मां रुठी... गोद छूटी... मैं बिकने पहुंच गया बाजार, ममता हुई शर्मशार
एक लाचार मां अपने बच्चे को किसी दूसरे को देने का सौदा कर रही थी ताकि नवजात को भरपेट दूध नसीब हो सके। चाईबासा की रहने वाली एक महिला के पति की मौत कुछ माह पहले ही हो गई थी। उसके बाद उसे कोई दूसरा विकल्प नहीं दिख रहा था।
जमशेदपुर, गुरदीप राज। जिस कोख में मैं नौ माह रहा, वहां से बाहर पैर बढ़ाते ही बदकिस्मती ने मेरा माथा चूमा था। कोख रुठ गई, गोद छूट गई। मां मुंह फेर कर जाने कहां चली गई। मैंने तो खुली हवा में ठीक से सांस लेना भी शुरू नहीं किया था कि मुझे लेने के लिए सौदागरों की भीड़ लग गई। मेरे इर्द-गिर्द अनजान हाथों का घेरा बढ़ता नजर आया। मां ने मुझे उठाकर किसी और के हाथों सौंप दिया। इतनी पत्थर दिल मां भी होती है यह मुझे इस दुनिया में आने के बाद ही पता चला।
हालांकि, जिन हाथों में मुझे सौंपा गया उन डरावने हाथों से अलग थे। बिल्कुल नरम, स्पर्श... प्यार से सहलाते हुए उन हाथों ने मुझे थाम लिया। जब मैं उनके घर पहुंचा तो वहां बहुत सारे मेरे जैसे ही दुलारे अपनी मां को तरस रहे थे। भले ही मां ने उनलोगों को अपने से अलग कर दिया हो लेकिन रोते वक्त मां को ही पुकार रहे थे। यह हाव भाव सात दिन के नवजात के चेहरे पर झलक रहे थे। लाख बेगानी निकाली नवजात की मां लेकिन नवजात की आंखें अपनी मां को ही तलाश रही थी। यह वाकया टाटानगर स्टेशन के समीप संकटा सिंह पेट्रोल पंप के पास हुआ। जब एक लाचार मां अपने बच्चे को किसी दूसरे को देने का सौदा कर रही थी ताकि नवजात को भरपेट दूध नसीब हो सके।
ये है मामला
चाईबासा की रहने वाली एक महिला के पति की मौत कुछ माह पहले ही हो गई थी। पति की मौत के बाद गुजारा मुश्किल से चलने लगा। किसी के बहकावे में आकर एक माह पहले महिला जमशेदपुर आ गई। सात दिन पहले स्टेशन परिसर में ही उसने एक नवजात को जन्म दिया। नवजात के जन्म लेने के बाद उसे भरण पोषण के लिए उसे परेशानी होने लगी तो महिला परेशान हो गई। स्टेशन परिसर व आसपास सभी उक्त महिला को बुरी निगाह से ही देखते थे। ऐसे में एक व्यक्ति ने महिला से बच्चे को गोद लेने की इच्छा जाहिर की तो महिला ने उस बच्चे को देने के लिए उस व्यक्ति से सौदा कर लिया ताकि नवजात को भरपेट दूध मिल सके। बदले में कुछ रकम मिल जाए तो वह अपना गुजर बसर कर सके।
संकटा सिंह पेट्रोल पंप के समीप हो रहा था सौदा
यह सौदा संकटा सिंह पेट्रोल पंप के समीप हो रहा था। इस दौरान वहां से कुछ दूरी पर खड़े नरेंद्र सिंह नामक एक व्यक्ति की नजर पड़ी तो उसने हस्तक्षेप किया तो सौदा कर रहा व्यक्ति वहां से भाग गया। तब तक जुगसलाई थाना की पेट्रोलिंग जीप वहां से गुजर रही थी तो उसे रोक कर पूरी जानकारी दी गई। जुगसलाई पुलिस ने मामले की जानकारी रेलवे चाइल्ड लाइन की समन्वयक एम अरविंदा को देते हुए नवजात व उसकी मां को चाइल्ड लाइन के हवाले कर पुलिस चली गई।
मां ने नवजात को रखने से किया इंकार
चाइल्ड लाइन में नवजात की मां ने नवजात को रखने से इंकार कर दिया। उसने कहा कि उसका पेट खुद ही नहीं भर रहा है। पति की मौत हो गई है। पति की मौत के बाद लोग उसे बुरी नजर से देखते है। ऐसे में इस बच्चे ने जन्म ले लिया। जिसके कहने पर वह जमशेदपुर आई थी उसने भी उसका साथ छोड़ दिया। ऐसे में इस नवजात को अपने पास कैसे रख सकती है। इसके दूध व अन्य खर्च कहां से लाऊंगी। इतना कह कागजातों में हस्ताक्षर कर अपने जिगर के टुकड़े को एक बेरहम व दुखी मां चाइल्ड लाइन के हवाले कर चली गई। चाइल्ड लाइन की समन्वयक ने उक्त नवजात को बाल कल्याण समिति के सदस्य के हवाले कर दिया। अब नवजात सोनारी स्थित सहयोग विलेज में फिर एक मां के इंतजार में आंखे बिछाए बैठा है।
इनकी भी सुने
सात दिन के नवजात को सोनारी स्थित सहयोग विलेज को सौंप दिया गया है। नवजात की मां नवजात को रखना नहीं चाहती थी इस कारण सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद मां को जाने दिया गया है।
-एम अरविंदा, रेलवे चाइल्ड लाइन के समन्वयक।