बूस्टर देकर डायटीशियन ने बचा ली कोरोना संक्रमितों की जान
डायटीशियन अन्नू सिन्हा की ओर से दिए गए पौष्टिक आहार की सभी कर रहे तारीफ - कोरोना संक्रमित मरीजों की कम मौत होने के कारण एमजीएम की बनी अलग पहचान।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोल्हान प्रमंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम आय दिनों दिनों किसी न किसी कारण से चर्चा में रहता है। कभी मरीज की मौत को लेकर तो कभी दवा व डाक्टर नहीं मिलने को लेकर। लेकिन, कोरोना काल के दौरान यह अस्पताल पूरे झारखंड में यह अलग पहचान बनाने में सफल रहा है और इसका श्रेय पूरे टीम को जाता है। लेकिन, इसमें यदि सबसे अधिक किसी का योगदान है तो वह डायटीशियन अन्नू सिन्हा का। उन्होंने कोरोना मरीजों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए न सिर्फ फंड का जुगाड़ किया, बल्कि अलग से बूस्टर भी तैयार किया। ताकि मरीजों की इम्यूनिटी बढ़ाई जा सके और जल्द से जल्द वे स्वस्थ होकर घर लौट सकें। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस टीएमएच से यहां काफी कम मरीजों की ही मौत हुई है, जिसकी सराहना स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव केके सोन भी कर चुके हैं।
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जरूरी था कोरोना संक्रमित मरीजों को पौष्टिक आहार देना :
मई, जून माह में जब कोरोना का प्रकोप चरम पर था तब एमजीएम अस्पताल को डेडिकेटेड हास्पिटल बनाया गया था। उस दौरान भर्ती होने वाले मरीजों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना जरूरी था। कारण कि शरीर का इम्यूनिटी कमजोर होने से मरीजों को अधिक खतरा था। लेकिन, एमजीएम प्रबंधन के पास इन मरीजों के लिए अलग से कोई फंड मौजूद नहीं था। ऐसे में डायटीशियन अन्नू सिन्हा ने मोर्चा संभाला। उन्होंने इसकी जानकारी एमजीएम अधीक्षक डा. संजय कुमार, उपाधीक्षक डा. नकुल प्रसाद चौधरी को दी। इसी दौरान अन्नू सिन्हा की मुलाकात डा. रविभूषण अग्रवाल से हुई। डा. अग्रवाल कोरोना संक्रमितों के भोजन पर होने वाले सारे खर्च उठाने को तैयार हो गए। इसके बाद डायटीशियन अन्नू सिन्हा ने संक्रमितों के लिए अलग से मेनू बनाया और सभी को दिया। कोरोना काल के दौरान एमजीएम की व्यवस्था को काफी सराहा गया।