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बायो वेस्ट से पटा एमजीएम, कैसे थमेगा संक्रमण

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल आजकल बायो वेस्ट कचरा से पटा हुआ है। इंसीनरेटर मशीन के आगे भी कचरा पड़ा है। जबकि नियिमित बायो मेडिकल वेस्ट को बिना उचित ट्रीटमेंट के 48 घटे से ज्यादा नहीं रखा जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 05:06 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 05:06 AM (IST)
बायो वेस्ट से पटा एमजीएम, कैसे थमेगा संक्रमण
बायो वेस्ट से पटा एमजीएम, कैसे थमेगा संक्रमण

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल आजकल बायो वेस्ट कचरा से पटा हुआ है। इंसीनरेटर मशीन के आगे भी कचरा पड़ा है। जबकि नियिमित बायो मेडिकल वेस्ट को बिना उचित ट्रीटमेंट के 48 घटे से ज्यादा नहीं रखा जा सकता है।

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इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। सही समय पर निस्तारण नहीं होने से पाच साल की कैद, एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकता है। लेकिन, अस्पताल में नियम की धज्जिया उड़ाई जा रही हैं। एमजीएम में कोविड-19 की वजह से करीब 10 किलो बायो वेस्ट रोजाना अधिक निकल रहा है। इसमें पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट, ग्लब्स, मास्क आदि शामिल हैं। पहले करीब 50 किलो कचरा रोज निकलता था। कुल मिलाकर अब 60 किलो कचरा प्रतिदिन निकल रहा है। इधर, पूर्वी सिंहभूम जिले में भी कोविड-19 की वजह से करीब 20 किलो कचरा रोजाना अधिक निकल रहा है। जिले में कोविड-19 के चलते प्रतिदिन 30 किलो कचरा अधिक निकलता है। इसे टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में निस्तारण करने के लिए भेज दिया जाता है। जमशेदपुर में पीपीई किट रांची स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय से आता है।

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कोविड-19 के लिए गाइडलाइंस

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोविड-19 संक्रमित कचरा निस्तारण के लिए नई गाइडलाइंस जारी किया है। अस्पतालों और क्वारंटाइन सेटरों को इसका सख्ती से पालन करना है। स्थानीय निकायों के स्तर पर कचरा एकत्र सतर्कता के साथ हो, यह भी सुनिश्चित करना है। लाल रंग के कूड़ेदान में कोरोना संक्रमित और पीले रंग के कूड़ेदान में क्वारंटाइन किए गए मरीजों का कचरा डाला जाएगा। इनमें दोहरा पॉली बैग लगाया जाएगा, ताकि निकालते समय कचरा लीक न करे। हर अस्पताल और क्वारंटाइन सेटर में इस कचरे का भंडारण भी अलग से होगा। इसका बाकायदा रिकार्ड रखा जाएगा। इसे एकत्र करने वाले कर्मचारी भी अलग होंगे और इसे ले जाने वाले वाहन भी।

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बायो-मेडिकल वेस्ट से नुकसान

वेक्टर्स (मक्खी, मच्छर सहित अन्य कीड़े-मकोड़े) के जरिए इंफेक्शन और गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा होता है। साथ ही आस-पास के लोगों को भी प्रभावित करता है।

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पहले से कुछ कचरे का जमाव हो गया था। लेकिन, अब लगातार निष्पादन किया जा रहा है। कोविड-19 वाले कचरा प्राथमिकता में शामिल होता है।

- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।


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