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शहीद हो गया जहरा का लाल, वावैला

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मोहर्रम की नवीं तारीख को रसूल, अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा के चाह

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 11:45 PM (IST)
शहीद हो गया जहरा का लाल, वावैला
शहीद हो गया जहरा का लाल, वावैला

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मोहर्रम की नवीं तारीख को रसूल, अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा के चाहने वालों ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और कर्बला के शहीदों का गम मनाया। ताजिया के जुलूस निकाले गए। मानगो, जुगसलाई, टेल्को, साकची, शास्त्रीनगर आदि इलाकों में मजलिसों व जिक्र ए हुसैन में इमाम हुसैन और उनके छह महीने के बच्चे अली असगर की शहादत का जिक्र हुआ तो लोगों की आखें नम हो गईं। अजादार फूट-फूट कर रोए। इमामबाड़ों पर हजरत इमाम हुसैन की नजर व नियाज दिलाई गई।

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रात 9:00 बजे साकची के वेल्लार रोड में हुसैनी मिशन के इमामबाड़े में मजलिस को मौलाना शाबान अली ने खिताब फरमाया। मजलिस के बाद अलम के जुलूस निकले जो साकची गोल चक्कर तक गया। जुलूस में शामिल बच्चे आलम उठाए हुए थे। या हुसैन की सदाएं हर तरफ से बुलंद हो रही थीं। नौहाखानी और सीनाजनी हुई। शाकिर ने नौहा पढा गर्म रेती पर पड़ा हूं मैं संभालो अम्मा। खुर्शीद ने नौहा पढा हाय मेरा अकबर ए जवा। साकची गोल चक्कर पर अजादारों ने पीठ पर जंजीर का भी मातम किया। जुलूस वापस हुसैनी मिशन की इमाम बाड़े में आकर खत्म हुआ। साकची के ही मोहनी रोड स्थित हुसैनी मिशन वेलफेयर सोसाइटी की तरफ से हुई मजलिस के बाद भी मातमी जुलूस निकला और साकची गोलचक्कर तक गया। इस जुलूस में भी नौहाखानी और सीनाजनी हुई।

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बच्चे अली असगर को कत्ल कर डाला

सुबह साढ़े 10 बजे मानगो के जाकिर नगर स्थित इमाम बारगाह हजरत अबूतालिब में हुई। मजलिस में मौलाना शौकत ने पढा कि 10 मोहर्रम को इमाम हुसैन के खेमे में तीन दिन से पानी खत्म था। बच्चे पानी पानी चिल्ला रहे थे। इमाम हुसैन का छह महीने का बच्चा अली असगर भी प्यासा था। इमाम हुसैन अपने जवान बेटे 18 साल के अली अकबर को कुर्बान कर चुके। भाई अब्बास की कुर्बानी पेश कर चुके। भतीजे कासिम की शहादत हो चुकी। मैदान में आकर आवाज दी है कोई जो मेरी मदद को आए। ये आवाज फिजा में गूंजी तो खेमें से महिलाओं के रोने की आवाज बुलंद हुई। इमाम हुसैन खेमे में आए तो पता चला कि मदद की आवाज सुनकर छह माह के बेटे अली असगर ने खुद को झूले से गिरा दिया है। इमाम हुसैन ने अली असगर की मा रबाब से कहा लाओ बच्चे को पानी पिला लाऊं। इमाम बच्चे को लेकर मैदान में आए और पानी का सवाल किया। यजीदी फौज की तरफ से एक राक्षस हुरमुला ने तीर से बच्चे को कत्ल कर दिया। अब इमाम हुसैन अपनी कुर्बानी पेश करने मैदान की तरफ चले तो उनकी चार साल की बेटी सकीना घोड़े के पैरों से लिपट कर फरियाद करने लगी। ऐ मेरे बाबा के घोड़े मेरे बाबा को मैदान में न लेजा। जो भी मैदान में गया है। वापस नहीं आया। इमाम ने घोड़े से उतर कर सकीना को समझाया। बेटी नाना की उम्मत को बख्शवाना है। सकीना बोली बाबा आप जानते हैं। मुझे आपके सीने पर ही नींद आती है। मैं अब कैसे सोऊंगी। अच्छा बाबा एक बार लेट जाएं मैं आपके सीने पर लेट जाऊं। हुसैन गर्म रेत पर लेटे। सकीना उनके सीने पर लेट गईं। सकीना से रुखसत होकर हुसैन मैदान में आए और शहीद हुए। हुसैन की शहादत के बाद यजीदी राक्षसों ने हुसैन के खेमों पर हमला कर आग लगा दी और महिलाओं व बच्चों को कैद कर लिया।

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जाकिर नगर में हुई रात भर शब्बेदारी

मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबाड़ा हजरत अबू तालिब में रात भर शबबेदारी हुई। उलेमा की तकरीर हुई और नौहाखानी और सीनाजनी का सिलसिला चला। इमाम हुसैन के ताबूत भी बरामद हुए।

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अखाड़ों के जुलूस में लगे या हुसैन के नारे

शहर के मागो शास्त्री नगर सोनारीए जुगसलाई आदि इलाकों में अखाड़ों के जुलूस निकले। जुलूस में इमाम हुसैन के परचम बुलंद थे। लोग या अली या हुसैन के नारे लगा रहे थे। साकची के मोहम्मडन लाइन में भी जुलूस निकला। बिष्टुपुर में चूनाशाह बाबा की मजार से ताजिया का जुलूस निकला। इमामबाड़े पर ताजिया रखा गया। सोनारी के रौनक अखाड़े में भी फातेहाखानी हुई। रौनक अखाड़े के बादशाह अली ने बताया कि रात को इमामबाड़े पर ताजिया रखा गया और फातिहा खानी हुई। दसवीं मोहर्रम को इमामबाड़े से ताजिया का जुलूस निकलेगा।


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