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यहां इलाज कराने आइये, बीमारी मुफ्त ले जाइये

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों की हालत खराब है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 07:30 AM (IST)
यहां इलाज कराने आइये, बीमारी मुफ्त ले जाइये
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जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। बुधवार को महिला एवं प्रसूति विभाग से एक मरीज के परिजन शिकायत लेकर उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी के पास पहुंचे। चांडिल स्थित तनकोचा गांव निवासी मंगल माझी की पत्नी लक्ष्मी माझी का 21 अगस्त को ऑपरेशन से प्रसव हुआ। इसके बाद जच्चा-बच्चा दोनों को महिला एवं प्रसूति विभाग के वार्ड में भर्ती कर लिया गया। हर तीसरे दिन महिला की ड्रेसिंग की जा रही है, लेकिन ऑपरेशन वाला जख्म लगातार बढ़ता जा रहा है। जख्म से मवाद निकल रहा है। परिजनों का कहना है कि, इस संदर्भ में बुधवार को राउंड पर आई एक महिला डॉक्टर से पूछने पर उन्होंने स्पष्ट कुछ भी जवाब नहीं दिया। सिर्फ इतना कहा कि इंफेक्शन की वजह से जख्म में मवाद भर गया है। मरीज के साथ इतने लोग न रहें। इससे परिजन काफी चिंतित हो गए। वे लोग उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी के पास पहुंचे और एक अलग बेड की मांग करने लगे। ताकि मरीज को इंफेक्शन से बचाया जा सकें और उसका जख्म भर सके। इसी तरह, और भी कई मरीज भर्ती है जिनका ऑपरेशन के बाद जख्म बढ़ गया है।

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मुंह पर कपड़ा रखकर वार्ड में भर्ती होने को विवश है मरीज : बुधवार को दैनिक जागरण की टीम महिला एवं प्रसूति विभाग में पहुंची तो स्थिति भयावह थी। बदबू इतनी तेज आ रही थी कि उस वार्ड में घूसना मुश्किल था। किसी तरह, नाक पर कपड़ा रखकर वार्ड तक पहुंचा। वार्ड में बदबू के बीच मरीजों से बेड खचाखच भरा हुआ था। इसी बदबू में नवजात व माताएं भर्ती है। जबकि नवजातों में इंफेक्शन फैलने की संभावना अधिक रहती है। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो अस्पताल की स्थिति 'इलाज कराने आइए, बीमारी ले जाइए' वाली हो गई है।

खतरे में मरीज : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में प्रति वर्ष 1.4 मिलीयन लोग इलाज के दौरान अस्पताल में होने वाले इंफेक्शन के शिकार होते है। चिकित्सक बताते है कि मरीजों का इम्यूनिटी लेवर काफी कम रहता है। इलाज के दौरान मरीज को कई तरह के मेडिकल एग्जामिनेशंस और इलाज से गुजरना पड़ता है। ऐसे मरीजों में अस्पताल के वातावरण में मौजूद माइक्रोआर्गेनिज्म से ज्यादा खतरा होता है।

120 की की जगह 37 सफाईकर्मी ही तैनात : अस्पताल में सफाई कर्मियों की संख्या बहुत ही कम है। जबकि इसके लिए विभाग को कई बार पत्र लिखा गया। इसके बावजूद उनकी संख्या नहीं बढ़ी। 560 बेड वाले इस अस्पताल में कम से कम 120 सफाई कर्मियों की जरूरत है। जबकि मात्र 37 कर्मी ही तैनात है। यानी एक शिफ्ट में 10 से 12 कर्मचारी ही तैनात रहते है। कर्मचारियों की संख्या कम होने से सफाई में परेशानी उत्पन्न हो रही है।

'इंफेक्शन किस कारण से फैला है, यह जांच का विषय है। क्योंकि वार्ड में और भी कई मरीज भर्ती है, लेकिन वे ठीक है। बेहतर साफ-सफाई का प्रयास किया जा रहा है।'

- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।

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