लोरियन शीहर्ट्ज के तबले का चला जादू
प्रदेश में पहली बार आयोजित दो दिवसीय प्रवासी भारतीय संगीत व नृत्य महोत्सव का आगाज शनिवार को बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन सभागार में हुआ।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : प्रदेश में पहली बार आयोजित दो दिवसीय प्रवासी भारतीय संगीत व नृत्य महोत्सव का आगाज शनिवार को बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन सभागार में हुआ। प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ व स्वराजलि, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटने चिकित्सक डॉ. एचएस पाल व प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ के सचिव सज्जल कौसर ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
महोत्सव का शुभारंभ अंतरराष्ट्रीय कत्थक नृत्यागना डॉ. समीरा कौसर के कत्थक नृत्य से हुआ। डॉ. समीरा कौसर ने कृष्ण स्तुति से अपना प्रदर्शन शुरु किया, इस दौरान उन्होंने 11 मात्रा में जयपुर घराना की पारंपरिक शुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया। उन्होंने यशोधरा भी पेश की। उनके साथ ख्याल में गुरु ज्वाला प्रसाद, पंडित गुरु ब्रजमोहन गंगानी, तबले पर फतेह सिंह गंगानी व महमूद खान, सितार पर देवप्रिय ठाकुर और बासुरी पर अशोक कुमार दास ने संगत किया। अपनी प्रस्तुति से डॉ. समीरा कौसर ने सभागार में खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद शहर की अनिमित्रा रायचौधरी ने शास्त्रीय गायन पेश किया। उन्होंने राग हेमंत में विलंबित, एकताल में बंदिश 'तू ही करतब सब जगा के..', द्रुत तीन ताल में बंदिश 'हमारी सुधा ली जे मुरारी..' पेश किया। इसके बाद दादरा 'बलमुआ तुम क्या जानो प्रीत..' प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। उनके साथ तबले पर शकर बनर्जी एवं हारमोनियम पर शयान चटर्जी ने संगत किया। महोत्सव में शुभव्रत चटर्जी ने मनमोहक सरोद वादन से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। शुभव्रत चटर्जी ने राग मालकोस, आलाप, जोड़, झाला व दो बंदिशे पेश की। शुभव्रत के सरोद वादन का तबले पर जर्मनी से आए फ्लोरियन शीहर्ट्ज ने बखूबी संगत किया। दोनों ने सरोद और तबले की जुगलबंदी ने जमकर तालिया बटोरीं। इस अवसर पर विदुषी कोयल दासगुप्ता नाहा ने राग मझ खमाज में ठुमरी प्रस्तुत किया। उन्होंने पीलू, दादरा, भैरवी भी सुनाई। महोत्सव का समापन रविवार को होगा।