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आसमान में पेंच लड़ाए, नदी किनारे मुर्गे भिड़ाए

शहर में मकर संक्रांति का उल्लास चहुंओर दिखा। इसके साथ ही आदिवासियों-मूलवासियों ने टुसू और दक्षिण भारतीय समाज ने पोंगल-पंडूगा का खूब आनंद उठाया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 07:07 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 07:07 AM (IST)
आसमान में पेंच लड़ाए, नदी किनारे मुर्गे भिड़ाए
आसमान में पेंच लड़ाए, नदी किनारे मुर्गे भिड़ाए

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहर में मकर संक्रांति का उल्लास चहुंओर दिखा। इसके साथ ही आदिवासियों-मूलवासियों ने टुसू और दक्षिण भारतीय समाज ने पोंगल-पंडूगा का खूब आनंद उठाया। सुबह से ही स्वर्णरेखा व खरकई नदी में स्नान करने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी, जो दोपहर तक रही। नदी से निकलकर लोगों ने अन्न-वस्त्र दान किया, जिसके लिए मानगो पुल से दोमुहानी तक गरीब कतारबद्ध होकर बैठे थे। इसके बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु उमड़ते रहे। बिहार-उत्तर प्रदेश के लोगों ने घर में परिवार के साथ चूड़ा, दही, तिलकुट का आनंद उठाया, जबकि टुसू मनाने वालों ने गुड़ पीठा के साथ लजीज व्यंजन का लुत्फ लिया। दक्षिण भारतीय परिवारों ने पोंगल (खिचड़ी) का आनंद लिया। दोमुहानी में मकर संक्रांति के साथ टुसू का संगम दिखा। एक ओर जहां लोग नदी में स्नान-दान कर रहे थे, जबकि पास में ही कई लोग मुर्गा लड़ाई का आनंद उठा रहे थे। मोहल्लों में बच्चों के साथ बड़ों ने पतंग भी उड़ाए। गली-मोहल्ले में बच्चों-युवाओंने लाउडस्पीकर-साउंड बॉक्स लगाकर देर शाम तक गीत-संगीत का मजा लिया। इस दौरान अलग-अलग संस्थाओं-समाज की ओर से गरीबों-जरूरतमंदों के बीच अन्न-वस्त्र दान किया। मकर संक्रांति का पर्व समाज के सभी लोगों ने अपनी-अपनी परंपरा व संस्कृति के साथ लिया।

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उधर, शहर के मलयाली (केरल) समाज की जुटान टेल्को भुवनेश्वरी मंदिर परिसर स्थित अयप्पा भगवान के मंदिर में हुई। समाज के लोगों ने मकर संक्रांति का आनंद लिया। नए वस्त्र धारण कर मंदिर परिसर पहुंचे। भगवान अयप्पा का चंदन एवं अन्य सामग्रियों से अभिषेकम किया गया। इसके बाद भागवत पाठ हुआ। भगवान अयप्पा की उत्सव मूर्ति को मंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया। मंदिर कमेटी के चेयरमैन सुकुरामन ने बताया कि परिभ्रमण के दौरान नीचे से ऊपर उठने के लिए 18 सीढि़यों में 18 नरियल को फोड़ा गया और भगवान की पूजा अर्चना की गई। इसके बाद सैकड़ों सदस्यों ने प्रसाद ग्रहण किया। शाम को भगवान की महाआरती की गई।


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