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मकर संक्रांति पर स्वर्णरेखा एवं खरकई नदी में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, किया पुण्य दान

Makar Sankranti मान्यता है कि भगवान सूर्य ने वरदान दिया है कि साल में एक बार जब वह शनिदेव की राशि मकर में आएंगे तो शनि के घर को संपन्न बनाएंगे। शनि देव के मकर राशि में आने पर सूर्य देव की तिल गुड़ से पूजा की जाती थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 06:29 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 06:29 PM (IST)
मकर संक्रांति पर स्वर्णरेखा एवं खरकई नदी में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, किया पुण्य दान
मकर संक्रांति पर नदी में स्नान के बाद दान-पुण्य करते श्रद्धालु।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मकर संक्रांति के अवसर पर शुक्रवार तड़के से ही स्वर्णरेखा नदी व खरकई नदी के किनारे बने घाटों पर स्नान ध्यान करने के बाद गरीबों के बीच दान दक्षिणा देकर पुण्य के भागी बनेे। पंडित  शुक्रवार 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने पर पुण्य नहीं मिलने की बात कर रहे थे, लेकिन अधिकांश लोगों ने आज 14 जनवरी को ही स्नान

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दान कर किया। नदी तट पर ही हवन-पूजन करने के बाद कई श्रद्धालुओं ने तिल-तिलकुट, चूड़ा-दही का सेवन नदी तट पर ही किया।

हालांकि कोरोना के कारण व पंडितों द्वारा 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने की बात कहने के कारण पूर्व के सालों की तरह नदियों में भीड़ नहीं हुई, लेकिन लोग देर तक नदियों में स्नान कर दान पुण्य का काम करते रहे। भीड़ के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से सभी प्रमुख घाटों की सफाई के साथ ही कोरोना से बचाव के लिए घाटों पर पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे।

शहर के इन घाटों पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर शहर के लोगों ने आज 14 जनवरी को मानगो स्वर्णरेखा घाट, सोनारी दोमुहानी घाट, बागबेड़ा बड़ौदा नदी घाट, भुइयांडीह घाट, बाबूडीह घाट, बारीडीह नदी घाट में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। उपरोक्त घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। हालांकि कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम नजर आई।

मकर संक्रांति में दान की है बड़ी महिमा

शहर के पंडित सूरज झा कहते हैं कि पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि सूर्य के उत्तरायण होने के दिन यानि मकर संक्रांति के दिन दान और सूर्य देव, नव ग्रह और देवी देवताओं की पूजा करने से अन्य दिनों में किए गए दान-धर्म से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। पंडित सूरज झा कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य ने शनिदेव को वरदान दिया है कि साल में एक बार जब वह शनिदेव की राशि मकर में आएंगे तो शनि के घर को संपन्न बनाएंगे। शनि देव के अपने घर यानि मकर राशि में आने पर सूर्य देव की तिल, गुड़ से पूजा की जाती थी। उसी समय से परंपरा चली आ रही है कि मकर संक्रांति के दिन शनिदेव की और सूूर्य देव की प्रसन्नता के दिन जरूरतमंदों को कपड़ा, कंबल, तिल, गुड़, चूड़ा आदि का दान करना चाहिए।


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