Tata group: टाटा समूह की कई कंपनियों में नहीं होता कर्मीपुत्रों का निबंधन
टाटा समूह की कंपनियों की यह परंपरा रही है कि वह अपने कर्मचारियों के साथ-साथ उनके पुत्र-पुत्रियों को भी नौकरी देतीं हैं। टाटा की यह व्यवस्था किसी दूसरे समूह की कंपनियों में नहीं है।
जमशेदपुर, अरविंद श्रीवास्तव। टाटा समूह की कंपनियों की यह परंपरा रही है कि वह अपने कर्मचारियों के साथ-साथ उनके पुत्र-पुत्रियों को भी नौकरी देतीं हैं। टाटा की यह व्यवस्था किसी दूसरे समूह की कंपनियों में नहीं है।
शहर की प्रमुख कंपनी टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टिनप्लेट, टीआरएफ आदि कंपनियां इस धरोहर को बचाए रखी हैं लेकिन वहीं शहर की आधा दर्जन टाटा की ऐसी भी कंपनियां हैं, जहां कर्मचारी पुत्रों का निबंधन नहीं होता है। वहां कर्मीपुत्रों का नियोजन भी नहीं किया जाता है। इन कंपनियों में टाटा पावर, टीएसपीडीएल, न्युवोको विस्टास कॉर्प, टाटा ब्लूस्कॉप, टिमकेन इंडिया लिमिटेड, आइएसडब्ल्यूपी आदि शामिल हैं। हालांकि यहां के यूनियन नेता अब कर्मीपुत्रों के नियोजन की मांग उठाने लगे हैं।
ये कहते यूनियन नेता
टाटा की कंपनियों में इतनी संख्या में रजिस्ट्रेशन हो गया कि वहां नौकरी मिलना मुश्किल हो गया। अब रजिस्ट्रेशन को रोका गया। बावजूद कंपनियों में जहां भी बहाली निकलती है वहां कर्मीपुत्रों को प्राथमिकता मिलती है। टिनप्लेट में पिछले दो साल में एक सौ कर्मीपुत्रों को नौकरी मिली है। टीएसपीडीएल, टाटा पावर, न्युवोको व ब्लूस्कोप नई कंपनी हैं, यहां निबंधन कराने की मांग की गई है।
राकेश्वर पांडेय, यूनियन अध्यक्ष
टाटा स्टील में 25 साल नौकरी करने वाले स्थायी कर्मियों के पुत्र-पुत्रियों का निबंधन होता है। फिलहाल यहां करीब 14 हजार रजिस्ट्रेशन हुआ है। कर्मी पुत्र-पुत्रियों को नौकरी में प्राथमिकता मिलती है तो उम्र सीमा में भी छूट दी जाती है।
-आर रवि प्रसाद, अध्यक्ष टाटा वर्कर्स यूनियन
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