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वनवास के दौरान यहां भगवान राम ने डाला था डेरा,अनुज लक्ष्‍मण और पत्‍नी सीता भी थी साथ; जानिए

रामतीर्थ में प्राकृतिक संरचना की अपार सुंदरता झलकती है। बड़े-बड़े चट्टान व लम्बी-चौड़ी नदी सैलानियों व श्रद्धालुओं के लिए हमेशा आस्था व विश्वास का केंद्र रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 09:11 AM (IST)
वनवास के दौरान यहां भगवान राम ने डाला था डेरा,अनुज लक्ष्‍मण और पत्‍नी सीता भी थी साथ; जानिए

जगन्नाथपुर, जेएनएन। Lord Ram सतयुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम चंद्र ने अपने अनुज लक्ष्मण और  पत्नी सीता के साथ झारखंड-ओडिशा की सीमा पर डेरा डाला था। वह पवित्र स्थल है कोल्‍हान प्रमंडल के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर अंचल की गोद में बसे प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेरता  रामतीर्थ। यहां 14 जनवरी मकर संक्राति के दिन झारखंड, ओडिशा सहित अन्य राज्य के हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं।

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रामतीर्थ के नाम से ही यह आभास हो जाता है कि जब श्रीराम चंद्र जी अपने पिता राजा दशरथ की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष के वनवास पर निकले थे तो पूरे भारत वर्ष के भ्रमण के दौरान 14 जनवरी को उनके पवित्र चरण का स्पर्श रामतीर्थ स्थित वैतरणी नदी में हुआ था। यहां पर उन्होंने अपने अनुज लक्ष्मण व पत्नी सीता माता के साथ कुछ क्षण विश्रम कर अहले भोर अपनी यात्र पुन: आरंभ की थी। यहां 14 जनवरी को हर साल भव्य मेला का आयोजन होता है। मेला को सफलता और शांतिपूर्वक आयोजन कराने के लिए सरकार की ओर से अंचल कार्यालय के माध्यम से हर साल मकर मेला का डाक कराया जाता है। इस बार 83,900 में रामतीर्थ मेला का डाक हुआ है।

श्रद्धालुओं के लिए आस्था व विश्वास का केंद्र

मकर संक्रांति के मौके पर रामतीर्थ पहुंचे लोग। 

रामतीर्थ में प्राकृतिक संरचना की अपार सुंदरता झलकती है। बड़े-बड़े चट्टान व लम्बी-चौड़ी नदी सैलानियों व श्रद्धालुओं के लिए हमेशा आस्था व विश्वास का केंद्र रहे हैं। वैतरणी नदी से ही टाटा स्टील नोवामुंडी व रेल क्षेत्र डांगोवापोसी के लिए पानी की सप्लाई होती है। वैतरणी नदी तट पर साक्षात भगवान भोलेशंकर का शिवलिंग भी स्थापित है। मंदिर परिसर का झारखंड सरकार व स्थानीय विधायक गीता कोड़ा की ओर से समय-समय पर सौंदर्यीकरण का प्रयास जारी रहा है। यहां शिवरात्रि, श्रवण माह में भक्तों की आपार भीड़ उमड़ती है। इतना ही नहीं नववर्ष, वैवाहिक जीवन की शुरुआत, अंतिम संस्कार कार्यक्रम आदि भी पूरी आस्था व विश्वास के साथ यहां आयोजित होता है।

पड़ोसी राज्यों से भी भक्त यहां आते हैं आस्था की डुबकी लगाने

मकर संक्रांति के मौके पर वैतरनी नदी में डूबकी लगाते लोग। 

14 जनवरी मकर संक्रांति को यहां लगने वाले भव्य मेले में झारखंड तथा पड़ोसी राज्य ओडिशा के हजारों भक्त आस्था की डुबकी लगाने के साथ-साथ श्रीराम के पवित्र चरण के दर्शन व भोलेशंकर की पूजा-अर्चना कर दही, चूड़ा, तिलकुट आदि का भोग लगाते हैं। कई श्रद्धालु पतंग उड़ाकर खिचड़ी पर्व का भी मजा लेते हैं। मेले की विधि-व्यवस्था को लेकर दोनों ही राज्य की पुलिस तथा आयोजन समिति के वोलेंटियर तैनात रहते हैं। छोटे व बड़े वाहनों के लिए पार्किग की भी व्यवस्था होती है।


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