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आउटसोर्स एजेंसी ने दिया जवाब, मैं जिंदगी व मौत से जूझ रहा हूं

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संचालित आउ

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:04 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:04 PM (IST)
आउटसोर्स एजेंसी ने दिया जवाब, मैं जिंदगी व मौत से जूझ रहा हूं
आउटसोर्स एजेंसी ने दिया जवाब, मैं जिंदगी व मौत से जूझ रहा हूं

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संचालित आउटसोर्स एजेंसी श्रीराम इंटर प्राइजेज व एडवांस बिजनेस कारपोरेट ने सोमवार को शो-कॉज का जवाब दिया। स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी के निर्देश के बाद अधीक्षक डॉ. एसएन झा ने शोकॉज किया था।

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जवाब में श्रीराम इंटर प्राइजेज के संचालक राजीव रंजन ने बताया है कि बीते नौ मई को सड़क दुर्घटना में वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि मेरे दाएं पैर में चार जगह व बाये पैर में तीन जगह, दोनों घुटने का ज्वाइंट एवं जबड़ा टूट गया था। इसके साथ ही मेरा सीना भी फैक्चर हो गया था। बीते छह माह से अधिक समय से मैं बेड पर हूं तथा चलने फिरने में समर्थ हूं। मई माह से पहले मेरे एजेंसी के अधीन सभी कर्मी कार्यरत थे परंतु दुर्घटना के बाद उनके वेतन भुगतान में कठिनाई होने के कारण काफी कर्मचारी काम छोड़कर चले गए। जिससे कर्मचारियों की संख्या कम हो गयी। मेरे चलने फिरने से लाचार होने के कारण एजेंसी में मेरे बाद दूसरा कोई कर्मी नहीं होने के कारण एवं मेरा पूरा परिवार मेरा प्राण रक्षा में लगा रहा। जिससे एजेंसी का काम से ध्यान हट जाने के कारण ठीक से काम नहीं हो पाया। वर्तमान में मेरे एजेंसी में कर्मचारियों की संख्या 269 है जिसकी कभी भी जाच करायी जा सकती है। इसके साथ ही उसने बताया कि मेरे एजेंसी के विपत्रों का भुगतान 14-15 माह से लंबित है। तथा मेरा करोड़ों रूपये सरकार के पास बकाया है। वहीं एडवांस बिजनेस कारपोरेट के संचालक अमृता रंजन ने बताया है कि मेरे कारोबार में मेरे पति राजीव रंजन सहयोगी है। सभी प्रबंधन एवं वित्तीय कार्य उनके द्वारा ही किया जाता है। अचानक दुर्घटना होने से वे काफी गंभीर रूप से घायल हो गये। दुर्घटना के बाद वेतन भुगतान में कठिनाई होने के कारण काफी कर्मी काम छोड़कर भाग गये। जिससे संख्या कम हो गयी। अभी एजेंसी के तहत 293 कर्मचारी कार्यरत है। जिसकी कभी भी जाच करायी जा सकती है। मेरे द्वारा कोई अनियमितता नहीं किया गया है। इसके साथ ही मेरे एजेंसी के विपत्रों का भुगतान अप्रैल 2017 से लंबित है। भुगतान नहीं होने बाद भी कर्मचारियों का वेतन दिया जा रहा था।


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