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NH 333: टाटा-रांची हाइवे बनाने में फेल हो गई थी मधुकॉन, अब हैदराबाद में पड़ रहे ईडी के छापे

कहते हैं कानून के हाथ लंबे होते हैं। टाटा-रांची एक्सप्रेस वे का काम दस साल पहले शुरू हुआ था लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया। पहली बार इसे पूरा करने का जिम्मा मधुकॉन को दिया गया था लेकिन हैदराबाद की यह कंपनी 1000 करोड़ के घोटाले में फंस गई।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 09:24 AM (IST)
NH 333: टाटा-रांची हाइवे बनाने में फेल हो गई थी मधुकॉन, अब हैदराबाद में पड़ रहे ईडी के छापे
टाटा-रांची हाइवे बनाने में फेल हो गई थी मधुकॉन, अब हैदराबाद में पड़ रहे ईडी के छापे

जमशेदपुर, जासं। टाटा-रांची राष्ट्रीय उच्चपथ (एनएच-33) को फोरलेन बनाने का ठेका दक्षिण भारत की कंपनी मधुकॉन को मिला था। वह सड़क तो नहीं बना पाई, लेकिन झारखंड सरकार पर ही तमाम आरोप लगाकर यहां से निकल गई थी। अब हैदराबाद स्थित उसके ठिकानों पर ईडी के छापे पड़ रहे हैं।

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को हैदराबाद स्थित तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सांसद एन नागेश्वर राव की फर्म के कार्यालयों के अलावा मधुकॉन समूह के कार्यालयों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी मधुकॉन समूह की कंपनी रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड के कथित धन के इस्तेमाल से संबंधित है।

1000 करोड़ से अधिक के घोटाले का आरोप

बताया जाता है कि आंध्रप्रदेश व तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित मधुकॉन के कार्यालयों और कुछ निदेशकों के आवासों पर छापेमारी की गई है। इस समूह पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने मार्च 2020 में केनरा बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह को कथित तौर पर 1,000 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचाने के लिए इसके अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के. श्रीनिवास राव सहित रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड के प्रमोटरों पर मामला दर्ज किया था।

रांची-टाटा एक्सप्रेस का काम मधुकॉन को मिला था

रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड को वर्ष 2011 में मधुकॉन इंफ्रा लिमिटेड और मधुकॉन प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा संचालित किया गया था। इस कंपनी को रांची-टाटा (जमशेदपुर) राष्ट्रीय उच्चपथ के 114 किमी से 277.50 किमी तक फोरलेन निर्माण करना था। कंपनी को सड़क की डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन, स्थानांतरण (डीबीएफओटी) आदि काम के लिए पैसे मिले थे।

सीबीआई ने किया था केस दर्ज

सीबीआई ने कहा था कि निदेशकों ने बैंकों के समूह द्वारा जारी किए गए 1,029.39 करोड़ के कुल ऋण को प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर धोखाधड़ी की गई थी। 2018 में ऋण गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बनने के साथ परियोजना में कोई प्रगति नहीं हुई थी। 31 जनवरी 2019 को, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कंपनी के साथ अपने अनुबंध को समाप्त कर दिया और केनरा बैंक के साथ प्रदर्शन बैंक गारंटी के नकदीकरण के माध्यम से 73.95 करोड़ जब्त कर लिया था। 


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