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रातभर में दवा की हो दरकार तो आपको यहां खुली मिलेगी दवा दुकान

दवा के अभाव में कोई मरे नहीं, इसलिए हर रात अपनी दवा दुकान खोलते हैं। अबतक कई मरीजों की जान बचा चुके हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 05:39 PM (IST)
रातभर में दवा की हो दरकार तो आपको यहां खुली मिलेगी दवा दुकान
रातभर में दवा की हो दरकार तो आपको यहां खुली मिलेगी दवा दुकान

जमशेदपुर (जितेंद्र सिंह)। जब पूरा शहर गहरी नींद में सो रहा होता है, पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर शहर के भालूबासा में एक दुकान जाग रही होती है। नाम है- मेडिसिन वर्ल्ड। संचालक हैं- जयराम चटर्जी। पिछले आठ साल से यह दुकान नियमित रूप से रातभर खुली रहती है। 

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जयराम चटर्जी कहते हैं कि मन को बड़ी शांति मिलती है जब कोई मरीज या उसका परिजन दुआएं देता है। दवा के अभाव में कोई मरे नहीं, इसलिए हर रात अपनी दवा दुकान खोलते हैं। अबतक कई मरीजों की जान बचा चुके हैं। जयराज का उद्देश्य इस दुकान से पैसे कमाना कभी नहीं रहा। सेवा ही उनका धर्म बन गया है।

ऐसे खुली दुकान

जयराज की मां अंजली चटर्जी व पिता सुनील कुमार गुप्ता पटना में रहते थे। वर्ष 2008 की बात है। एक दिन पिता पार्किंसन के शिकार हो गए। परिवार जमशेदपुर में व पिता पटना में। एक सप्ताह के लिए पिता के पास जाना पड़ा। कई बार दानापुर-पटना सुपरफास्ट से जमशेदपुर पहुंचते और शाम से देर रात तक दुकान खोलने लगे। परिवार का बोझ संभालने वास्ते इसी दुकान में रम गए। देर रात तक दुकान खुली देख मरीज भी आने लगे। बिरसानगर से हरहरगुïट्टू तक लोग दवा की खोज में दुकान तक पहुंचने लगे। इसके बाद जयराज ने दिन में दुकान खोलना ही छोड़ दिया। पहली बार उन्होंने जब रात में ही नियमित दुकान खोलने का निर्णय पत्नी एम. चटर्जी को बताया तो उन्होंने भी इसका समर्थन किया। जयराज अपने परिवार को इसके लिए शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने इस साहसिक फैसले में उनका साथ दिया।

...और मिल गई नई जिंदगी

एकबार की बात है। बिरसानगर के मनोज गुप्ता की पत्नी को बुखार था। लाइफलाइन गए, लेकिन वहां के सहायकों ने उन्हें बैरंग लौटा दिया। मरता क्या न करता। वे लौटते समय मेडिसिन वल्र्ड खुला देख कर वहां पहुंचे। जयराज चटर्जी ने दवा दी तो एकाध घंटे में मरीज ने राहत महसूस की। मनोज गुप्ता की पत्नी जब उस रोड से गुजरती हैं, जयराज से मिलना नहीं भूलतीं। ऐसे कई मरीज हैं, जिन्हें जयराज ने नई जिंदगी दी।


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