सावधान! मां के लीवर व आंत में संक्रमण से बच्चों में हो रही पथरी
गर्भावस्था के दौरान मां के लीवर व आंत में बार-बार संक्रमण होने से बच्चों का ग्रोथ रुक जाता है। इससे पथरी बनना शुरू हो जाता है।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। गर्भवती महिलाओं के लीवर और आंत में संक्रमण होना खतरनाक साबित हो रहा है। इसका खुलासा गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल के निदेशक सह सर्जन डॉ. नागेंद्र सिंह की रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चों में पथरी की समस्या तेजी से बढ़ी है।
डॉ. नागेंद्र सिंह बीते तीस साल में करीब 112 बच्चों की सर्जरी कर उनके पीत की थैली से पथरी निकाले हैं। बीते आठ साल में यह बीमारी तेजी से फैली है। इतने कम समय में करीब 60 बच्चों के पीत की थैली में पथरी मिलना चिंताजनक है। इसका मुख्य कारण गर्भावस्था के दौरान मां के लीवर व आंत में बार-बार संक्रमण होना बताया जा रहा है। इससे बच्चों का ग्रोथ रुक जाता है और उसे सही मात्र में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। साथ ही पीत की नली का एनाटॉमी में बदलाव भी होता है, जिससे पीत का नली का मुंह जो आंत में खुलता है वह सिकुड़ जाता है और इसी कारण से पथर बनना शुरू हो जाता है। इससे बचने को गर्भवती को संक्रमण से बचना होगा।
पांच साल के बच्चे के पेट में 250 से अधिक पथरी
जमशेदपुर के कदमा के शास्त्रीनगर निवासी विश्वजीत चक्रवर्ती का पांच वर्षीय पुत्र जॉय बीते एक साल से पेट में 250 से अधिक छोटे-छोटे पथरी लेकर घूम रहा था। इसकी वजह से वह परेशान रहता था। आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से वह इलाज कराने में भी असमर्थ था। मरीज की मां अंजली ने बताया कि डेढ़ साल पूर्व उसे एमजीएम अस्पताल में जांच करायी गई तो पीत की थैली में पथरी होने की पुष्टि हुई। इसके बाद डॉक्टरों ने रांची ऑपरेशन के लिए रेफर कर दिया। लेकिन, अगले छह माह में यह पथरी चार एमएम से बढ़कर 7.5 एमएम हो गई। इसके बाद सर्जरी कराने के लिए एक अस्पताल गया तो वहां 60 हजार रुपये खर्च बताया गया। इसके बाद सांसद के पास गया तो वहां से गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल भेजा गया। यहां पर मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत मुफ्त में सर्जरी हुई।
शहर में पहली बार किसी बच्चे की दूरबीन पद्धति से हुई सर्जरी
डॉ. नागेंद्र सिंह ने बताया कि शहर में पहली बार पांच साल के उम्र में किसी बच्चे की दूरबीन पद्धति से सर्जरी हुई है। कम उम्र में इस नई तकनीक से सर्जरी करना काफी जोखिमभरा होता है। कारण कि शरीर के अंदर में जगह काफी कम होता है और दूरबीन पद्धति से सर्जरी करने के लिए अंदर में सीओटू गैस डाला जाता है जो डायफ्राम पर दबाव डालता है। इससे सांस लेने में कठिनाई शुरू हो जाती है और मरीज के लिए खतरा रहता है। डॉ. नागेंद्र सिंह ने कहा कि वह हाल ही में दिल्ली, चेन्नई सहित अन्य शहरों से इसकी ट्रेनिंग लेकर लौटे हैं। इसी से मरीज की सफल सर्जरी हुई।
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