माझी परगना महाल ने की पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बयान की निदा
मंगलवार को घाटशिला के पावड़ा में देश परगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में माझी परगना महाल की बैठक हुई। इस दौरान परगना बाबाओं ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी समाज के अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। बैठक में आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के तहत माझी परगना महाल उनके बयानों की निंदा की..
संस, घाटशिला : मंगलवार को घाटशिला के पावड़ा में देश परगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में माझी परगना महाल की बैठक हुई। इस दौरान परगना बाबाओं ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी समाज के अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। बैठक में आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के तहत माझी परगना महाल उनके बयानों की निंदा की। कहा, बाबूलाल मरांडी का सामाजिक जीवन विश्व हिदू परिषद के स्कूल से शुरू हुआ, इसलिए वे हिदू धर्म के अनुयायी हो गए हैं। संथाल आदिवासियों का रीति रिवाज, पूजा-पद्धति, धर्म संस्कृति व परंपरा से वे अनजान हैं। इसीलिए विश्व हिदू परिषद व आरएसएस के दिशा-निर्देश पर आदिवासियों को दिग्भ्रमित कर जबरन हिदू बनाने पर तुले हुए हैं। आदिवासियों की परंपरागत स्वशासन व्यवस्था में माझी, नायके, गोड़ेत, पारानिक, जोगमाझी, मोड़े-होड़ ही सर्वोपरि हैं। इन्हें रूढ़ीवादी प्रथा व पेशा कानून 1996 के तहत ग्राम सभा का अधिकार मिला है, जिसमें न्यायपालिका, कार्यपालिका व विधायिका की शक्तियां समाहित हैं। बाबूलाल को ज्ञात होना चाहिए कि किसी व्यक्ति को जबरन किसी धर्म का बताना या धर्मांतरण कराना गैर कानूनी है। मरांडी अपने आप को जन्म से ही हिदू मानते हैं। परंतु आदिवासी हिदू नहीं हैं। हिदुओं को आदिवासियों का लाभ लेने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए जो आदिवासी अपने धर्म, भाषा, संस्कृति, पूजा-पद्धति, रीति-रिवाज को छोड़कर हिदू, मुस्लिम, सिख, इसाई या बौद्ध धर्म में धर्मांतरित हुए हैं, उन्हें आदिवासियों को दिए गए संवैधानिक, सरकारी सहायता या आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। आदिवासी विरोधी बयान व उनके कृत्य के लिए उन्हें समाज के पारगना बाबा अखरा में बुलाया जाएगा। बैठक में परगाना बाबाओं ने आदिवासियों से अपील करते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी की बातों में न आएं। उनका विरोध करें। आदिवासी सरना हैं। बैठक में तोरोप परगना, दासमत हांसदा, मंगल चंद्र टुडू, हरिपदो मुर्मू, लखन मार्डी, दुर्गाचरण मुर्मू, मधु सोरेन, रामराय हांसदा, गुमदा मार्डी, सुकुमार सोरेन समेत समाज के कई लोग उपस्थित थे।