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कई कहानियां समेटे है पेड़ों के झुरमुट से झांकता लाल बंकर, जानिए

Bunker. पेड़ों के झुरमुट से झांकता लाल रंग का बंकर अपने भीतर कई कहानियां समेटे हुए है। दूर से भले ही यह छोटे किले की तरह दिखता है, पर सामने जाकर देखिएगा तो कहानी समझ में आएगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 01:58 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 01:58 PM (IST)
कई कहानियां समेटे है पेड़ों के झुरमुट से झांकता लाल बंकर, जानिए
कई कहानियां समेटे है पेड़ों के झुरमुट से झांकता लाल बंकर, जानिए

जमशेदपुर [निर्मल प्रसाद]। झारखंड के जमशेदपुर शहर में इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट (आइएसडब्ल्यूपी, पूर्व में तार कंपनी) गेट के बाहर पेड़ों के झुरमुट से झांकता लाल रंग का बंकर अपने भीतर कई कहानियां समेटे हुए है। दूर से भले ही यह छोटे किले की तरह दिखता है, पर सामने जाकर देखिएगा तो कहानी समझ में आएगी।

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दरअसल, इस बंकर को द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वर्ष 1942 में कंपनी के बाहर 40 गुणा 40 के क्षेत्रफल में टाटा स्टील प्रबंधन ने बनवाया था। इसकी दीवार की ऊंचाई करीब छह फीट है। वहीं बंकर की गहराई करीब तीन फीट है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हवाई हमलों से शहर के प्रबुद्ध लोगों को बचाने के लिए इस बंकर का निर्माण कराया गया था। यह बंकर पेड़ों के बीच घिरा हुआ है। इसे ऊपर से देखना आसान नहीं है।

18 इंच मोटी है बंकर की दीवार

इस बंकर में एक भी खिड़की नहीं है। इसकी छत लगभग 24 इंच से ज्यादा मोटी है। दावा है कि तब किसी भी तरह के हवाई हमले या बम के हमले से यह लोगों को बचाने में सक्षम हुआ करता था। वहीं, इस बंकर की दीवार भी लगभग 18 इंच मोटी है। जमशेदपुर शहर तथा आसपास के क्षेत्र के ज्यादातर लोग, विशेषकर युवा तो इस बंकर से पूरी तरह अंजान हैं। अब इस बंकर को चारों तरफ से सील कर दिया गया है। इसके भीतर जाने की मनाही है।

कहीं से नहीं हुआ है क्षतिग्रस्त

शहर के अहम स्पाट पर मौजूद यह बंकर आज भी अपने दामन में इतिहास सहेजे हुए है। शहर के प्रबुद्धजनों की राय है कि इसे धरोहर के रूप में सहेजने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी इससे रूबरू हो सके। यदि इसे विकसित कर दिया जाए तो यह बंकर शहर में पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी बन सकता है। यह अब भी पूरी तरह सुरक्षित है। कहीं से क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। उस जमाने के लोग तो शहर में अब कम बचे हैं, लेकिन जो हैं वे इसकी कहानी सुनाते हैं। 

ये भी जाने

- 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय तार कंपनी गेट के बाहर कराया गया था निर्माण

- 40 गुणा 40 क्षेत्रफल में टाटा स्टील कंपनी प्रबंधन ने इस बंकर का कराया था निर्माण 


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