एमजीएम में व्यवस्था ध्वस्त, सफाई सेवक बना ड्रेसर
बुधवार की सुबह कर्मचारियों ने रजिस्ट्रेशन काउंटर को भी ठप कर जमकर हंगामा किया। इससे प्रशासनिक भवन में पर्ची कटाने के लिए मरीजों की लंबी कतार लग गई।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 137 आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा काम बंद करने से दिनभर आफरा-तफरी का माहौल रहा। बुधवार की सुबह कर्मचारियों ने रजिस्ट्रेशन काउंटर को भी ठप कर जमकर हंगामा किया। इससे प्रशासनिक भवन में पर्ची कटाने के लिए मरीजों की लंबी कतार लग गई। इसे देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक विभाग के कुछ कर्मचारियों को रजिस्ट्रेशन काउंटर पर बैठा दिया। ताकि मरीजों की पर्ची बनाकर उन्हें ओपीडी में चिकित्सकों के पास भेजा जा सकें, लेकिन प्रशासनिक विभाग के अनट्रेंड कर्मचारी इसमें असफल होते दिखे और आधे से अधिक मरीज बिना इलाज ही लौट गए।
डेढ़ बजे तक बनती रही पर्ची :
रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीजों का पर्ची बनाने का समय 12 बजे तक निर्धारित है, लेकिन बुधवार को डेढ़ बजे तक पर्ची बनती रही। तबतक ओपीडी से अधिकांश डॉक्टर उठ चुके थे। ओपीडी में रोजाना 1100-1200 मरीज पहुंचते हैं। इसमें 400-500 मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा। ये मरीज कोल्हान प्रमंडल के अलग-अलग जिलों से आए हुए थे। इसमें सरायकेला-खारसावां, पूर्वी सिंहभूम व पश्चिमी सिंहभूम शामिल है।
पर्ची में न चिकित्सक का नाम न उम्र और पता : अनट्रेंड कर्मचारियों द्वारा बनाई गए पर्ची में काफी गड़बड़ी मिली। इनमें न तो डॉक्टर का नाम दर्ज था और न ही मरजी की उम्र व पता। जबकि ट्रेंड कर्मचारियों द्वारा रजिस्ट्रेशन काउंटर पर ऑनलाइन पर्ची बनाने से लेकर उसमें डॉक्टर का नाम, पता, ओपीडी के रूम नंबर सहित अन्य जानकारी दी जाती है।
23 कर्मचारियों के जाने से आयुष्मान योजना भी ठप : सेंट्रल रजिस्ट्रेशन व्यवस्था को सफल बनाने के लिए एमजीएम अस्पताल में आउटसोर्स पर 23 कर्मचारियों को तैनात किया गया था। ये कर्मचारी रजिस्ट्रेशन काउंटर के अलावा, सर्जरी, मेडिसीन, बर्न, हड्डी, महिला एवं प्रसूति विभाग सहित अन्य विभागों में मरीजों की ऑनलाइन आकड़ा कंप्यूटर में फीड कर रहें थे, लेकिन इनके जाने से पूरी व्यवस्था चरमरा गई है। अब मरीजों का डाटा संग्रह करने वाला कोई नहीं है। इतना ही नहीं, सरकार की महात्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत के काउंटर भी बंद रहे। किसी भी मरीज का गोल्डन कार्ड नहीं बन सका।
ड्रेसर का पद नहीं, सफाई सेवक कर रहा ड्रेसिंग : 560 बेड वाले एमजीएम अस्पताल में सिर्फ एक स्थायी ड्रेसर है। इसे देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने आउटसोर्स पर 23 ड्रेसर रखे थे, लेकिन अब नये टेंडर में इन सारे पदों को खत्म कर दिया गया है। ऐसे में अब मरीजों को मलहम-पंट्टी करने वाला कर्मचारी ढूंढने से भी नहीं मिल रहा है। घायल अवस्था में पहुंचे मरीजों को वापस दूसरे अस्पताल भेज दिया जा रहा है। नए टेंडर में 137 कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया है। इसमें 96 वार्ड ब्यॉय, 23 ड्रेसर, 8 लिफ्ट ऑपरेटर, 6 इलेक्ट्रिकल हेल्पर, दो एंबुलेंस चालक, दो स्वागतकर्ता व आठ रसोई सेवक शामिल हैं। सभी ने मंगलवार से काम करना बंद कर दिया है। नई आउटसोर्स एजेंसी शिवा प्रोटेक्शन फोर्स के अंतर्गत 225 नर्सिग स्टाफ, 78 पारा मेडिकल कर्मी, 3 एंबुलेंस चालक, 2 कंप्यूटर ऑपरेटर को रखा गया है।
'सर्दी-खांसी से पीड़ित हूं। पहले पर्ची कटाने के लिए लंबी लाइन लगनी पड़ी और अब ओपीडी से डॉक्टर उठकर चले गए। मरीजों के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए।'
- मनीषा कुमारी, चांडिल।
------------
बुखार से ग्रस्त हूं। करीब 60 किलोमीटर दूर से इलाज कराने आयी हूं, लेकिन यहां अव्यवस्था का आलम है। डॉक्टर नहीं मिले इसलिए वापस जा रही हूं।
- नमीसा खातून, सरायकेला।
-----------
बुखार व पूरे शरीर में दर्द है। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पहले पर्ची बनाने के लिए जूझना पड़ा। इसके बाद ओपीडी में आने से पता चला कि डॉक्टर साहब चले गए है।
- उर्मिला देवी, मानगो।
---------
सिर में काफी दर्द है। ओपीडी से डॉक्टर उठकर चले गए हैं। अब क्या करें, कहां जाएं। अस्पताल प्रबंधन की गलती से खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
- शुकू महतो, चौका।
-------------
दिनभर यह रही स्थिति
- नए टेंडर में वार्ड ब्यॉय के सारे पद खत्म होने से मरीजों को शिफ्ट करने वाला कोई नहीं है।
- इमरजेंसी विभाग से मरीज वार्ड में शिफ्ट नहीं हो रहे है। इससे नये मरीजों को बेड नहीं मिल पा रही है।
- घायल मरीजों को ड्रेसिंग करने वाला कोई नहीं है। सफाई सेवक से कराई जा रही मलहम-पंट्टी।
- मरीजों को ऑक्सीजन देने वाला एक भी कर्मचारी नहीं।
- गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों को इमरजेंसी विभाग में ले जाने वाला कोई नहीं।
नौकरी से निकाले गए 137 कर्मचारी करेंगे आंदोलन : एमजीएम अस्पताल में 137 आउटसोर्स कर्मचारियों ने आंदोलन का निर्णय लिया है। इन कर्मचारियों का कहना है कि इतने बड़े अस्पताल में कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गई है। ऐसे में मरीजों को बेहतर सुविधा कैसे उपलब्ध करायी जाएगी। इधर, सरकार नौकरी देने का वादा करती है, लेकिन हकीकत यह है कि जो कर्मचारी नौकरी पर है उसे हटाने का काम किया जा रहा है। इन कर्मचारियों के समर्थन में झारखंड राज्य चिकित्सा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के पदाधिकारी भी उतर आए है।