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रांची-टाटा NH-33 निर्माण में मधुकॉन ने नहीं की 1,046 करोड़ की धोखाधड़ी, बोले टीआरएस नेता नागेश्वर राव

पिछले दस साल से रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग बन ही रहा है लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। सबसे पहले मधुकॉन को इसका ठेका मिला था लेकिन वह 1046 करोड़ के बैंक घोटाले में फंस गया। मधुकॉन ने मालिक व टीआरएस नेता से ईडी ने पूछताछ की है।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 09:51 AM (IST)
रांची-टाटा NH-33 निर्माण में मधुकॉन ने नहीं की 1,046 करोड़ की धोखाधड़ी, बोले टीआरएस नेता नागेश्वर राव
रांची-टाटा NH-33 निर्माण में मधुकॉन ने नहीं की 1,046 करोड़ की धोखाधड़ी

जमशेदपुर : हाल ही में लोकसभा में टीआरएस के नेता व मधुकॉन निदेशक नमा नागेश्वर राव को प्रवर्तन निदेशालय (ED)ने पूछताछ की थी। मधुकॉन को ही सबसे पहले रांची-टाटा NH-33 का काम पूरा करने का ठेका मिला था, लेकिन बाद में यह कंपनी 1,046 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में फंस गया। उन्होंने शनिवार को हैदराबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कंपनी ने कोई गलत काम नहीं किया है और वे जांच अधिकारियों को सहयोग करेंगे।

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उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अनुमति में देरी की थी और रांची-रड़गांव-जमशेदपुर के बीच 163 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग -33 बिछाने के लिए मधुकॉन को परियोजना सौंपने से पहले पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली थी। इसके अलावा, NHAI को 21 फीसद भूमि हस्तांतरण के लिए मंजूरी मिली, हालांकि उसे काम शुरू करने के लिए कंपनी को कम से कम 80 फीसद देना चाहिए था। सुचारू संचालन के मानदंड को पूरा नहीं करने के बावजूद कंपनी को काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि एनएचएआई ने अनुबंध के उल्लंघन का सहारा लिया और मधुकॉन कंपनी को वित्तीय नुकसान में डालकर इसे अवैध रूप से समाप्त कर दिया।

मधुकॉन को केनरा बैंक से मिले थे 1029 करोड़ रुपये

हालांकि, वह ईडी की पूछताछ में शामिल होंगे और उनकी शंकाओं को दूर करेंगे। मधुकॉन कंपनी ने 1,151 करोड़ रुपये की लागत से प्रोजेक्ट को बिल्ड, ऑपरेट और ट्रांसफर मोड के लिए रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड की स्थापना की। मधुकॉन को केनरा बैंक के तहत बैंकों के एक संघ से 1,029.39 करोड़ मिले।

नागेश्वर बोले, कंपनी के देखभाल भाई करते थे

नागेश्वर राव ने दावा किया कि वह सार्वजनिक जीवन में आने के बाद मधुकॉन के दिन-प्रतिदिन के कार्यों में शामिल नहीं थे और कंपनी की देखभाल उनके भाइयों द्वारा की जा रही थी। उन्होंने कहा कि कंपनी ने पिछले 40 वर्षों में प्रतिष्ठा हासिल की है और उसने चीन की सीमा पर सड़कें बनाई हैं जहां राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियां भी नहीं कर सकतीं।


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