 को जन्मे डा. पांडेय टाटा स्टील (सीमेंट डिवीजन) के पूर्व कर्मचारी थे। पांडेय भोजपुरी साहित्य परिषद के भी अध्यक्ष रहे। उनका अंतिम संस्कार रविवार को भूइयांडीह स्थित स्वर्णरेखा बर्निंग घाट पर कर दिया गया, जहां उनके बड़े पुत्र आलोक पांडेय ने मुखाग्नि दी।

सूरीनाम भी गए थे

नर्मदेश्वर पांडेय 2003 में सूरीनाम भी गए थे। सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन में डा. नर्मदेश्वर पांडेय झारखंड सरकार के प्रतिनिधि साहित्यकार के रूप में सूरीनाम भेजे गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने डा. बच्चन पाठक सलिल व पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू के अलावा डा. पांडेय को भी सूरीनाम भेजा था। तुलसी भवन का मानद महासचिव रहने के दौरान उन्होंने पूरे परिसर का कायाकल्प किया। साहित्यिक गतिविधियों के साथ साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने में भी उनका काफी योगदान रहा।

अंत्येष्टि में हुए शामिल

डा. नर्मदेश्वर पांडेय के अंतिम संस्कार के समय भूइयांडीह स्थित स्वर्णरेखा बर्निंग घाट पर तुलसी भवन के ट्रस्टी अरुण तिवारी, यमुना तिवारी व्यथित, दिनेश्वर प्रसाद सिंह दिनेश, अरविंद विद्रोही, डा. अजय ओझा, शैलेंद्र पांडेय शैल, अशोक पाठक स्नेही, कैलाश नाथ शर्मा गाजीपुरी, प्रसेनजीत तिवारी, प्रकाश मेहता समेत कई साहित्यकार व साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

मानगो में रहता परिवार

डा. नर्मदेश्वर पांडेय मानगो स्थित ओल्ड पुरुलिया रोड में रहते थे। वह अपने पीछे तीन पुत्र व दो पुत्री समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर से शहर के साहित्यकारों में शोक की लहर है।


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