भरभरा कर धड़ाम हुआ रियल एस्टेट सेक्टर, नहीं मिल रहे फ्लैट के खरीददार
पहले नोटबंदी फिर रेरा जीएसटी और अब मंदी। इस तिहरे आघात से रियल एस्टेट सेक्टर सुन्न पड़ गया है। 30 फीसद प्रोजेक्ट लटक गए हैं।
जमशेदपुर, जासं। मंदी की मार से रियल एस्टेट सेक्टर की कमर टूट गई है। इस सेक्टर को एक के बाद एक आघात लगा। पहले नोटबंदी, फिर रेरा, जीएसटी और अब मंदी। इस तिहरे आघात से यह सेक्टर सुन्न पड़ गया है। कृषि के बाद दूसरा सबसे अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने वाले इस सेक्टर ने कभी भी इतने बुरे दौर की कल्पना भी नहीं की थी।
जानकार बताते हैं कि जमशेदपुर में दो साल पहले तक टाउनशिप बनाने वाले बड़े बिल्डर महीने में 10 से 15 फ्लैट बेच लेते थे। अपार्टमेंट बनाने वाले छोटे बिल्डर महीने में दो से तीन फ्लैट बुक कर लेते थे। स्थिति इतनी बुरी हो गई है कि बिल्डर अब यह आंकड़ा छह महीने में भी नहीं छू पा रहे हैं। रियल एस्टेट सेक्टर और बाजार की एक श्रृंखला है। इस सेक्टर पर सीमेंट प्लांट, स्टील प्लांट, गिट्टी-बालू, सेनेटरी व मार्बल के साथ ही कुशल कारीगर और मजदूर निर्भर हैं। रियल एस्टेट पर मंदी का सीधा असर इन पर भी पड़ा है। बाजार के इस सेक्टर के कारोबारी भी सिर धुन रहे हैं।
35 फीसद प्रोजेक्ट लटके
जानकारों के अनुसार बिल्डर जिस गति से मकान बना रहे हैं, लोग उस गति से खरीद नहीं रहे हैं। रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े करीब 250 छोटे-बड़े उद्योग हैं। मकान बिकने से बड़े पैमाने पर उद्योग जगत को फायदा होता है, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है। रियल एस्टेट में भयंकर मंदी का दौर है। हालत ये है कि झारखंड की आर्थिक राजधानी जमशेदपुर में करीब 35 फीसद प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। जो तैयार हैं वो बिक नहीं पा रहे हैं।
और बढे़ंगी दिक्कतें
बिल्डरों का कहना है अगर सरकार मदद नहीं करेगी तो दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। पहले नोटबंदी, फिर रेरा, इसके बाद जीएसटी ने रियल इस्टेट की कमर तोड़ दी। बची खुची कसर मंदी ने पूरी कर दी। ऐसे में जब हर सेक्टर में मंदी का दौर है, बाजार में खरीदार ही नहीं हैं तो बिल्डर छटपटा रहे हैं। रियल एस्टेट के जानकार मानते हैं कि जब तक सरकार अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए कदम नहीं उठाती, यह सेक्टर मंदी उबर नहीं सकता। एक के बाद एक सुधार के कदम ने बिल्डरों की कमर तोड़ दी है। रियल एस्टेट सेक्टर में इन्वेस्टर आधारित मांग में भारी कमी आई है। कई बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं और घरों के वास्तविक खरीददारों को मकान भी सस्ता नहीं मिल रहा है। इसलिए डेवेलपर्स चाहते हैं कि सरकार इसपर कुछ करे, नहीं तो एग्रीकल्चर के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली इंडस्ट्री का संभलना मुश्किल होगा।
ये कहते बिल्डर
हालत बहुत खराब है, लेकिन उम्मीद इस बात से है कि वित्त मंत्री ने जो आश्वासन दिया है उससे कुछ न कुछ सुधार होगा। पुराना समय लौटेगा और रियल एस्टेट इंडस्ट्री में रौनक आएगी।
-शिबू बर्मन, प्रदेश अध्यक्ष, बिल्डर्स एसोसिएशन
ये रहे कुछ और तथ्य
- पिछले साल मई, जून, जुलाई में हुई 2061 भवन-मकान की रजिस्ट्री
- इस साल मई, जून जुलाई में मात्र 1024 भवन-मकान ही हुए रजिस्टर्ड