नई कृषि नीति से किसान गदगद, कहा-चकबंदी भी हो लागू
इन दिनों पूरे देश में किसानों के लिए बनी नीति की चर्चा हो रही है। कृषि सुधार नीति कैसी है। इस संबंध में जब पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों से बातचीत की गई तो अधिकांश किसानों ने सरकार की इस नीति को सराहा।
मनोज सिंह, जमशेदपुर : इन दिनों पूरे देश में किसानों के लिए बनी नीति की चर्चा हो रही है। कृषि सुधार नीति कैसी है। इस संबंध में जब पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों से बातचीत की गई, तो अधिकांश किसानों ने सरकार की इस नीति को सराहा। कुछ ने सरकार को सुझाव दिया कि सरकार को छोटे किसानों को ऋण की उपलब्धता तथा सभी उत्पाद पर बीमा कराने पर ध्यान देना चाहिए। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइस) में वृद्धि कर दी है, जो किसानों के लिए वरदान होगा। कुछ किसानों का कहना था कि सरकार अब चकबंदी नियम भी लागू करा दे तो बेहतर होगा।
क्या है कृषि नीति का लक्ष्य
राष्ट्रीय कृषि नीति का लक्ष्य ग्रामीण अवसंरचना को और अधिक दृढ़ बनाना है, ताकि कृषि संबंधी विकास को प्रोत्साहन मिल सके। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिकाधिक अवसरों का सृजन करना, कृषकों, कृषि श्रमिकों एवं उनके परिवारों का जीवन स्तर बढ़ाना, शहरों की ओर पलायन पर अंकुश लगाना और आर्थिक उदारीकरण व भूमंडलीकरण से उत्पन्न होने वाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए किसानों को सशक्त बनाना है।
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क्या कहते हैं जिले के प्रमुख किसान
नई कृषि नीति के दो पहलू हैं। फायदा यह है कि किसानों के लिए कृषि उत्पादन विपणन समिति यानी एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के अधिकार बरकरार रहेंगे। किसानों के पास सरकारी एजेंसियों का विकल्प खुला रहेगा, वर्तमान में कृषि उत्पादन विपणन समिति की ओर से विभिन्न वस्तुओं पर एक प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक बाजार शुल्क लगता है, लेकिन अब राज्य के बाहर व्यापार पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा। इसका लाभ खरीदार और विक्रेता दोनों को मिलेगा। (निजी कंपनियों और व्यापारियों की ओर से एपीएमसी टैक्स का भुगतान होगा, (किसानों की ओर से नहीं)। इसके अलावा किसानों को यह डर है कि कॉरपोरेट कंपनियां कृषि क्षेत्र से लाभ प्राप्त करने की कोशिश करेंगी।
- श्रीमंत मिश्रा, प्रगतिशील किसान, पटमदा
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केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि सुधार कानून बनाने जा रहे हैं, लेकिन मैंने अभी इस कानून का फायदा व नुकसान का अध्ययन नहीं किया है। हालांकि प्रारंभिक तौर पर सरकार जो भी नया नियम बनाती है, वह किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ही होती है। फिलहाल यह किसानों के हित में लग रहा है, लेकिन जब तक इस बिल का पूरा अध्ययन नहीं कर लेता, तब तक सही बातें नहीं रख सकता।
- यदुनाथ गोराई, प्रगतिशील किसान, पटमदा.
------- कृषि सुधार कानून लागू होने वाला है। इसके अनगिनत फायदे हैं। अब किसान बेहिचक अपना उत्पाद देश के किसी भी भाग में बिक्री कर सकते हैं। किसान अनुबंध खेती के लिए प्राइवेट एजेंसी के साथ भी साझेदारी कर सकते हैं। कांट्रैक्ट फार्मिंग निजी एजेंसियों को उत्पाद खरीदने की अनुमति देगी, कांट्रैक्ट केवल उत्पाद के लिए होगा। निजी एजेंसियों को किसानों की भूमि के साथ कुछ भी करने की अनुमति नहीं होगी और न ही कांट्रैक्ट फार्मिंग अध्यादेश के तहत किसान की जमीन पर किसी भी प्रकार का निर्माण होगा। किसान इसका अध्ययन करें तो उन्हें अच्छा लगेगा।
-- राणा प्रसाद, किसान पोटका
------- सरकार जो कानून बनाने जा रही है, वह किसानों के हित में है। अब किसान किसी के बंधन में नहीं रहेंगे। बिचौलिया किसानों पर हावी नहीं हो सकेगा। किसान अपना उत्पाद कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हो गए। किसानों को गुलामी प्रथा से मुक्ति मिल सकेगी। कानून लाने से पहले किसान सरकार की ओर से निर्धारित दरों पर निर्भर रहते थे, लेकिन नए कानून में किसान बड़े व्यापारियों और निर्यातकों के साथ जुड़ पाएंगे, जो खेती को लाभदायक बनाएगा। यही नहीं प्रत्येक राज्य में कृषि और खरीद के लिए अलग-अलग कानून है। अब एक समान केंद्रीय कानून समानता का अवसर उपलब्ध कराएगा। इससे बिचौलिया प्रथा से मुक्ति मिल सकेगी। -- बन बिहारी महतो, किसान, जमशेदपुर
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वर्तमान समय में केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारी जिसे आढ़तिया (बिचौलिया) कहा जाता है, को अनाज मंडियों में व्यापार करने की अनुमति थी, लेकिन नया विधेयक किसी को भी पैन नंबर के साथ व्यापार करने की अनुमति देता है। इससे बिचौलिये का खेल खत्म हो जाएगा जो देश भर में चलता है। सरकार को किसानों के हित में एक नया काम करना चाहिए। झारखंड समेत अन्य कई राज्यों में किसानों के जमीन बिखरे हुए हैं, एक स्थान पर नहीं हैं। यदि सरकार कानून लाकर चकबंदी सिस्टम लागू कर दें तो किसानों का सही में लाभ हो सकेगा। यही नहीं किसानों को कृषि ऋण लेने के लिए बैंकों का चक्कर लगाना पड़ता है, कोई भी बैंक किसानों को आसानी से ऋण उपलब्ध नहीं कराता, सरकार को इस पर ध्यान देने की जरुरत है।
- ललित राव, किसान, पोटका
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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानून किसानों के लिए अच्छा है। इससे छोटे हों या बड़े किसान दोनों को ही फायदा होगा। किसान अब अपना उत्पाद अपने दाम पर बाजार या मंडी में बेच सकेंगे। किसी बिचौलिये की जरुरत नहीं है। दूसरे प्रदेशों में उत्पाद भेजने पर एक से छह प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता था, जो अब नहीं लगेगा। अब किसी प्रकार के कागजात की भी जरुरत नहीं पड़ेगी। कुल मिलाकर किसान के हित में यह कानून लाया गया है।
- कमल, किसान रंगाटांड़, पटमदा
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