अनाथ पूजा को मिल गया जीवन साथी, जानिए कैसे हुआ यह संभव Jamshedpur News
दोनों ने एक-दूसरे के गले में माला डाली और जीवन भर साथ निभाने की कसम खाई। इसके साथ ही पूजा के मासूम चेहरे पर मुस्कान बिखर गई। लेकिन इस मुस्कान के पीछे दर्द की लंबी दास्तां छिपी है।
चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम), पंकज मिश्रा। Mass wedding program in Baharagoda Jharkhand न माता-पिता, न स्वजन। ना ही कोई दान दहेज। फिर भी धूमधाम से हो गई पूजा की शादी। सामूहिक विवाह अनुष्ठान के दौरान झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड के गोहलामुड़ा गांव निवासी 19 वर्षीया पूजा दास की शादी पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिला अंतर्गत बड़कोला गांव निवासी उत्तम चक्रवर्ती के साथ हो गई। दोनों ने एक-दूसरे के गले में माला डाली और जीवन भर साथ निभाने की कसम खाई। इसके साथ ही पूजा के मासूम चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।
लेकिन इस मुस्कान के पीछे दर्द की एक लंबी दास्तां छिपी हुई है। दरअसल, पूजा का जीवन ही दुख भरी कहानी है। करीब 12 वर्ष पहले ही उसकी मां आशा लता दास एवं 10 वर्ष पहले पिता उत्तम दास उसे छोड़कर दुनिया से चल बसे। उसकी दादी सुधा दास एवं परित्यक्ता बुआ वसुमति दास ने किसी तरह उसका भरण पोषण किया। उम्र बीतने के साथ पूजा बड़ी होती गई। उसकी बुआ एवं बुजुर्ग दादी के समक्ष सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह था कि वे पूजा की शादी कैसे करें? उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। इसी बीच डॉ दिनेशानंद गोस्वामी उनके लिए तारणहार बनकर आए। गोस्वामी द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम के माध्यम से पूजा को जीवनसाथी चुनने एवं वैवाहिक बंधन में बंधने का रास्ता मिल गया।
...जब आई खुशियों की राह में बाधा
लेकिन कुदरत को शायद पूजा की खुशी अभी मंजूर नहीं थी। शादी कि 4 दिन पहले ही उसकी बुआ वसुमति दास मोटरसाइकिल से गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गई। फिलहाल उनका इलाज उड़ीसा के बारीपदा स्थित एक अस्पताल में चल रहा है। इसके बावजूद गांव के लोगों ने माता-पिता बनकर पूजा को शादी के मंडप तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। शुक्रवार को पूजा बहरागोड़ा के शाखा मैदान पहुंची तथा धूमधाम से उसकी शादी भी हुई। इस तरह पूजा को जिंदगी भर के लिए हमसफर मिल गया और उसकी खुशियां लौट आई।