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झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के विरुद्ध एक बार फिर मुखर हुए कुणाल

Jharkhand Joint Entrance Examination Council. झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद पर बीएड अभ्यर्थियों के शोषण का आरोप मढ़ते हुए पूर्व विधायक और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी एकबार फ़िर आक्रामक हुए हैं। परीक्षा परिषद की कार्यसंस्कृति पर सवाल खड़े किये।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 10:47 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 10:47 AM (IST)
झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के विरुद्ध एक बार फिर मुखर हुए कुणाल
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अविलंब हस्तक्षेप का आग्रह किया है।

जमशेदपुर, जासं। झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद पर बीएड अभ्यर्थियों के शोषण और वित्तीय अतिचार का आरोप मढ़ते हुए पूर्व विधायक और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी एकबार फ़िर आक्रामक हुए हैं। उन्होंने जेसीईसीईबी द्वारा बीएड अभ्यर्थियों के काउंसिलिंग के लिए छात्रों से लिए जा रहे भारी भरकम शुल्क पर नाराज़गी जताते हुए परीक्षा परिषद की कार्यसंस्कृति पर सवाल खड़े किये।

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कहा कि बीएड के फ़ॉर्म भरने के लिए अभ्यर्थियों ने पहले ही 1000 रुपये का शुल्क भुगतान किया है। ऊपर से काउंसिलिंग के नाम पर लगातार अभ्यर्थियों का वित्तीय शोषण किया जा रहा है। कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में भी जेसीईसीईबी की मनमानी समझ से परे है। विदित हो की बीएड काउंसिलिंग के नाम पर परीक्षा परिषद द्वारा ईडब्ल्यूएस और ओबीसी श्रेणी के आवेदकों से 400 रुपये और आरक्षित वर्ग श्रेणी के अभ्यर्थियों से 250 रुपये का वित्तीय बोझ डालकर अतिचार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह

परिषद के इस निर्णय को अव्यवहारिक और अप्रासंगिक करार देते हुए पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अविलंब हस्तक्षेप का आग्रह किया है। कहा कि राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद का उद्देश्य राजस्व संग्रहित करना ना होकर अभ्यर्थियों के लिए उचित मंच मुहैया कराना चाहिए। लगातार जेसीईसीईबी के मनमानी कार्यसंस्कृति से युवाओं को मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। पूर्व विधायक ने इस आशय में सरकार से निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।


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