Motivational Stories : कभी बैकबेंचर थी यह लड़की, आज टाटा मोटर्स की नौकरी छोड़ कमा रही करोड़ों
Inspiring Stories नाम शिल्पा सिंह। कभी स्कूल में बैंकबेंचर हुआ करती थी। एमबीए किसी तरह पास की पर प्लेसमेंट नहीं हुआ। बाद में टाटा मोटर्स में नौकरी हुई। मन नहीं लगा और नौकरी छोड़ दी। इस आत्मविश्वासी लड़की कहानी पढ़ आप भी जोश से भर जाएंगे...
जमशेदपुर, जासं। आप अपने जीवन को फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं। मैं आपको अपने सर्वश्रेष्ठ जीवन की नई पारी बनाने में मदद करूंगी। यह जीवन आपको हर दिन अपने सपनों का जीवन बनाने के लिए उत्साहित करेगा। मेरा उद्देश्य आपको प्रेरणा के साथ जीने के लिए कौशल और माध्यमों के साथ प्रेरित और लैस करेगा। आप यह महसूस करेंगे कि इसे शुरू करने में कभी देर नहीं होती है।
यह वह वादा है, जो शिल्पा सिंह उन लोगों के लिए पेश करती है, जो उसकी ऑनलाइन प्रेरक कार्यशालाओं में नामांकन कराते हैं। आपको यकीन नहीं होगा कि यह लड़की कभी इतनी शर्मीली थी कि क्लास में भी छिपकर बैठती थी, ताकि शिक्षकों की नजर उस पर न चली जाए।
धूप में खड़े होकर क्रेडिट कार्ड बेचती थी शिल्पा
शिल्पा सिंह ने अपने कॅरियर की शुरुआत 2004 में मुंबई में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में क्रेडिट कार्ड सेल्स एक्जीक्यूटिव के रूप में की थी। धूप में खड़े होकर कियोस्क के नीचे क्रेडिट कार्ड बेचती थी। इसके बाद इफको-टोकियो, यूनिवर्सल सोम्पो और टाटा मोटर्स में काम करते हुए शिल्पा ने महसूस किया कि जीवन का उद्देश्य केवल कमाई नहीं है।
वह कहती हैं कि मैंने अपने स्कूली दिनों में खुद को दुखी पाया। मैं धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल सकती थी। यहां तक कि सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग नहीं लेती थी। वह आज एक लाइफ कोच के रूप में लोगों को आत्मविश्वास और खुशहाल जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
इंदौर की रहने वाली हैं शिल्पा
शिल्पा इंदौर की रहने वाली हैं। वह तीन बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता की एक कपड़े की दुकान है और मां गृहिणी हैं। शिल्पा ने 1999 में सेंट राफेल के हायर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी की और गुजराती गर्ल्स कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने मुंबई के ICFAI Business School में MBA के लिए दाखिला लिया। यह पहली बार था, जब उसने अपने कम्फर्ट जोन से बाहर कदम रखा।
स्नातक स्तर की पढ़ाई तक वह हमेशा इंदौर में अपने माता-पिता के साथ रहती थी। शिल्पा को याद है कि उन्होंने किसी करियर के उद्देश्य से एमबीए नहीं किया था, बल्कि सिर्फ इसलिए कि उनके दोस्तों सहित कई लोग इसे चुन रहे थे। एमबीए की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही। शुरुआत में उसे अपनी पढ़ाई का सामना करने में मुश्किल हुई। पहले सेमेस्टर में ही असफल होने के बाद वह इसे छोड़ना चाहती थी, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे कोर्स पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सहपाठी से हुआ प्यार, बन गए जीवनसाथी
पढ़ाई के दौरान ही शिल्पा को सहपाठी अभिषेक सिंह से प्यार हो गया था। वह उसे हंसाता रहता था। हालांकि जब उसने सहपाठी को शादी करने का ऑफर दिया तो उसने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन मन ही मन उसके प्यार में पागल हो गया था। सौभाग्य से चीजें बदल गईं, जब अभिषेक ने उसके प्यार को स्वीकार कर लिया। ये दोनों 2007 में शादी के बंधन में बंध गए।
