एमजीएम में 20 बेड का होगा नया एनआइसीयू-पीआइसीयू
बच्चों की मौत से चितिंत स्वास्थ्य विभाग ने महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 20 बेड का न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) व पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) खोलने का निर्णय लिया था। ये यूनिट अस्पताल के नये भवन में बनकर तैयार हो चुका है। उम्मीद है कि अगले माह से इसका लाभ नवजात बच्चों को मिलने लगेगा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बच्चों की मौत से चितिंत स्वास्थ्य विभाग ने महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 20 बेड का न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) व पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) खोलने का निर्णय लिया था। ये यूनिट अस्पताल के नये भवन में बनकर तैयार हो चुका है। उम्मीद है कि अगले माह से इसका लाभ नवजात बच्चों को मिलने लगेगा।
यूनिट में ऑक्सीजन पाइप लगाने का कार्य चल रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने उपकरण की खरीदारी के लिए विभाग को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा है। वर्तमान में शिशु रोग विभाग में चार बेड का एनआइसीयू है, जहां पर जगह के अभाव में एक-एक वार्मर तीन से चार बच्चे भर्ती होते है। इसमें पानी भी टपकता है। इस वजह से पूर्व में एक बार शार्ट-सर्किट होने से आग भी लग चुकी है।
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वर्ष 2017 में बड़े पैमाने पर हुई थी नवजात बच्चों की मौत
एमजीएम अस्पताल में वर्ष 2017 में बड़े पैमाने पर नवजात बच्चों की मौत हुई थी। एक माह में 60 बच्चों की मौत चर्चा का विषय बना था, जिसका खुलासा दैनिक जागरण ने किया था। इसके बाद केंद्र सरकार से लेकर हाई कोर्ट व राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया था। उसी दौरान 20 बेड का एनआइसीयू-पीआइसीयू खोलने का निर्णय लिया गया था। अब अधिक से अधिक बच्चों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराकर उनकी जान बचायी जा सकेगी।
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एनआइसीयू में मिलेगी यह सुविधा
वेंटिलेटर : एक वेंटिलेटर का उपयोग तब किया जाता है जब रोगी इतने कमजोर या बीमार होते हैं कि खुद सांस भी नहीं ले सकते हैं। इस दौरान मरीज की स्थिति काफी गंभीर होती है।
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हार्ट मॉनिटर : एक हार्ट मॉनिटर स्क्रीन पर चलने वाली रंगीन रेखाओं के साथ एक स्क्रीन की तरह दिखता है। ये रेखाएं रोगी के दिल की गतिविधि को मापती हैं।
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फीडिंग ट्यूब्स (खिलाने की नली) : मरीज सामान्य रूप से खाने में असमर्थ होता है तो उसके नाक में, पेट में बने छोटे कट के माध्यम से या एक नस में ट्यूब के माध्यम से भोजन दिया जाता है।
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ड्रैंस और कैथेटर : ड्रैंस शरीर से रक्त या तरल पदार्थ के किसी भी निर्माण को हटाने के लिए उपयोग की जाने वाली ट्यूब होती है। कैथेटर मूत्र को निकालने के लिए मूत्राशय में डाली गई पतली ट्यूब होती है।
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नया एनआइसीयू-पीआइसीयू बनकर तैयार हो चुका है। उपकरण खरीदने का कार्य चल रहा है, इसके लिए विभाग को भी पत्र लिखा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसका लाभ मरीजों को मिलने लगेगा।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।