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Positive India : मायूसी के अंधेरे में उम्मीद बनकर टिमटिमा रहे ये सितारे

Positive India. आइए जानते हैं बॉलीवुड में चमक बिखेर रहे झारखंड के लौहनगरी स्टार कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में क्या कर रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 11:00 AM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 11:00 AM (IST)
Positive India : मायूसी के अंधेरे में उम्मीद बनकर टिमटिमा रहे ये सितारे
Positive India : मायूसी के अंधेरे में उम्मीद बनकर टिमटिमा रहे ये सितारे

जमशेदपुर, जासं। Positive India कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन के कारण हर कोई अपने घर में कैद है। इसके बावजूद जो जहां है, अपने स्तर से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने में योगदान दे रहा है। ऐसे में शहरवासियों को भी उत्सुकता है कि उनके शहर के सितारे कहां हैं और क्या कर रहे हैं।

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यहां यह बताने में सुखद अनुभूति हो रही है कि लौहनगरी के सितारे लॉकडाउन में भी शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। हर कोई फेसबुक, ट्विटर व इंस्टाग्राम से वीडियो, टेक्स्ट और पोस्ट शेयर कर देशवासियों को कोरोना से बचने के लिए जागरूक कर रहा है। आइए जानते हैं, बॉलीवुड में चमक बिखेर रहे लौहनगरी के स्टार लॉकडाउन में क्या कर रहे हैं।

लॉकडाउन में लगभग हर रोज बड़ा ही दिलचस्‍प होता मेरे घर का नजारा : दुर्रानी

कोरोना संकट को देखते हुए पूरे देश में जारी लॉकडाउन में मशहूर फिल्म निर्देशक डॉ. इकबाल दुर्रानी के मुंबई स्थित घर का नजारा हर रोज बहुत दिलचस्प होता है। उन्होंने दूरभाष पर बताया कि 35 साल की शादीशुदा जिंदगी में मैंने जितना समय अपने परिवार के साथ नहीं बिताया, उससे अधिक समय लॉकडाउन के दौरान बिता चुका हूं। मुंबई में अपार्टमेंट कल्चर हावी है। लॉकडाउन में आया, रसोइया सहित सभी नौकर-चाकर के आने पर पूरी तरह से पाबंदी है। हर कोई अपना काम खुद कर रहा है। इसके पहले के हालात ये थे कि परिवार के तमाम सदस्य घर आते ही अपने-अपने टैब, फोन व लैपटॉप लेकर बैठ जाते थे। आज आलम ये है कि सबकुछ साइड में है। परिवार का हर सदस्य बहुत ही को-ऑपरेटिव हो गया है।

हमारी सुरक्षा के लिए है लॉकडाउन

 

दिलचस्प ये है कि परिवार की जो महिला सदस्य पिछले कई सालों से किचेन में नहीं घुसी थीं, कभी झाड़ू नहीं उठाया था, वे आज घर के सारे काम हंसी-खुशी कर रही हैं। तरह-तरह के पकवान खाने और बनाने के लिए पूरा परिवार किचेन में ही इकट्ठा हो जा रहा है। हर कोई अपना काम खुद कर रहा है और घर के कामों में बड़ उत्साह से हाथ बंटा रहा है। कैरम, लूडो सहित अन्य फन गेम्स खेलते हुए समय बीत रहा है। जहां तक मेरी बात है तो मैं तो बिहारी हूं। कभी दही-चूड़ा खाया, कभी दूध-चूड़ा-गुड़ तो कभी भिगोए हुए चने-मूंग। अपने गांव के पारंपरिक व्यंजन एक-एक कर याद करके बना, बनवा और खा रहा हूं। बस एक ही मलाल है कि कोरोना के टेंशन ने दिमाग को इतना भारी कर दिया है कि कुछ लिखने की कोशिश तो कर रहा हूं, लेकिन लिख नहीं पा रहा हूं। सबसे अहम और जरूरी बात ये जो हम सबको समझनी है, वो ये है कि लॉकडाउन हमारे किसी जुर्म की सजा नहीं है, हमारी सुरक्षा के लिए है। इसलिए घर में रहें, सुरक्षित रहें और परिवार के साथ खुशियां मनाएं।

लॉकडाउन में मां के काम में हाथ बंटा रहीं शिल्पा

टेल्को कॉलोनी में जन्मी व पली-बढ़ी पार्श्‍वगायिका शिल्पा राव मुंबई में पूरे-परिवार के साथ रह रही हैं। बॉलीवुड सिंगर शिल्पा राव किसी परिचय की मोहताज नहीं है। कड़ी मेहनत व लगन के बल पर मुकाम तक पहुंचने वाली शिल्पा लॉकडाउन के समय घर पर ही रह रही हैं। वह दूसरों को भी घर पर रहने की सलाह देती हैं। वह कहती हैं कि देश आज संकट में है। चारों ओर महामारी फैली हुई है। ऐसे में इस आफत से लड़ने के लिए हमें लॉकडाउन का पूरी तरह पालन करना चाहिए। हर क्षण अपने काम में व्यस्त रहने वाली शिल्पा इस समय घर के काम में मां-पिता की मदद कर रही हैं तो एक साथ बैठकर लूडो का आनंद भी उठा रही हैं। शेष समय टीवी, इंटरनेट, कांफ्रेंसिंग के जरिए अपनों से बातचीत कर रही हैं। शिल्पा कहती है कि पहले घर में बैठे-बैठे वह ऊब जाती थीं, लेकिन अपनों के साथ रहने व मोबाइल से बातें करने में समय कैसे कट जाता है, पता ही नहीं चलता।

