दुर्गापूजा में भोग वितरण मामले में अभय समेत सात पर नामजद केस Jamshedpur News
Jamshedpur News ठाकुर प्यारा सिंह धुरंधर सिंह दुर्गापूजा कमेटी के मुख्य संरक्षक अभय सिंह समेत सात पर नामजद व 40 अज्ञात पर कोविड को लेकर जारी दिशा-निर्देश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। जानिए क्या है पूरा मामला।
जमशेदपुर, जासं। भाजपा नेता व ठाकुर प्यारा सिंह धुरंधर सिंह दुर्गापूजा कमेटी के मुख्य संरक्षक अभय सिंह पर दुर्गापूजा के दौरान भोग वितरण करने के मामले में केस हुआ। साकची थाने में तत्कालीन दंडाधिकारी राजकुमार मंडल की ओर से दो नवंबर को दर्ज कराए गए मामले में अभय सिंह समेत सात पर नामजद व 40 अज्ञात पर कोविड को लेकर जारी दिशा-निर्देश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।
इस पर अभय सिंह ने कहा कि उन्हें मंगलवार को केस की प्रति मिली है। इस मामले में काशीडीह निवासी अभय सिंह के अलावा जिन्हें नामजद बनाया गया है, उसमें मोनू सिंह (काशीडीह), शिवेंद्र सिंह उर्फ शिबू सिंह (कुलसी रोड, साकची), प्रमोद शुक्ला उर्फ बबलू पंडित (काशीडीह), सुरेंद्र शर्मा (काशीडीह), विजय चौधरी (गुरुद्वारा बस्ती, साकची) व उपेंद्र ठाकुर (काशीडीह) शामिल हैं। दर्ज शिकायत में राजकुमार मंडल ने लिखा है कि मैं 13 अक्टूबर को काशीडीह स्थित ठाकुर प्यारा सिंह धुरंधर सिंह के दुर्गापूजा में मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्त था। उस दिन आरोपितों द्वारा भोग वितरण किया जा रहा था। बिना मास्क, हैंड ग्लब्स एवं बिना शारीरिक दूरी का पालन किए भोग वितरण किया जा रहा था। उस समय झारखंड सरकार द्वारा इस तरह का आयोजन प्रतिबंधित था। विधि-व्यवस्था में व्यस्त रहने की वजह से आवेदन देने में विलंब हुआ है।
अभय ने दी आंदोलन की चेतावनी
उन्हाेंने कहा कि मंत्री बन्ना गुप्ता के इशारे पर यह कार्रवाई की गई है, जिसके खिलाफ वे गुरुवार को आंदोलन की घोषणा करेंगे। ज्ञात हो कि 13 अक्टूबर को दुर्गापूजा की महाअष्टमी के दिन काशीडीह पूजा पंडाल के पास स्थित शिव मंदिर से भोग वितरण किया जा रहा था। उस समय उपायुक्त सूरज कुमार वहां निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन्होंने भोग वितरण रोक दिया था, जिसके बाद अभय सिंह ने उपायुक्त से तीखी बहस की थी। इसके बाद तमाम दुर्गापूजा कमेटियों ने जिला प्रशासन से माफी नहीं मांगने पर विसर्जन रोकने की चेतावनी दी थी। इस पर अपर जिला दंडाधिकारी नंदकिशोर लाल वहां गए और कमेटियों से बात करके मामले को शांत करा दिया था। अगले दिन सभी कमेटियों ने प्रतिमा विसर्जन कर दिया, लेकिन करीब एक माह बाद इस बात इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा केस दर्ज कराने की बात सामने आई है।