शक्ति रुपेण संस्थिता..पत्थर की प्रतिमा रखकर की थी शीतला माता की पूजा शुरू
नीम के पेड़ के नीचे टीना घेर कर माता शीतला की शिलारूपी प्रतिमा रखकर पूजा शुरू हुई। इसकी स्थापना हल्लू बैगा ने की थी।
जमशेदपुर(जासं)। पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर के गाढ़ाबासा स्थित श्री श्री शीतला माता मंदिर में पूरी बस्ती के लोग मिलजुलकर मां दुर्गा की अराधना किया करते हैं। यहां प्रत्येक वर्ष श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर नौ दिन तक लगातार महिलाओं द्वारा मां दुर्गा के भजन कीर्तन मंदिर परिसर में करते है।
इतिहास
नीम के पेड़ के नीचे टीना घेर कर माता शीतला की शिलारूपी प्रतिमा रखकर पूजा शुरू हुई। इसकी स्थापना हल्लू बैगा नामक तांत्रिक ने की थी। 1959 में स्वर्गीय पलदुराम दड़सैना के द्वारा मंदिर की स्थापना की गई। पहले यहां मंदिर झोपड़ीनुमा हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे समाज व बस्ती वालों के सहयोग से मंदिर का निर्माण शुरु हुआ। मंदिर की स्थापना को कुछ वर्षो बाद 1968 में मंदिर परिसर में ही मां दुर्गा की प्रतिमा रखकर पूजा शुरू हुई।
विशेषता
इस मंदिर परिसर में शीतला माता के शिलारूपी प्रतिमा के लिए कोलकाता से मुखौटा बनाकर लाया गया था। उस मुखौटा को पत्थरनुमा प्रतिमा को ऊपर रख दिया है। शीतला माता का पत्थरनुमा प्रतिमा खुद ही जमीन से निकली थी। जिसकी स्थापना तांत्रिक हल्लू बैगा ने की थी।
बिगड़े काम बनाती मां
मंदिर परिसर में माता शीतला व मां दुर्गा की पूजा बस्ती वाले बड़ी धूम धाम से करते हैं। जमीन से निकली मां शीतला की प्रतिमा हर भक्त के बिगड़े काम बनाती है।
- केदारनाथ सिंह, अध्यक्ष दुर्गा पूजा समिति
खुले आसमान में होती थी पूजा
पहले यहां खुले आसमान के नीचे पूजा हुआ करता था, लेकिन अब पक्का मंदिर बना गया है। यहां मां दुर्गा व मां शीतला की पूजा की धूम रहती है। एक माह पहले ही तैयारी शुरू हो जाती है।
- खेमलाल साहू, महासचिव