भोजपुरी अभिनेता सुदीप पांडे किताब पढ़कर बिता रहे समय

कोरोना वायरस को लेकर भोजपुरी अभिनेता सुदीप पांडे भी घर में किताब पढ़कर समय गुजार रहे हैं। सुदीप के माता-पिता सोनारी में रहते हैं, जबकि वे मुंबई में हैं। वहां कोरोना का अधिक प्रकोप है। सुदीप कई भोजपुरी व एक हिंदी  फिल्म में अभिनय कर चुके हैं। सुदीप सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी हैं। वह इससे संबंधित किताबें पढ़कर नई-नई तकनीक समझने में जुटे हैं। कोरोना खत्म होने के बाद फिल्म शूटिंग में भाग लेंगे। उनकी दो फिल्मों की शूटिंग बाकी है।

अरुण के लिए लॉकडाउन हो चुका पूरी तरह से म्यूजिकल

जमशेदपुर स्थित टेल्को कॉलोनी में जन्मे बॉलीवुड के पार्श्‍वगायक अरुण देव यादव अभी मुंबई की लोखंडवाला में हैं। अरुण ने लॉकडाउन में अपनी दिनचर्या साझा करते हुए कहा कि उनके लिए तो लॉकडाउन पूरी तरह से म्यूजिकल हो चुका है। सुबह सात बजे उठने के बाद फ्रेश होकर लेमन-टी पीकर दो-तीन घंटे गाने का रियाज करते हैं। इसके बाद बचपन के बेफिक्र और मस्ती वाले दिनों को याद करते हैं। यह एक टाइम ट्रैवल की तरह होता है, जिससे मन शांत हो जाता है। शोरगुल से दूर यह समय मुझे अपने आपको पॉलिश करने का समय दे रहा है। कूकिंग मेरा पैशन है, गाना और खाना बनाने की कला मुङो मेरे दादाजी और पिता भुवनेश्वर यादव से मिली। पिताजी भी भोजपुरी लोकगीत लिखते हैं। मुङो लजीज खाना पसंद नहीं है इसलिए दाल, चावल, रोटी, तड़का, भ‍िंडी की भुजिया मेरे बाएं हाथ का खेल है। कुछ अलग खाना चाहता हूं तो अपने पिता से गुझिया, पुआ और बूंदी की रेसिपी पूछकर बना लेता हूं। दोपहर के भोजन के बाद ऑनलाइन फिल्में देखता हूं। कहते हैं कुछ दोस्त और कम्पोजर भी वाट्सएप वीडियो कॉलिंग से जुड़ते हैं, जिसमें हमने क्या नया किया है, शेयर करते हैं।

प्रियंका चोपड़ा ने किया 76 लाख डॉलर दान

जमशेदपुर में जन्मीं प्रियंका चोपड़ा इन दिनों मुंबई में हैं। वह ट्विटर, फेसबुक व इंस्टाग्राम से लोगों को जागरूक कर रही हैं। प्रियंका व उनके पति निक जोनास ने कोरोना से लड़ रही संस्थाओं को करीब 76 लाख डॉलर दान किया है। उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वे वाशबेसिन में हाथ धो रही हैं। प्रियंका ने लिखा है कि कोरोना से बचने के लिए यह सबसे आसान और कारगर माध्यम है। उन्होंने ट्विटर उन लोगों की तारीफ की है, जो कोरोना से लड़ रहे हैं। प्रियंका ने कहा कि वह ऐसे परिवार से हैं, जहां डाक्टर भरे पड़े हैं, लिहाजा डॉक्टरों से उनकी विशेष सहानुभूति है। हमें उनकी विशेष देखभाल करनी चाहिए, क्योंकि कोरोना के संक्रमण से बचाने व मरीजों का इलाज करने में उनकी अहम भूमिका है। लॉकडाउन से ठीक पहले वह टेटलर मैगजीन के लिए फोटोशूट कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इसकी वीडियो जल्द ही ट्विटर व फेसबुक पर अपलोड होगी। ज्ञात हो कि प्रियंका चोपड़ा के नाना डॉ. एमके अखौरी जमशेदपुर स्थित टीएमएच के चिकित्सक थे, जबकि प्रियंका के माता-पिता सेना में चिकित्सक थे।


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