अभिषेक आज एक सफल बीमा एजेंट हैं। बहरहाल, शिल्पा को कैंपस प्लेसमेंट में नौकरी नहीं मिली। वह चयन प्रक्रिया के दौरान समूह चर्चा के दौर को पास करने में हमेशा विफल रहती थी। किसी तरह एक दोस्त के जरिए शिल्पा को स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में क्रेडिट कार्ड सेल्स एक्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई।
किस्मत बदलती गई
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की छोटी सी नौकरी के बाद शिल्पा को बेहतर नौकरी मिली। उन्होंने इफको-टोकियो (2005-08), यूनिवर्सल सोम्पो (2008-16) और टाटा मोटर्स (2016-19) में काम किया। टाटा मोटर्स में अपनी नौकरी छोड़ने के समय वह प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख रुपये कमा रही थी। आज शिल्पा उसकी खुद की मालिक है, और कई लोगों को अपने पुराने ढर्रे वाली जिंदगी से बाहर आने के लिए प्रेरित कर रही है।
उसका स्टार्टर कोर्स पांच दिवसीय कार्यक्रम है, जो रोजाना सुबह पांच बजे शुरू होता है। इसके लिए वह 199 रुपये लेती है। वह 5,000 रुपये के शुल्क पर 21 दिन का कार्यक्रम और 3,699 रुपये में 30 दिन का कार्यक्रम भी चलाती है। शिल्पा अब तक अपने कोर्स के माध्यम से लगभग 30,000 लोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित कर चुकी है। इनमें से कुछ ऑस्ट्रेलिया और दुबई से भी थे।
जिंदगी बदलने का तरीका सिखाने के पहले खुद सीखा
शिल्पा कहती हैं कि मुझे पहले कभी अपने ऊपर भी इतना विश्वास नहीं था कि मैं जीवन में कुछ कर सकूंगी। मैं चिंतित रहती थी। इसी बीच मैंने लॉ ऑफ अट्रैक्शन के बारे में जाना-सीखा और मेरी जिंदगी बदल गई। अच्छी चीजों की उम्मीदों वाला एक सकारात्मक दिमाग आमतौर पर वह आकर्षित करता है जिसकी वह अपेक्षा करता है। वहीं एक नकारात्मक दिमाग उसी तरफ आकर्षित होता है, जिससे वह डरता है।
नॉर्मन विंसेंट पील की द पावर ऑफ़ पॉज़िटिव थिंकिंग और नेपोलियन हिल की थिंक एंड ग्रो रिच जैसी बेस्टसेलिंग किताबें इसी दर्शन पर आधारित थीं। आज प्रोफेशनल लाइफ ट्रेनर लोगों को सकारात्मक सोच के लिए ही प्रेरित व प्रशिक्षित करते हैं। उन्हें अनुशासित और उत्पादक जीवन या प्रोडक्टिव लाइफ जीने में मदद करते हैं।
शिल्पा ने मई 2019 में ऐसा ही एक कोच हायर किया था और जब उन्होंने अपने जीवन में बदलाव देखे तो उन्होंने खुद लाइफ कोच बनने का फैसला किया। उसने टाटा मोटर्स में अपनी नौकरी छोड़ दी और कुल 2500 घंटों के लिए 15 अलग-अलग कोचों के तहत प्रशिक्षण लिया। शिल्पा बताती हैं कि मैंने 36 साल की उम्र में शून्य से शुरुआत की थी। मैंने अपनी सारी बचत के 15 लाख रुपये लाइफ कोच बनने के लिए निवेश कर दिए थे।
कोरोना में झेलनी पड़ी फाकाकशी
शिल्पा कहती हैं कि कोरोना महामारी के दौरान उन्हें फाकाकशी झेलनी पड़ी। इस दौरान अपना घर बिना किसी लाभ के बेच दिया और एक किराए के घर में रहने लगे। इसमें वे एक वर्ष से अधिक समय तक रहे। इस दौरान भी शिल्पा के पास लाइफ ट्रेनिंग कोर्स के लिए लोग आ रहे थे। मैंने मेडी-सिन चिल्ड्रेन नामक एक पुस्तक भी लिखी, जो प्राकृतिक उपचार पर है।
आज शिल्पा अपने पति और अपने दो बच्चों के साथ मुंबई के वालाड में आलीशान घर में रहती हैं, जिसकी कीमत लगभग तीन करोड़ रुपये है।