बच्ची के इंतजार में पथराई मां की आंखें पूछ रही-कब आएगी मेरी बेटी
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल से बच्ची को चुरा ले जाने के 24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल से बच्ची को चुरा ले जाने के 24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। गुरुवार को साकची पुलिस दिनभर सीसीटीवी कैमरे के फुटेज खंगालती रही, लेकिन बच्ची व बच्ची को चुराने वाली महिला का कोई पता न चल सका। इस बीच राजनीति पार्टियां घटना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करती रहीं।
पुलिस घटना के समय के साथ-साथ उसके पहले व बाद के फुटेज जांच के लिए अपने साथ ले गई है। इससे यह पता चल सकेगा कि आरोपित महिला पहले भी अस्पताल आती-जाती थी या सिर्फ घटना के दिन ही पहुंची थी। इधर, घटना के बाद होमगार्ड के जवान अलर्ट हो गए हैं। अब हर किसी पर नजर रखी जा रही है, लेकिन उनकी संख्या काफी कम होने की वजह से सुरक्षा अब भी राम भरोसे है। अस्पताल में 130 सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है। इसके मुकाबले सिर्फ 30 ही तैनात हैं। एक शिफ्ट में 10 सुरक्षाकर्मी ही ड्यूटी पर रहते हैं, जबकि अस्पताल का क्षेत्र काफी बड़ा है। सुरक्षाकर्मियों को जूनियर महिला डॉक्टर एवं ब्याज हॉस्टल सहित जीएनएम स्कूल के हॉस्टल भी देखना पड़ता है। इतनी कम संख्या में पूरे अस्पताल व हॉस्टल पर नजर रख पाना संभव नहीं है।
ऑब्जर्वेशन रूम में भर्ती है पंगेला, गंभीर
बुधवार की दोपहर करीब 12 बजे दैनिक जागरण की टीम जब महिला एवं प्रसूति विभाग पहुंची तो हर किसी को शक की निगाह से ही देखा जा रहा था। गर्भवती महिलाओं से नाम, पता पूछने पर वह बताने में संकोच कर रही थीं। जिस महिला की बच्ची चोरी हुई है उसे अभी भी ऑब्जर्वेशन रूम में रखा गया है। चाईबासा के बड़ागुइरा गांव निवासी नौरु पूर्ति की पत्नी पंगेला पूर्ति ने बीते बुधवार की सुबह ऑपरेशन से एक बच्ची का जन्म दिया था। उसके छह घंटे बाद एक अज्ञात महिला ने उसकी बच्ची को चोरी कर भाग गई थी। पंगेला पूर्ति की रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार पूछ रहीं है कि मेरी बच्ची कब आएगी। नर्स व डॉक्टर उन्हें जल्द ही मिलने की दिलासा दे रहें हैं।
इमरजेंसी छोड़ किसी भी वार्ड में नहीं थे सुरक्षाकर्मी
अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्ता राम भरोसे ही है। इमरजेंसी छोड़ किसी भी वार्ड में एक भी होमगार्ड के जवान नहीं दिखे। मुख्य द्वार से लेकर महिला एवं प्रसूति विभाग, हड्डी रोग विभाग, प्रशासनिक भवन, शिशु रोग विभाग, मेडिकल विभाग में सहित अन्य विभागों में एक भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं थे। ऐसे में चोरी की घटनाएं भला कैसे रोकी जा सकती हैं। अस्पताल का आंकड़ा देखा जाए तो मोटरसाइकिल चोरी से लेकर मोबाइल व बच्चा चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
इनकी भी सुनिए
मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि, मेरी भतीजी को महिला चुरा कर ले गई है। पलभर की खुशी मातम में बदल गई। अब पुलिस पर ही भरोसा है।
- संगीता देवी, चोरी हुई बच्ची की बुआ।
हमलोग पढ़े लिखे नहीं है। जो भी कुछ कहता उसे मान लेते हैं। ऐसे में अस्पताल की सुरक्षा जरूरी है। सुरक्षाकर्मी होने से बच्चा चोर अस्पताल में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।
- गुरुबारी देवी, चाईबासा।
मेरी बहू गर्भवती है। उसे महिला एवं प्रसूति रोग विभाग में भर्ती कराई हूं। लेकिन, घटना के बाद से डर लगने लगा है। यहां कोई सुरक्षित नहीं है।
- बहा माझी, ईचागढ़।
नौ माह की गर्भवती हूं। बेड नहीं मिलने से बरामदे में सोई हूं। यहां सबकुछ ओपेन है। ऐसे में बहुत डर लग रहा है। कोई सुरक्षाकर्मी भी तैनात नहीं है।
- परमती देवी, सरायकेला।