एई बारे तीन टा ई राम, माने मंगलराम, मुचीराम आर रामचंद्र..
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बड़ा बाजार के जिलिंग गांव से डेढ़ किमी पहले झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा प्रखंड का बोनडीह गांव का मोड़।
विश्वजीत भट्ट, जमशेदपुर : पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बड़ा बाजार के जिलिंग गांव से डेढ़ किमी पहले झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा प्रखंड का बोनडीह गांव का मोड़। यहां अभी तक न कोई प्रत्याशी आया है और न ही उसका कोई हरकारा। पूरे इलाके में कहीं भी कोई चुनावी सुगबुगाहट नहीं है। लोग अपने-अपने काम में व्यस्त हैं। बारिश की बेरुखी के कारण धान की खेती लेट लतीफ हुई है। इसलिए लोग सब्जियों के बीज बोने या जो थोड़ा बहुत बोया जा चुका है, उसको सींचने-सोहने में व्यस्त हैं। इलाके के लोग 'विकास' के दीदार को बेकरार हैं। यहां इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा छोटी-मोटी बीमारी होने पर बंगाल भागते हैं। बड़ाभूम-बांदोवान मुख्य सड़क से बनकुचिया होते हुए बंगाल की सीमा पर बसे झारखंड के अंतिम गांव डांडूडीह तक गई 20 किमी सड़क अपना वजूद तलाश रही है। कहीं टखने, कहीं घुटने तो कहीं-कहीं कमर तक के गड्ढ़े इस सड़क में बन गए हैं। इसी सड़क से वैध-अवैध पत्थर ढोते बड़े-बड़े डंपर सड़क के किनारे बसे दर्जनों गांवों के लोगों के फेफड़ों में हर रोज कम से कम 100 ग्राम गुबार ठूंस रहे हैं। धूल से सफेद हो चुके दरख्त और ग्रामीण बेबस आंखों से कभी सड़क को तो कभी आने-जाने वाले वाहनों को देखते हैं। इसी सड़क पर चलकर हर रोज हजारों बच्चे आठवीं से आगे की पढ़ाई करने के लिए कटिन जाते हैं। क्योंकि, इलाके में उच्च विद्यालय है ही नहीं। पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, इसलिए महिला-पुरुष एक किमी दूर से ढोकर पानी लाते हैं। यह इलाका पटमदा प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी दूर है और पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से 50 किमी। इलाके की सूरत बहुत बदशक्ल है। शायद, यही कारण है कि दलीय या निर्दलीय 'नेता जी' आने से कतरा रहे हैं। लेकिन, कब तक। चुनाव है। आएंगे तो जरूर। ग्रामीण तब पूरी शिद्दत से 'हिसाब-किताब' लेंगे।
जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र की दो तस्वीरें हैं, शहरी और ग्रामीण। शहर में इस समय चुनावी हलचल खूब नजर आ रही है। झंडे-बैनर नुमाया हैं। जनसंपर्क अभियान चल रहा है। लेकिन, गांवों तक अभी चुनावी आहट नहीं पहुंची है। निर्णायक ग्रामीण मतदाता ही हैं। बोनडीह मोड़ पर पांचवीं तक पढ़े 55 वर्ष के भद्रपद महतो की पान-पुड़िया की गुमटी है। गुमटी के सामने सिंहबाजा बजाकर जिंदगी की गाड़ी खींचने वाले आठवीं तक पढ़े कंचन सहिस, खेतीबाड़ी करने वाले 10वीं तक अजीत महतो खड़े हैं। गाड़ी जैसे ही गुमटी के पास से गुजरती है वहां खड़े लोग कौतूहलवश देखने लगे। इलाके पर बंगाल का पूरा प्रभाव है। भाषा भी बांग्ला ही है। पूछा कि आपके इलाके में चुनाव की क्या सरगर्मी है? कंचन सहिस बोले अभी तक कोई आया नहीं। अजीत बोलते हैं खेतीबाड़ी का समय है, इसलिए थोड़ी व्यस्तता है। जब पूछा गया कि फिर भी कुछ तो सुन समझ रहे होंगे? तीनों एक साथ बोले 'एई बारे तीन टा ई राम। मंगलराम, मुचीराम आर रामचंद्र।' मतलब, भाजपा से मुचीराम बाउरी, झामुमो से मंगल राम कालिंदी और आजसू से रामचंद्र सहिस। यानि इतना साफ है कि जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र से 10 लोगों ने भले ही पर्चा भरा हो, लेकिन चर्चा तीन नामों की ही है।
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इनसेट-1 :::::::::
-कुल मतदाता 1,04,000
-इलाके की खेती योग्य कुल जमीन 10524.32 हेक्टेयर
-कुल सिंचित जमीन 438.98 हेक्टेयर
-पूरे इलाके में एक भी जिंदा तालाब या नाला नहीं
-150 से अधिक चेकडैम, पर सब बेपानी
-500 से अधिक छोटे-बड़े तालाब, किसी की गहराई 10 फीट नहीं
-हर रोज मजदूरी के लिए शहर जाते हैं लगभग 5000 लोग
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इनसेट-2 :::::::::::
सब्जी की खेती इलाके की पहचान
सब्जी की खेती इस इलाके की पहचान है। थोड़ी हो या ज्यादा, पूरी आबादी किसी न किसी रूप में इसी पर निर्भर है। न सिंचाई की सुविधा है न मंडी और न ही सड़क। क्षेत्र के किसानों के लिए सब्जी की खेती 'जुआ' बन गई है। बारिश ने साथ दिया तो कुछ फायदा हुआ, नहीं तो कर्ज लेकर लगाई गई पूंजी भी डूबी। यही कारण है कि इलाके के पांच से छह हजार लोग हर रोज जमशेदपुर सहित दूसरे शहरों में मजदूरी करने जाते हैं। बेलटांड चौक पर अपने खेतों से थोड़ी पालक, गोभी, बंद गोभी लेकर बैठे प्रेम गोराई कहते हैं कि इस बार खेती के लिए सुविधाओं का न होना बड़ा फैक्टर होगा।