Move to Jagran APP

Bengal Chunav: बंगाल में लौटेगी ममता सरकार, आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी का दावा

Bengal Election. बंगाल चुनाव को लेकर एक्जिट पोल के नतीजे आने लगे हैं। इसमें कोई भाजपा काे बढ़त दिला रहा है तो कोई ममता बनर्जी की सरकार बनने की बात कह रहा है। ऐसे में झादिपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दावा कर रहे हैं कि बंगाल में ममता सरकार लौटेगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 01:12 PM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 01:12 PM (IST)
Bengal Chunav: बंगाल में लौटेगी ममता सरकार, आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी का दावा
झारखंड दिशोम पार्टी (झादिपा या जेडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ।

जमशेदपुर, जासं। बंगाल चुनाव को लेकर एक्जिट पोल के नतीजे आने लगे हैं। इसमें कोई भाजपा काे बढ़त दिला रहा है तो कोई ममता बनर्जी की सरकार बनने की बात कह रहा है। ऐसे में आदिवासी सेंगेल अभियान (असा) व झारखंड दिशोम पार्टी (झादिपा या जेडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू भी दावा कर रहे हैं कि बंगाल में ममता सरकार लौटेगी।

loksabha election banner

सालखन कहते हैं कि खेला होबे का फाइनल नतीजा दो मई को आना है। मगर उम्मीद है कि ममता दीदी तीसरी बार बंगाल की सीएम बनकर उभरेंगी। असा और जेडीपी ने सात मार्च से 21 अप्रैल के बीच अनेक जनसभाओं का आयोजन कर बीजेपी को हराने और टीएमसी को जिताने का अभियान चलाकर आदिवासी, दलित और मुसलमानों को रिझाने का हरसंभव प्रयास किया है। क्योंकि टीएमसी की बंगाल सरकार ने पांच दिसंबर 2020 और 22 फरवरी 2021 को सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए भारत सरकार को पत्र लिखकर आदिवासियों को साथ दिया है। जबकि इसके उलट बीजेपी जबरन सभी आदिवासियों को हिंदू बनाने पर उतारू है। असा और जेडीपी सरना धर्म कोड की स्वीकृति होने तक ममता दीदी के साथ संघर्ष करेगी। लगभग सभी चुनावी जनसभाओं को सालखन मुर्मू और सुमित्रा मुर्मू ने टीएमसी के प्रत्याशियों और नेताओं के साथ संबोधित किया है। पहली जनसभा सात मार्च को मालदा जिले के गाजोल कॉलेज मैदान में असा और जेडीपी ने एक विशाल आदिवासी जनसमावेश का आयोजन कर किया। इसे बंगाल के मंत्री रवींद्रनाथ घोष और पूर्व मंत्री मदन मित्रा समेत टीएमसी के कई प्रत्याशियों ने भी संबोधित किया।

सात मई को होगा झारखंड सरकार का पुतला दहन

सात मई को झारखंड सरकार का पुतला दहन होगा। चूंकि यह लैंड पूल के नाम पर सीएनटी-एसपीटी कानून तोड़ रही है। संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा नहीं बना रही है। सरना धर्म कोड के मामले पर टालमटोल रवैया अपनाती है।14 मई को भारत सरकार का पुतला दहन होगा, क्योंकि यह सरना धर्म कोड विरोधी है, आदिवासी विरोधी है। 21 मई को नौकरीपेशा में शामिल अधिकांश आदिवासियों का पुतला दहन होगा, क्योंकि ये स्वार्थी हैं, अपने लिए जीते हैं और आदिवासी समाज को सहयोग नहीं करते हैं। कोरोना के खतरों और गाइडलाइन का ध्यान रखते हुए असा और जेडीपी आदिवासी सशक्तीकरण का काम झारखंड, बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा के अलावा नेपाल, भूटान व बांग्लादेश में जारी रखेगा। हाल में 22 अप्रैल को असम के कोकराझार जिला और 25 अप्रैल को किशनगंज जिला में राज्यस्तरीय बैठकों का आयोजन हुआ, जिसमें सालखन मुर्मू व सुमित्रा मुर्मू शामिल हुए थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.