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सोना की खान लेकर बैठ गई मैथन इस्पात, निरस्त होगा लाइसेंस

पहाड़डीहा स्वर्ण खनिज ब्लॉक का रकबा लगभग 272.65 हेक्टेयर है। इस ब्लॉक को ऑक्शन कर कोलकाता की कंपनी मेसर्स मैथन इस्पात लिमिटेड को 21 अगस्त 2018 में स्वर्ण खनिज की समेकित अनुज्ञप्ति कुछ शर्तों के साथ दी गयी है। इसकी अवधि तीन साल है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 10:21 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 05:36 PM (IST)
सोना की खान लेकर बैठ गई मैथन इस्पात, निरस्त होगा लाइसेंस
ये है सोना खदान की सांकेतिक तस्‍वीर।

चाईबासा, सुधीर पांडेय।  पश्चिमी सिंहभूम के पहाड़डीहा में स्वर्ण अयस्क खान को सरकार ने कोलकाता की कंपनी मैथन इस्पात प्राईवेट लिमिटेड दो साल पहले दिया था। उसे तीन साल के लिये कंपोजिट लाईसेंस दिया गया था। कम्पनी को हर छह माह में सभी तरह की संचालित प्रक्रियाओं की जानकारी सरकार को देनी थी। मगर कंपनी ने लीज़ मिलने के बाद से अब तक किसी तरह की गतिविधि शुरू नहीं की है। इस पर खान विभाग ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुई सरकार को मैथन इस्पात का लीज रद करने के लिये पत्र लिखा है। पश्चिमी सिंहभूम में स्वर्ण अयस्क की यही एक खदान है। अगर ये समय से चालू हो जाती तो सरकार को राजस्व के साथ-साथ रोज़गार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

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सरकार ने भी किया है कंपनी को शोकॉज : डीएमओ

जिला खनन पदाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत पहाड़डीहा स्वर्ण खनिज ब्लॉक का रकबा लगभग 272.65 हेक्टेयर है। इस ब्लॉक को ऑक्शन कर कोलकाता की कंपनी मेसर्स मैथन इस्पात लिमिटेड को 21 अगस्त 2018 में स्वर्ण खनिज की समेकित अनुज्ञप्ति (कंपोजिट लाइसेंस) कुछ शर्तों के साथ दी गयी है। इसकी अवधि तीन साल है। कंपनी को हर छह माह में खदान में की गयी सभी प्रकार की गतिविधियों की एक समेकित रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। कंपनी छह माह की रिपोर्ट नहीं भेज रही है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि कंपनी ब्लॉक में काम करने की इच्छुक नहीं है। इस संबंध में विभाग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रेषित करते हुए मैथन इस्पात का लाइसेंस निरस्त करने की अनुशंसा की है। सरकार ने भी इसके आलोक में कंपनी को शोकाज कर जवाब मांगा है। अगर समय सीमा के अंदर कंपनी ने जवाब दाखिल नहीं किया तो लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया की जायेगी।

ये है अयस्क में से सोना निकालने की प्रक्रिया

सोना को क्वार्ट्ज पत्थरों से निकाला जाता है। सोने के छोटे-छोटे टुकड़े इन पत्थरों में होते हैं। ऐसे पत्थर रांची और पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम में पाया जाता है। खुदाई के बाद पत्थर की पिसाई कर तेज पानी के बहाव में छाना जाता है। भारी धातु नीचे बैठ जाती है। फिर गोल्ड अट्रैक्टर मैग्नेटिक नीडल से सोना पत्थर से अलग किया जाता है।

कुंदरकोचा व लावा में हो रहा अभी स्वर्ण अयस्क का खनन

पूर्वी सिंहभूम के कुंदरकोचा और लावा में दो जगह पहले से ही स्वर्ण अयस्क का खनन हो रहा है। चाईबासा जिले के पहाड़हीहा में खनन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। वहीं, जमशेदपुर के भीतरडारी में भी बड़ी मात्रा में सोने की खान मिली है।

पहाड़डीहा में सोने के अकूत भंडार का भूतत्व विभाग का दावा

 पश्चिमी सिंहभूम जिले के आनंदपुर प्रखंड के पहाड़डीहा में स्वर्ण अयस्क का भरपूर भंडार होने का दावा खान एवं भूतत्व विभाग ने किया है। भूतत्व विभाग के अनुसार पहाड़डीहा में जीएसआई और एमईसीएल ने मिलकर लगभग 6 हेक्टेयर में अन्वेषण का काम किया था। 6 हेक्टेयर के क्षेत्र में करीब 1.16 मिलियन टन मेटल का 2.12 गोल्ड प्रति टन, 1.16 एमटी सिलवर, 222.4 टन कॉपर, 581 टन लेड, 1859 टन जिंक, 2905 टन निकेल और 1.16 एमटी क्वार्टज मौजूद है। मैथन इस्पात ने अभी तक अन्वेषण का काम नहीं किया है इसलिए यह बताना मुश्किल हो रहा है कि 276 हेक्टेयर के ब्लॉक में स्वर्ण अयस्क का कितना डिपॉजिट है और उसमें कितना सोना निकलेगा।


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