Fire safety: एमजीएम अस्पताल में आग लगी तो हो सकता है बड़ा हादसा
Fire safety in MGM Hospital.एमजीएम में फायर सेफ्टी को लेकर हाईकोर्ट ने भी जुलाई 2017 में सरकार से रिपोर्ट तलब किया था। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि अगर अस्पतालों में आग लगी तो उससे निपटने के लिए क्या व्यवस्था है।
जमशेदपुर, जासं। कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम की स्थापना 1962 में हुई थी। तब से लेकर अभी तक यह अस्पताल अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। लगभग 58 साल पूर्व एमजीएम अस्पताल को मेडिकल कॉलेज की मान्यता मिली थी। मकसद था मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के साथ-साथ भावी चिकित्सकों को तैयार करना। लेकिन उम्मीद पर यह खरा नहीं उतर सका है। इसके पीछे कई खामियां है जो लंबे समय से चली आ रही है।
अभी हाल में देश के विभिन्न राज्यों में संचालित अस्पतालों में आग लगने का मामला सामने आया है। गुरुवार को झारखंड के गोड्डा स्थित एक अस्पताल में भी आग लग गई। मरीजों की जान किसी तरह बचायी गई। लेकिन क्या ऐसा हादसा अगर एमजीएम में होता है तो वह निपट सकेगा। दैनिक जागरण की टीम ने इन बिंदुओं पर पड़ताल की तो जवाब मिला- नहीं। यहां आग से निपटने का कोई इंतजाम नहीं है। फायर सेफ्टी के नाम पर कुछ भी व्यवस्था नहीं है। कहीं-कहीं अग्निशमन यंत्र लगे जरूर हैं लेकिन किसी काम के नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष 2013 में लगे यंत्र खराब हो चुके हैं।
नए भवन की उंचाई कम होने से नहीं जा सकती फायर बिग्रेड गाड़ी
एमजीएम अस्पताल में दो नए भवन का निर्माण हुआ है लेकिन उसमें कई खामियां बरकरार है। इसमें एक खामियां यह भी है कि भवन के नीचे का जो रास्ता छोड़ा गया है उसकी उंचाई काफी कम है। उसकी उंचाई कम से कम 16 फीट होनी चाहिए लेकिन 12 फीट ही है। ऐसे में वहां से कोई बड़ी गाड़ी या फिर फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं जा सकती है। यानी आग लगी तो भगवान ही मालिक होंगे। जबकि उसी रास्ते से शिशु विभाग, बर्न वार्ड, निर्माणधिन बीएससी नर्सिंग स्कूल, जीएनएम स्कूल, कर्मचारियों की क्वार्टर सहित अन्य विभाग जाना होता है।
जुलाई 2017 में हाईकोर्ट ने तलब की थी रिपोर्ट
एमजीएम में फायर सेफ्टी को लेकर हाईकोर्ट ने भी जुलाई 2017 में सरकार से रिपोर्ट तलब किया था। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि अगर अस्पतालों में आग लगी तो उससे निपटने के लिए क्या व्यवस्था है। इसे लेकर एमजीएम प्रबंधन ने सरकार को एक रिपोर्ट तैयार भेजा था। रिपोर्ट में बताया गया था कि कुछ-कुछ जगहों पर अग्नि शमन यंत्र लगे जरूर हैं पर उसके माध्यम से आग पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। आधे से अधिक यंत्र खराब हो चुके हैं। जो ठीक भी हैं वे कितने कारगर होंगे, इसकी जानकारी नहीं है।
ढ़ाई करोड़ रुपये की मांग की गई थी
एमजीएम अस्पताल में फायर सेफ्टी के लिए पूर्व में सरकार ने लगभग 70 लाख रुपये फंड उपलब्ध कराया था, जो काफी कम था। इसके बाद एमजीएम प्रबंधन ने सरकार से फायर सेफ्टी के लिए ढ़ाई करोड़ का फंड उपलब्ध कराने की मांग की थी ताकि नए सिरे से टेंडर कर आगे काम बढ़ाया जा सकें लेकिन उसके बाद से सरकार कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
ये कहते हैं अस्पताल अधीक्षक
फायर सेफ्टी को लेकर एक प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा गया है। वहां से ऑर्डर आते ही इसपर काम शुरू हो जाएगा।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम अस्पताल।