द्वितीय विश्वयुद्ध की यादें सहेजे है आर्मरी ग्राउंड, आइए जानिए इससे जुड़ी ऐतिहासिक कहानी
जमशेदपुर शहर के बीचोबीच स्थित है बिष्टुपुर का आर्मरी ग्राउंड। इस मैदान के नाम में ही आर्मर शब्द है। इसका अर्थ है अस्त्र-शस्त्र। इस मैदान के नामकरण के पीछे है रोचक कहानी।
जमशेदपुर, निर्मल प्रसाद। झारखंड के जमशेदपुर में स्थित इस मैदान की कहानी आपको रोमांचित कर देगी। द्वितीय विश्वयुद्ध का दौर था। तब भारत में औद्योगिक क्रांति की अग्रणी कंपनी टाटा स्टील (पूर्व में टिस्को) पर दुश्मन देश द्वारा हवाई हमले का डर था, क्योंकि दुश्मन देश का एकमात्र उद्देश्य होता था कि किसी देश की अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाए, उसे पूरी तरह नष्ट कर दे।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान बहुत शक्तिशाली देश था। उसके पास हवाई हमले करने की क्षमता थी। इन खतरों को देखते हुए टिस्को प्लांट की मदद के लिए सेना की एक टुकड़ी यहां भेजी गई थी। हैदराबाद रेजिमेंट की एक कंपनी, बिहार वॉरियर्स को जिम्मेदारी दी गई कि दुश्मन देश के हवाई हमले से प्लांट की हिफाजत करे। ऐसे में जब तक द्वितीय विश्वयुद्ध चला, बिहार वॉरियर्स के जवान यहां मुस्तैद रहे। जवान इस मैदान में ही युद्ध का अभ्यास करते थे। हथियार चलाना, दुश्मन देश के हवाई हमले से प्लांट को बचाने की रणनीति भी तैयार करते थे।
अब यहां होती खेल प्रतियोगिताएं
विश्वयुद्ध का बादल छटने के बाद बिहार वॉरियर्स की रेजिमेंट जमशेदपुर से भले ही कूच कर गई, लेकिन शहर के लोगों की जुबान और दिलो-दिमाग पर आर्मरी ग्राउंड की ऐसी छाप पड़ी कि यह नाम ही आर्मरी ग्राउंड हो गया। आज भी लोग इसी नाम से इस मैदान को जानते हैं। अब इस ऐतिहासिक मैदान में टाटा स्टील विभागीय क्रिकेट और फुटबॉल प्रतियोगिताएं आयोजित करता है।
यहीं बना था साइकिल से चलाने योग्य स्वदेशी एंटी एयरक्राफ्ट गन
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि बिहार वॉरियर्स की इस टुकड़ी ने ही साइकिल से चलने वाला देश का पहला स्वदेशी एंटी एयरक्राफ्ट गन का भी आविष्कार किया था। यह गन दूर से दुश्मन के जहाज पर निशाना लगाकर हवा में ही उड़ा सकता था। जब लार्ड वायसराय जमशेदपुर के दौरे पर आए तो रेजिमेंट के अधिकारियों ने इस स्वदेशी एंटी एयरक्राफ्ट गन की प्रस्तुति भी दी थी। स्वदेशी एंटी एयरक्राफ्ट गन को देखकर लार्ड वायसराय चौंक गए थे और सराहना भी की थी। इस दौरान कई शहरवासी इस पल के गवाह बने थे।
यूनाइटेड क्लब की भी अनोखी कहानी
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आर्मरी ग्राउंड से केवल सौ गज दूरी पर स्थित यूनाइटेड क्लब के स्थान पर सीएनआर क्लब हुआ करता था। यहां टाटा स्टील के वरीय अधिकारी अपने परिवार के साथ मनोरंजन के लिए आया करते थे। इस क्लब में टेनिस कोर्ट, फुटबॉल, हॉकी के लिए बड़ा कोर्ट सहित बिलियर्ड रूम और नृत्य की पूरी व्यवस्था थी। शहर के बुजुर्ग बताते हैं कि बिहार वॉरियर्स के अधिकारी भी इस क्लब में आते-जाते थे। वर्ष 1948 में सीएनआर क्लब का यूनाइटेड क्लब के साथ विलय कर दिया गया। आज यहां पर स्वीमिंग पुल से लेकर कई आधुनिक खेलकूद के इंतजाम हैं। लेकिन यह क्लब अब भी अपने दामन में ऐतिहासिकता को सहेजे हुए है। इस क्लब की बाहरी इमारत देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं।
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