एमजीएम की इमरजेंसी ठप, दूसरे अस्पताल भेजे गए मरीज
जागरण संवाददाता जमशेदपुर महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी व्य
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी व्यवस्था मंगलवार को चरमरा गई। विभाग लगभग ठप सा हो गया। ड्रेसिंग रूम में एक भी ड्रेसर मौजूद नहीं था। घायल मरीजों को चिकित्सा नहीं मिल पाई। इस दौरान कई मरीज को उनके तीमारदार दूसरे अस्पतालों में ले गए। इतना ही नहीं, इमरजेंसी विभाग से वार्ड में एक भी मरीज को शिफ्ट नहीं किया जा सका। इससे मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई और आफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। सभी बेड फुल थे, इससे दूसरे गंभीर मरीजों को जमीन पर ही लिटाकर इलाज करना पड़ा।
स्थिति बिगड़ते देख एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी इमरजेंसी विभाग पहुंचे, लेकिन कर्मचारियों की कमी की वजह से वह भी लाचार दिखे। करीब डेढ़ घंटे तक वह डॉक्टर ड्यूटी रूम में बैठे रहे और मरीजों को देखा, लेकिन ड्रेसिंग के लिए एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसे देखते हुए उन्होंने तीन कर्मचारी को तत्काल इमरजेंसी विभाग में कार्य संभालने को कहा, लेकिन उसमें से एक भी ड्यूटी पर नहीं आया। इसमें शीला जायसवाल (कक्ष सेवक), शंकर मुखी (सफाई सेवक) व मनमत मार्डी (रसोई सेवक) शामिल हैं। देर शाम तक इमरजेंसी विभाग की नर्स इंचार्ज एलिस कंडुलना दास सहित अन्य कर्मचारी परेशान दिखाई दिए। एक महिला कीटनाशक पदार्थ खाकर पहुंची थी उसे भी दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया।
नये टेंडर में एक भी ड्रेसर का नहीं है पद : एमजीएम अस्पताल में पूर्व से 23 ड्रेसर कार्यरत थे। नये टेंडर में एक भी ड्रेसर का पद नहीं है। वहीं अन्य कर्मचारियों की संख्या में भी बड़ी कटौती की गई है। 137 कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया है। इसमें 96 वार्ड ब्यॉय, 15 ड्रेसर, आठ लिफ्ट ऑपरेटर, छह इलेक्ट्रिकल हेल्पर, दो एंबुलेंस चालक, दो स्वागतकर्ता व आठ रसोई सेवक शामिल हैं। इन सभी ने मंगलवार से काम करना बंद कर दिया है। जिसके कारण अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है। नई आउटसोर्स एजेंसी शिवा प्रोटेक्शन फोर्स के अंतर्गत 225 नर्सिग स्टाफ, 78 पारा मेडिकल कर्मी, 3 एंबुलेंस चालक, 2 कंप्यूटर ऑपरेटर को रखा गया है।
इमरजेंसी विभाग में उत्पन्न हुई ये समस्या
- घायल मरीजों को ड्रेसिंग करने वाला कोई नहीं।
- मरीजों को ऑक्सीजन देने वाला एक भी कर्मचारी नहीं।
- मरीजों को वार्ड शिफ्ट करने के लिए कर्मचारी नहीं है।
- रुई-बैंडेज अलग करने वाला कर्मचारी नहीं है।
'एक साथ कई कर्मचारियों को हटने से थोड़ा परेशानी जरूर हो रही है। मैं खुद डेढ़ घंटे तक इमरजेंसी विभाग में बैठा रहा। कर्मचारियों को हटे जाने की सूचना विभाग को दी गई है।'
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी।